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तीन लाख मस्जिदों वाले देश में, कितनी असुरक्षित ये कौम
अल्पसंख्यक केंद्रित खासकर मुस्लिम आधारित राजनीति के युग की समाप्ति के बाद जब से सबका साथ और सभी का विकास आधारित राजनीति की शुरुआत हुई है
रामकृष्ण वाजपेयी
अल्पसंख्यक केंद्रित खासकर मुस्लिम आधारित राजनीति के युग की समाप्ति के बाद जब से सबका साथ और सभी का विकास आधारित राजनीति की शुरुआत हुई है
एक जुमला कुछ लोगों के मुंह से निकलकर घूम-घूम कर फिजाओं में तैरता अक्सर तैरता रहा है कि अब तो यहां (भारत में) रहने में डर लगता है। कुछ लोग यह नारा दे रहे हैं कि भारत तेरे टुकड़े होंगे हजार। कुछ मंचों से अपने आकाओं के सुर में सुर मिलाकर मुसलमान चिल्ला रहे हैं हमें नहीं चाहिए एनसीआर, सीएए, एनपीआर।
मुस्लिम आबादी में हो रही वृद्दि
यह सब कुछ एक ऐसे देश में हो रहा है जहां मुसलमानों की बड़ी आबादी निवास करती है और जो आबादी हर साल 25 फीसद की दर से बढ़ रही है। 2011 में हुई जनगणना के अनुसार, भारत मे मुस्लिम जनसंख्या 17.22 करोड़ थी, जो कि भारत की जनसंख्या का 14.23 फ़ीसदी थी और 2011 में भारत में मुस्लिमों का जनसंख्या वृद्धि दर 24.6% था।
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अगर 2011 को ही आधार मानें तो 2021 की जनगणना होने तक मुस्लिम आबादी 35 करोड़ पार कर चुकी होगी। ये संख्या तब हो रही है जबकि इसमें घुसपैठियों को नहीं जोडा गया है।
भारत में हैं 3 लाख मस्जिद
अब आते हैं दूसरी बात पर भारत मस्जिदों की संख्या के मामले में दुनिया में दूसरे नंबर पर है। भारत में करीब तीन लाख मस्जिद मौजूद हैं। और यह आंकड़ा बताता है कि भारत में मुस्लिम कितने सुरक्षित है। यह आंकड़ा उन लोगों के गाल पर एक तमाचा है जो भारत को मुस्लिमों के लिए असुरक्षित बताते है। इसके अलावा भारत मुस्लिम आबादी के लिहाज से दुनिया में तीसरे नंबर पर है।
पूरे विश्व में मस्जिदों की कुल संख्या लगभग 36 लाख है। सबसे ज़्यादा मस्जिद इंडोनेशिया में हैं जिनकी संख्या तकरीबन आठ लाख 50 हजार है। इंडोनेशिया में 19 करोड़ 52 लाख मुस्लिम आबादी निवास करती हैं जो दुनिया की मुस्लिम आबादी का 13 फीसद है।
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इंडोनेशिया के बाद दूसरा स्थान भारत का है जहां लगभग 3 लाख मस्जिद है। यहां मुस्लिम आबादी लगभग 18 करोड़ है जो कि विश्व की मुस्लिम आबादी का लगभग 10.9 फीसद है।
जनता को भ्रमित कर रहीं राजनीतिक पार्टियां
भारत में रहने वाला कोई भी आम मुस्लिम इंसान खुद को असुरक्षित महसूस नहीं करता है। आपको बता दें कि भारत में बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी है। रही बात मुस्लिमों में डर की तो यह डर केवल कुछ लोग अपने राजनैतिक फायदे के लिए फैलाते हैं।
चाहे सीएए का मामला हो या एनपीसी या फिर एनआरसी। ये सारे बिल कांग्रेस या यूपीए की सरकार के समय से चले आ रहे हैं।
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इन बिलों के लिए पहल भी इसी पार्टी ने की थी लेकिन अब जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इन्हें अमलीजामा पहनाया गया तो अपनी राजनीति चमकाने के लिए देश को अराजकता की ओर ढकेलने का प्रयास किया जा रहा है।