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हिंदी पत्रकारिता के 196 साल: आधुनिक हिंदी पत्रकारिता के जनक जुगल किशोर शुक्ल को श्रद्धापूर्वक नमन

Hindi Journalism Day 2022: भारत में हिंदी पत्रकारिता का जन्म बंगाल में हुआ।

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Newstrack Network
Published on: 30 May 2022 1:28 PM IST
Hindi Journalism Day 2022
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हिंदी पत्रकारिता के 196 साल (social media)

Hindi Journalism Day 2022: भारत में हिंदी पत्रकारिता को आज 196 साल पूरे हो गए हैं।यूँ तो भारत में पत्रकारिता की शुरूआत सतयुग से मानी जाती है। तब देवर्षि नारद जी मानव कल्याण के निमित्त समाचारों का संप्रेषण किया करते थे।उनके समाचारों का देव लोक में व्यापक असर होता था। जब देवर्षि नारद जी को संवाददाता के रूप में अपनी ख्याति और हैसियत का गुमान होने लगा,भगवान ने उनका चेहरा बंदर जैसा बना दिया। वे उपहास का पात्र बने तो नारद जी का भ्रम दूर हो गया।महाभारत काल में संजय ने पत्रकार की भूमिका अदा की।उन्होंने धृष्टराष्ट्र को महाभारत के युद्ध का आँखों देखा हाल सुनाया, इसे आप पहला सीधा प्रसारण भी कह सकते हैं। रामायण काल में राजनीतिक पत्रकारिता की शुरूआत हुई,उस दौर में मंथरा ने राजनीतिक पत्रकार की भूमिका अदा की थी।

प्रारंभिक काल में संत, फ़क़ीर, चारण सूचनाओं के प्रसार में सहायक होते थे। प्राचीन काल में भारत में राजाओं द्वारा गुप्तचरों की नियुक्तियां की जाती थीं। भारत में मुग़ल काल में नगरों में संवाद लेखकों की तैनातगी की जाती थी, इन्हें 'वाकया नवीस' कहा जाता था।इनके मुखिया को 'वाकया निगार' कहते थे। वस्तुतः 'वाकया नवीस' आधुनिक पत्रकारों के पुरखे थे। उस दौर में एक स्थान से दूसरे स्थान में समाचार पहुँचाने का काम 'हरकारे' किया करते थे।अकबर के शासनकाल में समाचार संकलित करने वालों को ' ख़बर नवीस' एवं समाचार लेखक को 'वाकिया नवीस' और समाचारों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने वालों को 'क़ासिद' या 'हरकारा' कहा जाता था।भारत में ब्रिटिश शासन कायम होने के बाद भी मामूली फेरबदल के साथ कमोबेश यही व्यवस्था क़ायम रही।

अगर विश्व पत्रकारिता के इतिहास की बात करें तो ईसा से 59 वर्ष पूर्व जूलियस सीज़र ने रोम से 'एक्टाडियोनी रोमानी' नामक समाचार पत्र का प्रकाशन प्रारंभ कर दिया था। 263 ईसवीं में चीन के पेइचिंग से 'चीनी गजट' प्रकाशित हुआ।जबकि 1620 में हॉलैंड से अंग्रेजी का नियमित अख़बार निकलने लगा था।

भारत में 1550 में पुर्तगाली मिशनरियों ने गोवा में पहला छापाखाना लगाया।भारत में पत्रकारिता के जनक जेम्स ऑगस्टन हिकी थे। उन्होंने 29 जनवरी,1780 में कलकत्ता से 'बंगाल गजट एंड कलकत्ता जनरल एडवाइजर' नाम का समाचार पत्र का प्रकाशन प्रारंभ किया। 'बंगाल गजट' भारत का पहला आधुनिक समाचार पत्र था,जो कि 'हिकी गजट' के नाम से प्रसिद्ध हुआ। जेम्स ऑगस्टन हिकी ने 'बंगाल गजट' के जरिए प्रकारांतर में भारत की भावी पत्रकारिता का न्यूनतम आदर्श तय कर दिए थे। हिकी ने निर्भीक पत्रकारिता की मिसाल पेश की। वे सरकार की आलोचनाओं और यहाँ तक कि तत्कालीन गवर्नर वारेन हेस्टिंग्स की निंदा करने से भी नहीं चूके। हालाँकि उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ी। 'बंगाल गजट' पर सरकारी छापे पड़े।जुर्माने हुए। सरकार ने 'बंगाल गजट' को बंद करा जेम्स ऑगस्टन हिकी को जेल भेज दिया। अंततः उन्हें भारत छोड़ने का आदेश दे दिया गया। यात्रा के दौरान जहाज़ में ही उनकी दुःखद मृत्यु हो गई थी।

भारतीय भाषाओं की पत्रकारिता के जनक लाला राममोहन राय थे,उन्होंने 4 दिसंबर,1821 को बंगला साप्ताहिक 'संवाद कौमुद' का प्रकाशन/संपादन प्रारंभ किया।

