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अभी हो जाएं सावधान, कोरोना काल में जानलेवा हो सकती है ये बीमारी

भारत में हर साल डेंगू के करीब एक से दो लाख मामले सामने आते हैं। नेशनल वेक्टर बोर्न डीजीज कंट्रोल प्रोगाम के मुताबिक, 2019 में डेंगू के 1,36,422 मामले सामने आए थे और करीब 132 लोगों की मौत हुई थी।

Newstrack
Published on: 18 July 2020 5:31 AM GMT
अभी हो जाएं सावधान, कोरोना काल में जानलेवा हो सकती है ये बीमारी
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नील मणि लाल

लखनऊ। मानसून के आगमन के साथ ही देश में डेंगू फैलने की आशंका बढ़ गई है। डेंगू और कोरोना मरीजों में एक जैसे लक्षण होने के चलते अब दोहरी चुनौती है। विषाणु वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी कि डेंगू का प्रकोप बढ़ने से कोविड-19 संकट गहरा सकता है क्योंकि दोनों वायरस एक दूसरे के लिये सहायक साबित हो सकते हैं। एक ही समय पर दोनों संक्रमण होना कहीं अधिक घातक होगा। कमजोर हो चुकी प्रतिरक्षा प्रणाली दूसरे विषाणु को कहीं अधिक घातक बना देगी।

अगर किसी को डेंगू हो चुका है और वह इनसान अब कोरोना संक्रमित होता है तो उसकी जांच रिपोर्ट गलत आ सकती है। दरअसल डेंगू और कोरोना दोनों के ही एंटीबॉडी मिश्रित होकर जांच पर असर डालते हैं, जिसके चलते फाल्स पॉजिटिव (झूठा संक्रमण) रिपोर्ट आने की आशंका बढ़ जाती है। सीएसआईआर के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल बॉयोलॉजी, आईपीजेएमईआर, कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के डॉक्टरों व वैज्ञानिकों ने मिलकर डेंगू व कोरोना की एंटीबॉडी पर अध्ययन करने के बाद ये निष्कर्ष निकाला है। अध्ययन में पता चला है कि कोरोना के शुरूआती लक्षण डेंगू के रूप में गुमराह कर सकते हैं। क्योंकि दोनों के बुखार में काफी समानता है।

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हर साल दो लाख मामले

भारत में हर साल डेंगू के करीब एक से दो लाख मामले सामने आते हैं। नेशनल वेक्टर बोर्न डीजीज कंट्रोल प्रोगाम के मुताबिक, 2019 में डेंगू के 1,36,422 मामले सामने आए थे और करीब 132 लोगों की मौत हुई थी। मानसून में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसे मच्छरजनित रोग सालाना हजारों लोगों को चपेट में लेते हैं। कोरोना काल में इन रोगों को लेकर एहतियात की जरूरत है। सीरो सर्वे या एंटीबॉडी जांच के दौरान यह पूछा जाना चाहिए कि व्यक्ति को कभी डेंगू हुआ था या नहीं। अगर वह पहले डेंगूग्रस्त था तो उसकी एंटीजन जांच जरूरी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी मानसून को लेकर राज्यों को अलर्ट पर रहते हुए कोरोना संकट से जूझने पर जोर देने के लिए भी कहा था।

दो तरह की किट में एक जैसा नतीजा

अध्ययन के दौरान डेंगू एंटीबॉडी को लेकर कोरोना की एंटीबाडी आईजीजी व आईजीएम का परीक्षण किया गया तो दो अलग-अलग तरह की किटों का इस्तेमाल करने के बाद भी फाल्स पॉजिटिव सामने आया। देश में कोरोना के फैलाव का पता लगाने के लिए आरटी-पीसीआर और एंटीजन के अलावा एंटीबॉडी जांच पर भी ध्यान दिया जा रहा है, लेकिन अगर किसी व्यक्ति में डेंगू की एंटीबॉडी है तो कोरोना का पता लगाना मुश्किल हो सकता है।

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सिंगापुर और इंडोनेशिया में मिले केस

दक्षिणपू्र्व एशियाई देश जैसे सिंगापुर और इंडोनेशिया को इस साल डेंगू के साथ-साथ कोरोना वायरस का भी सामना करना पड़ रहा है। पैन अमेरिकन हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक ब्राजील में जहां कोविड-19 के 16 लाख से भी अधिक मामले हैं वहीं डेंगू के कम से कम 11 लाख मामले हैं और इस वजह से करीब 400 लोगों की मौत हो चुकी है। बरसात का मौसम शुरू होने के साथ लातिन अमेरिकी देश जैसे क्यूबा, चिली और कोस्टा रिका के साथ ही भारत और पाकिस्तान में डेंगू के मामले बढ़ेंगे।

डेंगू के मच्छर को पलने से रोकना ही सबसे उपयुक्त कदम है। जैसे कि कूड़ा-कचरा हटाना, पानी को जमा होने से रोकना आदि। कई देशों में कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन और अन्य पाबंदियों से इस दिशा में कोशिशें कम हो गईं हैं और कई देशों में पूरी तरह से रुक गईं हैं। उत्तर पश्चिम पाकिस्तान में बाजार और टायर की दुकानों को डिसइंफेक्ट करने की योजना फंड की कमी की वजह से टाल दी गई। पिछले साल यहां डेंगू के बहुत मामले सामने आए थे।

इसी तरह दिल्ली में मच्छरों के प्रजनन स्थलों को खत्म करने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ता कोरोना वायरस संक्रमण की भी जांच कर रहे हैं। इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस और रेड क्रीसेंट सोसायटीज के अमेरिकी क्षेत्रीय कार्यालय में स्वास्थ्य प्रमुख डॉ. मारिया फ्रांका तालारिको के मुताबिक लातिन अमेरिकी देशों में कोरोना के मामले के सामने आने के कारण डेंगू पर निगरानी प्रभावित हुई है। जानकारों का कहना है कि इस तरह की कोशिशों का बाधित होना डेंगू के खिलाफ वैश्विक लड़ाई के लिए अच्छे संकेत नहीं है।

सबसे खराब साल

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक 2019 का साल डेंगू के लिए रिकॉर्ड स्तर पर सबसे खराब साल रहा. डेंगू से हर क्षेत्र प्रभावित हुआ और कुछ देश बुरी तरह से प्रभावित हुए थे। इस साल सिंगापुर में मच्छर के लार्वा पाए जाने के मामले पांच गुना अधिक दर्ज किए गए। यह लॉकडाउन के दौरान घरों और आवासीय परिसरों में पाए गए जबकि दो महीने पहले संख्या इतनी नहीं थी। सिंगापुर नेशनल एनवॉयरमेंट एजेंसी के मुताबिक 6 जुलाई तक सिंगापुर में डेंगू के मामले 15,500 से अधिक थे। आशंका है कि मामला 22,170 के आंकड़े को पार कर सकता है। साल 2013 में करीब इतने ही मामले सामने आए थे और यह अब तक के रिकॉर्ड मामले है।

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