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श्रीपति मिश्रः बतौर मुख्यमंत्री, ये था मेरा पहला साक्षात्कार

मै श्रीपति मिश्रा की तरफ बढ़ा प्रणाम किया वह तपाक से मिले पूछा आप किस समाचार पत्र से हैं। मैने कहा मै पत्रकार नहीं पत्रकार पुत्र हूं। जैसे मंत्री पुत्र और विधायक पुत्र होते हैं या प्रधानपति होते हैं।

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Published on: 8 Dec 2020 5:08 AM GMT
श्रीपति मिश्रः बतौर मुख्यमंत्री, ये था मेरा पहला साक्षात्कार
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श्रीपति मिश्रः बतौर मुख्यमंत्री, ये था मेरा पहला साक्षात्कार (PC: social media)

रामकृष्ण वाजपेयी

लखनऊ: श्रीपति मिश्रा की आज पुण्यतिथि है। मैने पहला साक्षात्कार बतौर मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्रा का 1983 में लिया था मै उस समय इंटरमीडिएट का छात्र था। समाचार पत्रों में मैने लिखना 1981 से ही शुरू कर दिया था मै संपादक के नाम पत्र लिखा करता था। जहां तक मुझे ध्यान है यह मई दिवस समारोह था जो पत्रकारों की ओर से सहकारिता भवन में आयोजित किया गया था। उस समारोह में मुझे श्रीपति मिश्रा नितांत सहज शांत और आडंबर से दूर रहने वाले व्यक्तित्व लगे जबकि विश्वनाथ प्रताप सिंह भी उस समारोह में मौजूद थे जिनके इर्दगिर्द मधुमख्खियों के झुंड की तरह भिनभिनाता पत्रकारों का जमघट था।

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मैने कहा मै पत्रकार नहीं पत्रकार पुत्र हूं

मै श्रीपति मिश्रा की तरफ बढ़ा प्रणाम किया वह तपाक से मिले पूछा आप किस समाचार पत्र से हैं। मैने कहा मै पत्रकार नहीं पत्रकार पुत्र हूं। जैसे मंत्री पुत्र और विधायक पुत्र होते हैं या प्रधानपति होते हैं। मेरे जवाब को सुनकर श्रीपति मिश्रा खिलखिलाकर हंस पड़े पीठ ठोंक कर बोले बहुत खूब बहुत आगे जाओगे। मैने उनसे पूछा कि आप राजनीति में कैसे आए। उन्होंने कहा कि मै भी आपकी तरह छात्र था। छात्र राजनीति से आगे बढ़ता गया और यहां तक पहुंचा।

Sripati Mishra Sripati Mishra (PC: social media)

मैने पूछा आप अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि क्या मानते हैं

मैने पूछा आप अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि क्या मानते हैं। श्रीपति जी ने कहा ये आप बताओ। हम तो कार्यकर्ता की तरह काम करते हैं और जो अच्छे के लिए भले के लिए काम करता है वह खुद नहीं बता सकता कि क्या अच्छा क्या खराब। मैने कहा आपके बारे में खबरें आती रहती हैं कि कांग्रेस हाईकमान संतुष्ट नहीं है। उन्होंने कहा फिर मै मुख्यमंत्री कैसे होता। फिर उन्होंने कहा कि कोई पद स्थाई नहीं होता। बेशक हम कोई बड़ा काम न करें लेकिन गाड़ी को बिना एक्सीडेंट किये चलाना भी कुशलता ही होती है।

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इस बीच उनके कुछ अधिकारी आए और शायद चलने का इशारा किया। उन्होंने कहा अच्छा चलता हूं। मिलने आइयेगा मुझे आपसे बात कर अच्छा लगा। लेकिन मुझे फिर उनसे मिलने का मौका नहीं मिला।

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