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सावधान ! आज अगर आप जा रहे हैं यहां तो बदन पर एक कपड़ा नहीं बचेगा साबुत

इस दिन मंदिरों को भिन्न भिन्न प्रकार के रंग बिरंगे फूलों से सजाया जाता है। लोग राधा कृष्ण के प्रेम के प्रतीक के रूप में फूलों से होली खेलते हैं। एक दूसरे को फूलों के गुलदस्ते भेंट करते हैं। इसे आप इंडियन वेलेंटाइन डे भी कहते हैं। कहते हैं कि यह पर्व वैवाहिक संबंधों में भी मजबूती लाता है।

राम केवी
Published on: 24 Feb 2020 9:41 PM IST
सावधान ! आज अगर आप जा रहे हैं यहां तो बदन पर एक कपड़ा नहीं बचेगा साबुत
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रामकृष्ण वाजपेयी

सावधान ! आज अगर आप जा रहे हैं यहां तो बदन पर एक कपड़ा नहीं बचेगा साबुत। मतलब ब्रज क्षेत्र की यात्रा का मूड बना रहे हैं या ब्रज क्षेत्र से होकर आपकी गाड़ी या बस गुजरने वाली है तो सावधान हो जाइये क्योंकि ब्रज की गोपियों और गुजरियों ने भगवान कृष्ण की कमर पर पटका बांध कर होली का न्योता दे दिया है। अगर आप कहीं इनके हत्थे चढ़ गए तो आपकी खैर नहीं बदन पर कोई कपड़ा साबुत नहीं बचेगा।

दरअसल 25 फरवरी को इस साल फुलेरा दूज मनाया जा रहा है। ये फाल्गुन मास का खास दिन माना जाता है। फाल्गुन मास के शुक्लपक्ष की द्वितिया को यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन किसी भी तरह का शुभ कार्य संपन्न किया जा सकता है। यहां तक कि शादी ब्याह के लिए भी ये तिथि शुभ मानी जाती है। लेकिन इसकी असली रौनक वृंदावन, मथुरा और खासकर ब्रज क्षेत्र में देखने को मिलती है। इसके अलावा भी देश के कई हिस्सों में फुलेरा दूज मनाई जाती है। फुलेरा का मतलब होता है फूल।

इस दिन मंदिरों को भिन्न भिन्न प्रकार के रंग बिरंगे फूलों से सजाया जाता है। लोग राधा कृष्ण के प्रेम के प्रतीक के रूप में फूलों से होली खेलते हैं। एक दूसरे को फूलों के गुलदस्ते भेंट करते हैं। इसे आप इंडियन वेलेंटाइन डे भी कहते हैं। कहते हैं कि यह पर्व वैवाहिक संबंधों में भी मजबूती लाता है।

कृष्ण मंदिरों में इस दिन भजन कीर्तन और कृष्ण की लीलाएं होती हैं। ये दिन सभी प्रकार के दोषों से मुक्त माना जाता है। इसलिए इस दिन मांगलिक कार्य बिना मुहूर्त को देखे किये जा सकते हैं।

सावधान ! आज इसलिए रहें क्यों कि जब कृष्ण को न्योता दे दिया है तो फिर उनसे बड़ा कौन है कोई नहीं बचेगा।

फुलेरा दूज क्या है

फुलेरा दूज कैसे मनाया जाता है? इस दिन घर में भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। उन्हें मिष्ठान का भोग लगाया जाता है। पूजा के समय राधा कृष्ण को अबीर गुलाल अर्पित किया जाता है। इस दिन से लोग होली के रंगों की शुरुआत भी करते हैं। इस दिन घरों और मंदिरों में भगवान की मूर्तियों को सजाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण के साथ रंग बिरंगे फूलों की होली खेली जाती है। ब्रज क्षेत्र में इस अवसर पर उत्सव होते हैं। सबसे खास बात इस दिन रंगीन कपड़े का एक छोटा टुकड़ा भगवान कृष्ण की प्रतिमा की कमर पर बांधा जाता है जिसका अर्थ है कि भगवान होली खेलने के लिए अब तैयार हैं।

ये हैं पूजा के मुहूर्त

फुलेरा दूज मंगलवार, फरवरी 25, 2020 को

तिथि प्रारम्भ – फरवरी 24, 2020 को रात 11:15 बजे

तिथि समाप्त – फरवरी 26, 2020 को तड़के 01:39 बजे

राम केवी

राम केवी

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