TRENDING TAGS :
नौ देश बने मिसाल ऐसे जीत ली कोरोना के खिलाफ बड़ी जंग
ताईवान, सिंगापुर, हांगकांग, क्यूबा ऐसे देश हैं जो चीन के सबसे करीबी हैं जहां से यह वायरस निकल कर पूरे विश्व में फैला। खतरा इन देशों को सबसे ज्यादा था। आखिर क्या किया इन देशों ने जो यह कोरोना वार झेल कर भी खड़े रहे। इसके अलावा जर्मनी, चीन और आइसलैंड भी इस कतार में आगे हैं जिन्होंने सबसे जल्दी इस महामारी पर काबू पाया
यूं तो वैश्विक महामारी कोरोना से दुनिया के दौ सौ से अधिक देश जंग लड़ रहे हैं। सभी अपने यहां जनहानि बचाने के लिए जूझ रहे हैं इनमें कुछ ऐसे हैं जो सबसे पहले अलर्ट होने पर भी ये जंग हार गए तो कुछ अत्यन्त छोटे देश अपनी सूझबूझ से मिसाल बन गए।
ताईवान, सिंगापुर, हांगकांग, क्यूबा से ये सीखने को मिला कि दुनिया को बम नहीं, डॉक्टरों और परिष्कृत स्वास्थ्य सेवाओं की ज़रूरत है। इन देशों ने कोरोना के विश्व विजय अभियान को ऐसे समय में शिकस्त दी है जब बड़े बड़े देश उसके आगे घुटने टेक दे रहे हैं। इसमें कुछ देश तो सिर्फ अपनी लोकप्रिय दूसरे को चूमने और गले लगाने की संस्कृति के कारण ये जंग हार गए जबकि तैयारी उनकी जबर्दस्त थी। ये सबको जानना चाहिए कि इन छोटे देशों ने ऐसा क्या किया जिसमें अमेरिका जैसे देश बेबस नजर आए इन्होंने हरा दिया। इन देशों ने कोरोना की वैक्सीन के बिना ही उसे शिकस्त दी है।
छोटे देश बड़े बड़ों पर भारी
ताईवान, सिंगापुर, हांगकांग, क्यूबा ऐसे देश हैं जो चीन के सबसे करीबी हैं जहां से यह वायरस निकल कर पूरे विश्व में फैला। खतरा इन देशों को सबसे ज्यादा था। आखिर क्या किया इन देशों ने जो यह कोरोना वार झेल कर भी खड़े रहे। इसके अलावा जर्मनी, चीन और आइसलैंड भी इस कतार में आगे हैं जिन्होंने सबसे जल्दी इस महामारी पर काबू पाया
अगर ताइवान की बात करें तो जैसे ही कोरोना वायरस फैलना शुरू हुआ। उसने सबसे पहले वुहान से आने वाले सभी विमानों के यात्रियों के नीचे उतरने से पहले उनकी जांच करानी शुरू कर दी। सभी के लिए कोरोना जांच अनिवार्य कर दी। क्योंकि जिन के अंदर लक्षण नहीं मिल रहे थे वह भी कोरोना का संक्रमण फैला सकते थे।
यानी ताइवान के सेंट्रल एपिडेमिक कमांड सेंटर ने कोरोना वायरस पर रोक लगाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया। उसने बाहर से आने वाले यात्रियों की स्क्रीनिंग तो की ही साथ ही अपने देशवासियों को मास्क और सेनिटाइजर उपलब्ध करा दिये। ताइवान यहीं नहीं रुका उसने बाहर से आने वाले सभी लोगों के लिए दो हफ्ते का क्वारंटाइन अनिवार्य कर दिया। इसी रणनीति को सिंगापुर, हांगकांग व क्यूबा ने भी अपनाया। और सारी ताकत सुरक्षात्मक उपकरणों के निर्माण में झोंक दी।
जांच किट बनाने में चीन आगे