भारत में हिंदी पत्रकारिता का जन्म गैर हिंदी भाषी प्रांत बंगाल में हुआ। हिंदी पत्रकारिता के जनक थे-पंडित जुगल किशोर शुक्ल। जुगल किशोर शुक्ल जी का जन्म कानपुर में हुआ था। वे जीविकोपार्जन की तलाश में कलकत्ता चले गए। उन्होंने 16 फरवरी,1826 को अखबार निकालने के लिए सरकार से लाइसेंस प्राप्त किया। 30 मई,1826 को कलकत्ता से हिन्दी साप्ताहिक "उदन्त मार्तण्ड" का प्रकाशन शुरू हुआ। "उदन्त मार्तण्ड" के मुद्रक और मैनेजर मन्नु ठाकुर थे। "उदन्त मार्तण्ड" के कुल 79 अंक प्रकाशित हुए। आर्थिक संकट के चलते दिसंबर,1827 में अखबार को बंद करना पड़ा। जुगल किशोर शुक्ल जी ने 'उदन्त मार्तण्ड'के अंतिम अंक में लिखा:-

आज दिवस लौउग चुक्यो मार्तण्ड उदन्त।

अस्तांचल को जात है दिन कर दिन अब अंत।।

हालाँकि 'उदन्त मार्तण्ड' अल्पजीवी सिद्ध हुआ।पर 'उदन्त मार्तण्ड' ने न केवल जुगल किशोर शुक्ल जी को हिंदी पत्रकारिता के जनक के रूप में प्रतिष्ठित किया,बल्कि हिंदी पत्रकारिता की विकास यात्रा का महत्वपूर्ण प्रस्थान बिंदु भी बना।

मूल्यहीन, घोर व्यावसायिक और पेड न्यूज की पत्रकारिता के मौजूदा दौर में भी तेजस्वी,ओजस्वी,परमन्याय-परायण एवं सोद्देश्य पत्रकारिता में संलग्न चंद पत्रकारों को प्रणाम और हिंदी पत्रकारिता दिवस की बधाई।

इस अवसर पर स्वस्थ्य,निर्भीक, जनपक्षीय और क्रांति धर्मी पत्रकारिता के प्राण -तत्व गणेश शंकर विद्यार्थी जी का स्मरण करना समीचीन होगा।विद्यार्थी जी ने कहा था : "संसार के अधिकांश समाचार- पत्र पैसे कमाने और झूठ को सच और सच को झूठ सिद्ध करने के काम में उतने ही लगे हैं जितने की संसार के बहुत-से चरित्र-शून्य व्यक्ति।.......इस देश में समाचार-पत्रों का आधार धन हो रहा है।धन से ही वे निकलते हैं, धन के आधार पर चलते हैं।और बड़ी वेदना के साथ कहना पड़ रहा है कि उनमें काम करने वाले बहुत से पत्रकार भी धन की अभ्यर्थना करते हैं।.....।"

"श्रेष्ठ और सक्षम पत्रकार राष्ट्र का नेता होता है।लोक सेवा ही संपादक का धर्म है।"

".....मैं पत्रकार को सत्य का प्रहरी मानता हूँ।सत्य को प्रकाशित करने के लिए वह मोमबत्ती की भाँति जलता है।"

".......पत्रकार समाज का सृष्टा होता है।केवल समाचार देना,पैसा कमाना और इस प्रकार पैसा कमाना पाप है।"

इस मौके पर भारतीय पत्रकारिता के उद्देश्यपूर्ण और गौरवशाली अतीत की कुछ टिप्पणियों पर गौर करना समीचीन होगा-

"अपने मन और आत्मा की स्वतन्त्रता के लिए अपने शारीर को बंधन में डालने में मुझे आनन्द आता है ।"

-जेम्स आगस्टस हिक्की (भारत के पहले समाचार पत्र -"बंगाल गजेट एण्ड कलकत्ता जनरल एडवरटाइजर" या " हिकीज गजेट " के सम्पादक ।

  • "ऐसी कोई भी लड़ाई जिसका आधार आत्मबल हो, अख़बार की सहायता के बिना नहीं चलाई जा सकती .. - महात्मा गाँधी
  • " मैंने तो जर्नलिज्म में साहित्य को स्थान दिया है । बुद्धि के ऐरावत पर म्युनिसिपल का कूड़ा ढोने का जो अभ्यास किया जा रहा है अथवा ऐसे प्रयोग से जो सफलता प्राप्त की जा रही है उसे मैं पत्रकारिता नहीं मानता " - पंडित माखनलाल चतुर्वेदी
  • "अख़बारनवीस भी नई रोशनी के पंडित हैं और मौलवी हैं। वे ईश्वर , मुल्क तथा कौम के लिए लोगों को नेकी का रास्ता बतालाने वाले हैं ..............।"


Ragini Sinha

Ragini Sinha

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