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कोरोना से विनाशकारी आने वाला दिन, 3 विश्वयुद्ध में घुसा ये देश
पूरा विश्व सौ साल पहले की 1930 से भी भयावह मंदी की ओर बढ़ रहा है। सबके होश उड़े हुए हैं लेकिन चीन निश्चिंत है। वह शतरंज की बिसात पर अपने एक एक मोहरे सजा रहा है, जब तक दुनिया के बड़े देश कोरोना वायरस को कंट्रोल करेंगे बिना युद्ध लड़े ही चीन दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बन चुका होगा।
दुनिया आज जब चीन से आए वायरस से निपटने के लिए लॉकडाउन व एरिये सील करके जूझ रही है। ऐसे वक्त में इस देश ने तीसरे विश्वयुद्ध का एलान कर दिया है। आप को लगेगा कि बिना युद्ध हुए कैसे छिड़ गया तीसरा विश्वयुद्ध। हां अब तक यह कहा जाता था कि तीसरा विश्वयुद्ध परंपरागत हथियारों से नहीं लड़ा जाएगा लेकिन अब सामने आ गया है।
चीन इस तीसरे विश्वयुद्ध में ढाई हजार साल पहले की युद्धनीति का इस्तेमाल कर दुनिया के तमाम बड़े देशों को बिना हथियार उठाए शिकस्त देकर दुनिया की एकछत्र बादशाहत की ओर बढ़ रहा है। जानिये क्या है चीन की रणनीति, कैसे देगा दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को शिकस्त और क्या कर रहा है चीन।
कोरोना वायरस के चलते दुनिया की तमाम बड़ी शक्तियों की कमर टूट रही है। पूरा विश्व सौ साल पहले की 1930 से भी भयावह मंदी की ओर बढ़ रहा है। सबके होश उड़े हुए हैं लेकिन चीन निश्चिंत है। वह शतरंज की बिसात पर अपने एक एक मोहरे सजा रहा है, जब तक दुनिया के बड़े देश कोरोना वायरस को कंट्रोल करेंगे बिना युद्ध लड़े ही चीन दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बन चुका होगा। सारी दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं उसके इशारे पर चलने को मजबूर हो जाएंगी।
ये है चीनी ड्रैगन की चाल।
हमें ये समझना होगा कि चीन जहां से यह वायरस निकला आज उसकी अर्थव्यवस्था की क्या स्थिति है। आज जब कि दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं गडढे में जा रही हैं। चीन का शेयर बाजार उठ रहा है। चीन इस मौके का फायदा उठाकर एक ऐसी अंतर्राष्ट्रीय शॉपिंग में जुटा है जो उसे दुनिया का सबसे प्रभावशाली, ताकतवर और अमीर देश बना सकती है और चीन इस शॉपिंग के दौरान सारे डिस्काउंट ऑफर पर नजर बनाए हुए है।
china
चीन दुनिया के उन तमाम देशों की बड़ी-बड़ी कंपनियां बेहद सस्ते दामों में खरीदना चाहता है जिनकी अर्थ-व्यवस्थाओं की कमर कोरोना महामारी ने तोड़ दी है।
चीन से शुरू हुआ कोरोना वायरस अब इस देश के लिए कैसे वरदान रहा है यह समझने की जरूरत है।
कोरोना महामारी से जूझते देश चीन के विस्तार-वाद के लिए आसान चरागाह में बदल गए हैं, ये समझने के लिए सबसे पहले चीन की रणनीति पर एक नजर डालनी होगी।
चीन का खौफनाक मंसूबा
फरवरी 1999 में चीनी सेना के दो जनरलों क्यू लियांग और वांग शियांगसुई ने एक पुस्तक लिखी थी अनरेस्ट्रिक्टेड वारफेयर। इस किताब में उन्होंने लिखा था कि अमेरिका से सैन्य शक्ति के मामले में नहीं निपटा जा सकता है इसलिए दूसरा रास्ता चुना जाना चाहिए। यह दूसरा रास्ता था रसायनिक हथियारों का।
कहा ये जा रहा है कि शायद इसी लिए चीन ने पिछले दशक से ही जैविक युद्ध की तैयारियां शुरू कर दी थीं और अपनी सेना में सूचना प्रौद्योगिकी के साथ जैव प्रौद्योगिकी का भी समावेश किया। जैविक युद्ध की तैयारी इसी का अगला कदम है।
पुराना इतिहास क्या बताता है
करीब ढाई हजार साल पहले ग्रीस का एथेंस यूरोप में शक्ति का केंद्र हुआ करता था, यानी वह उस समय एक क्षेत्रीय महाशक्ति था, लेकिन 430 ईसा पूर्व एथेंस में एक महामारी फैली और इस महामारी से एथेंस के करीब 25 प्रतिशत लोग मारे गए। इसके कुछ समय बाद ही एक दूसरे शक्तिशाली राज्य स्पार्टा ने एथेंस को चुनौती दी। और एथेंस की पराजय के बाद नई शक्ति बनकर उभरा स्पार्टा। इतिहास के इस घटनाक्रम को दुनिया के सामने लाने वाले लेखक थ्यूसी डिडस का कहना था कि जब एक महाशक्ति के सामने दूसरी शक्ति उभरने लगती है तो दोनों के बीच युद्ध होकर रहता है. इसे थ्यूसी डिडस ट्रैप भी कहा जाता है. इस समय दुनिया चीन के इसी ट्रैप में है।