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कोरोना ने बदला दुनिया का शक्ति संतुलन

बदलते वैश्विक संतुलन का ही नतीजा है कि अमेरिका ने चीन पर दबाव बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। अमरीका ने दक्षिण चीन सागर में जल, थल, और आकाश में दबाव बढ़ा दिया है । यह दबाव इस हद तक है कि चीन को यह कहना पड़ा है कि यदि अमेरिका की तरफ़ से युद्ध के हालात पैदा किए गए तो पेईचिंग हर क़ीमत पर तैयार है।

राम केवी
Published on: 20 May 2020 5:20 PM IST
कोरोना ने बदला दुनिया का शक्ति संतुलन
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योगेश मिश्र

लखनऊ। कोरोना वायरस के बाद दुनिया का शक्ति संतुलन बदलता हुआ दिख रहा है। इस बदलाव में लंबे समय तक चीन के साथी रहे देश अब उससे कन्नी काटते नज़र आ रहे हैं। रूस, पाकिस्तान, श्रीलंका और मेक्सिको, उत्तर कोरिया, कम्बोडिया, इंडोनेशिया, मलयेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, बर्मा, लाओस को छोड़ खुले तौर पर चीन का हम कदम बनने को कोई तैयार नहीं है।

नई इबारत लिख रहा कोरोना संक्रमण

चीन और अमेरिका जिस तरह एक दूसरे के सामने आकर अड़ गए हैं , उससे यह तो लग ही रहा है कि कोरोना संक्रमण दुनिया के शक्ति संतुलन की एक नई इबारत लिखने लगा है। भले ही यह अपने असली स्वरूप में कुछ दिनों बाद दिखे।

नये शक्ति संतुलन के दौर में अमेरिका कोरोना की आड़ में अपने सहयोगी लगातार बढ़ा रहा है। इसी का नतीजा है कि आस्ट्रेलिया चीन के साथ व्यापारिक रिश्ते तोड़ने की ओर बढ़ रहा है। चीन का यहाँ बहुत निर्यात होता है। अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी की तीन स्वतंत्र एजेंसियों ने मुक़दमा दायर कर चीन से हर्जाने की माँग की है।

चीन और रूस नये तरह के ध्रुवीकरण में जुटे

उधर चीन और रूस एक नये तरह के ध्रुवीकरण में जुटे हैं। भारत में अभी चीन के माल के खपत की जगह बेहद कम हो गयी है। क्योंकि बिना किसी नेता के आरोप लगाये ही भारतीय जनता कोरोना के चलते देश- दुनिया में जो कुछ हो रहा है, जो कुछ हुआ है , उसका ज़िम्मेदार चीन को मानती है।

दूसरे नरेंद्र मोदी ने स्वदेशी और स्वावलंबन का जो नारा दिया है, उसका भी असर ज़रूर देखने को मिलेगा। क्योंकि जनता उनकी अपीलों पर न केवल कान देती है बल्कि अमल भी करती है।

जापान ने चीन से हाथ खींचा

चीन के जीडीपी का 7 फ़ीसदी निर्यात केवल आस्ट्रेलिया के हिस्से है। जापान ने तो चीन से कारोबार समेटने के लिए 2.2 अरब डालर का भारी भरकम पैकेज घोषित किया है।इस्राइल और दक्षिण कोरिया ने भी अमेरिकी मंत्री के साथ वीडियो कांफ्रेंसिग के दौरान अपने विचार साझा किये हैं।

इसमें भारत की भी भागीदारी थी। रणनीति चीन के व्यापार वर्चस्व को ख़त्म करने के इर्द-गिर्द ही थी। अमेरिकी सीनेटरो ने १८ सूत्री फ़ार्मूला भी चीन को अलग थलग करने के लिए तैयार किया है। अमेरिका में व्यापार करने वाली २८ चीनी कंपनियों को भी ब्लांक कर दिया गया है।

पंचेन लामा की रिहाई की मांग

अमेरिका ने चीन को चेताया है कि वह पंचेन लामा को रिहा कर दे। इन्हें सबसे छोटी उम्र का राजनैतिक क़ैदी कहा जा सकता है। हालाँकि चीन के ख़िलाफ़ सख़्त रुख़ भले ही केवल अमेरिका का हो। लेकिन दुनिया के कई देश चीन के स्टैंड पर सवाल उठा रहे हैं। इन देशों को चीन खलनायक नज़र आने लगा है।

कहा तो यह भी जा रहा है कि भले ही दुनिया के तमाम बड़े देशों की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई हो । लेकिन चीन की अर्थव्यवस्था की गाड़ी तेज़ी से दौड़ रही है । चीन का सरकारी मीडिया यह भरोसा दिला रहा है कि कोरोना पर क़ाबू पा लिया गया है । चीन पूरी दुनिया की मदद करने में अगुआ बन कर उभरा है ।

चीन गलत संदेश पहुंचाने की जुगत में

जिस वुहान से कोरोना वायरस के संक्रमण की शुरुआत हुई थी उस शहर के एक करोड़ दस लाख लोगों का चेकअप करके चीन दुनिया को यह संदेश देने की कोशिश में है कि कोरोना से पराजय की वजह इसे नियंत्रित करने वालों की गलती है।

उधर अमेरिका में सबसे ज़्यादा मौतें हुई हैं। ट्रम्प सबसे ज़्यादा परेशान हैं । चीन इस बहाने यह बताना चाहता है कि सब ट्रंप की गलती से हुआ। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का ग़ुस्सा भी अप्रत्यक्ष रूप से यही बात कह रहा है। इसी साल अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव है। बराक ओबामा ने डेमोक्रेट उम्मीदवार बिडेन के पक्ष में मतदान करने की अपील तक कर दी है।

अमेरिका और चीन खिंचती तलवारें

बदलते वैश्विक संतुलन का ही नतीजा है कि अमेरिका ने चीन पर दबाव बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। अमरीका ने दक्षिण चीन सागर में जल, थल, और आकाश में दबाव बढ़ा दिया है । यह दबाव इस हद तक है कि चीन को यह कहना पड़ा है कि यदि अमेरिका की तरफ़ से युद्ध के हालात पैदा किए गए तो पेईचिंग हर क़ीमत पर तैयार है।

चीन ने साउथ चाइना सी में ज़बरन क़ब्ज़ा तेज़ कर दिया । उसने साउथ चाइना सी की 80 जगहों का नाम बदल दिया । इसमें सिर्फ़ पच्चीस आइसलैंड और रिफ्स हैं। 55 समुद्र के नीचे के भौगोलिक स्ट्रक्चर है । चीन ने ताइवान को भी धमकी दी है।

अमरीका ने दक्षिण चीन सागर में अपनी छह एयरक्राफ्ट करियर उतारे हैं । जो प्रशांत महासागर में गश्त लगा रहे हैं।परमाणु हथियार से लैस कई अमेरिकी पनडुब्बियाँ भी दक्षिण चीन सागर में तैनात कर दी गई हैं।

अमेरिका चीन से करोड़ों डालर का पेंशन फंड वापस लेगा।बीते बीस साल में चीन में पाँच महामारी आई। सार्स, एवियन फ्लू, स्वाइन फ़्लू अब कोविड।सब चीन से शुरू हुई यह सूचना और इसके प्रमाण भी शक्ति संतुलन के नये समीकरण के लिए कारगर कितने हो इस दिशा में तेज़ी से काम चल रहा है।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और न्यूजट्रैक/अपना भारत के संपादक हैं



राम केवी

राम केवी

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