अब बात करते हैं पांच बड़े देशों की जिसमें चीन भी शामिल है। हां भाई कोरोना वायरस फैलने के लिए अगर चीन जिम्मेदार है तो इससे जंग जीतने में भी चीन सबसे तेज रहा है। मार्च के आखिर तक चीन ने तीन लाख 20 हजार से ज्यादा टेस्ट किए हैं।
शायद आपको पता नहीं कि कोरोना वायरस के टेस्ट की प्रक्रिया सबसे पहले चीन में ही विकसित हुई थी। इस संबंध में यह कहा जा सकता है कि चीन को इसका घातक इम्पेक्ट पता था इसलिए उसने सबसे पहले इसके टेस्ट की प्रक्रिया पर काम करना शुरू किया। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि चीन ने 24 जनवरी को ही विश्व स्वास्थ्य संगठन की वेबसाइट पर इसकी टेस्ट प्रक्रिया की जानकारी पोस्ट कर दी थी।
हांगकांग से चीन को मदद मिली क्योंकि सार्स जब फैला था उस समय उसकी एक टीम ने सार्स की पहचान करने पर काम किया था। चीन ने तेजी के साथ कोरोना वायरस का प्रसार रोकने के लिए किट्स बनानी शुरू कर दीं। और आज दुनिया के तमाम देशों को सप्लाई कर रहा है।
जर्मनी बना चैम्पियन
इस लडाई में जर्मनी भी किसी चैम्पियन की तरह उभरा है। इसे जर्मन शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों की दूरदर्शिता कहा जाएगा कि उन्होंने समय रहते कोरोना के खतरे को समझ लिया। और तैयारी शुरू कर दी। जबकि उस समय तक दुनिया के तमाम देश कोरोना वायरस के इतने बड़े खतरे की बात से अनजान थे। जर्मनी के पास भी सार्स की जानकारी थी और उसी आधार पर उसने जांच की किट तैयार की। जर्मनी ने चीन से भी पहले 17 जनवरी को जांच किट बना ली और विश्व स्वास्थ्य संगठन की वेबसाइट पर इसकी जानकारी प्रकाशित कर दी। फरवरी के आखीर तक जब कि विश्व के तमाम देशों में वायरस फैल चुका था जर्मनी के पास 40 लाख किट थीं। जर्मनी प्रति दिन 12 हजार लोगों की जांच कर रहा था।
दक्षिण कोरिया की सख्ती
बात दक्षिण कोरिया की करें तो उसने कोरोना को दुश्मन की निगाह से देखा। बड़ी संख्या में लोगों का जांच शुरू कर दीं। दक्षिण कोरिया ने कोरोनापॉजिटिव मरीजों को अलग करना शुरू किया। देश में यह सुविधा दी कि कार में माल में कहीं भी टेस्ट हो सकता था। खास बात यह है कि इस देश ने लाखों लोगों की जांच बिना कोई शुल्क लिए की। अपनी सक्रियता से ही दक्षिण कोरिया ने कोरोना वायरस से खुद को निकालने में कामयाबी हासिल की।
आइसलैंड छोटा और तुलनात्मक रूप से अमीर देश है. उसने भी बड़े पैमाने पर टेस्टिंग से ही इस महामारी को नियंत्रित किया।
जबकि इटली इस मामले में फिसड्डी साबित हुआ इसका कारण यह था कि इटली में लोग समूहों में खूब मिलते जुलते हैं और एक दूसरे का अभिवादन भी चूम कर करते हैं। इस वजह से इटली में कोरोना नियंत्रित नहीं हो पाया जबकि टेस्ट यहां भी व्यापक पैमाने पर हुए। दूसरा कारण इस देश में बूढ़ों की संख्या बहुत ज्यादा होने का बताया जा रहा है जिसके चलते यहां मृत्युदर बहुत ज्यादा रही।