TRENDING TAGS :
इतना आसान नहीं कोरोना से छुटकारा पाना, वैक्सीन बनाने में लगेगा समय
कोरोना वायरस के खिलाफ जंग जीतने के लिए पूरी दुनिया में वैक्सीन बनाने की कोशिशें चल रही हैं। अमेरिका और चीन सहित दुनिया भर के शीर्ष वैज्ञानिक इस वायरस का तोड़ खोजने में जुटे हुए हैं। इस वैश्विक दौड़ में छह भारतीय कंपनियां भी काम कर रही हैं।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के खिलाफ जंग जीतने के लिए पूरी दुनिया में वैक्सीन बनाने की कोशिशें चल रही हैं। अमेरिका और चीन सहित दुनिया भर के शीर्ष वैज्ञानिक इस वायरस का तोड़ खोजने में जुटे हुए हैं। इस वैश्विक दौड़ में छह भारतीय कंपनियां भी काम कर रही हैं। कुछ वैज्ञानिकों का दावा है कि जल्द ही कोरोना की वैक्सीन खोजने में कामयाबी मिल जाएगी, लेकिन शीर्ष भारतीय वैज्ञानिकों का मानना है कि 2021 से पहले वैक्सीन ढूंढ़ना संभव नहीं दिख रहा है।
दो साल में भी बन जाए तो बड़ी बात
एंथ्रेक्स जैसी बीमारी के लिए वैक्सीन बनाने वाली टीम के सदस्य रहे प्रसिद्ध वैज्ञानिक और काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राकेश भटनागर का कहना है कि कोरोना की वैक्सीन बनाने में कम से कम दो साल का समय लगेगा। उनका कहना है कि दो साल में भी यह तभी संभव है जब पेटेंट संबंधी परमिशन जल्दी-जल्दी दी जाए।
प्रोफ़ेसर भटनागर ने कहा कि किसी भी दवा को बनाने में कम से कम 10 से 20 साल का समय लग जाता है। चूंकि दुनिया के सारे शीर्ष वैज्ञानिक और डब्लूएचओ इसकी वैक्सीन ढूंढने में लगे हुए हैं तो हो सकता है कि इसके लिए काफी तेजी से काम हो। क्लीनिकल ट्रायल के लिए जल्दी-जल्दी परमिशन दी जाए। इतना सब करने के बाद भी दो साल से पहले कोरोना की दवाई या वैक्सीन का बाजार में आना संभव नहीं लगता।
ये भी पढ़ेंः खुशखबरी: भारत से कोरोना होगा ‘आउट’, संक्रमण के नए मामले 40 फीसदी कम
बनाए रखनी होगी सोशल डिस्टेंसिंग
प्रोफ़ेसर भटनागर ने कहा कि अभी तक हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के कोरोना वायरस पर प्रभाव का क्लिनीकल ट्रायल नहीं हुआ है। ऐसे में सजगता और सतर्कता से ही इस वायरस से जंग जीती जा सकती है। इसलिए हर किसी को लॉकडाउन का पालन करने के साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखनी चाहिए।
वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया काफी जटिल
ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट के कार्यकारी निदेशक गगनदीप सिंह का कहना है कि कोरोना को हराने के लिए पूरी दुनिया में शोध का काम चल रहा है। शीर्ष वैज्ञानिक इसकी काट ढूंढने में लगे हुए हैं, लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि किसी भी वैक्सीन के परीक्षण की प्रक्रिया बहुस्तरीय, जटिल और तमाम चुनौतियों से भरी होती है। इसलिए भले ही अन्य बीमारियों की तरह इसकी वैक्सीन ढूंढने में 10 साल ना लगे, लेकिन उसे सुरक्षित, प्रभावी और बड़े पैमाने पर उपलब्ध कराने में कम से कम एक साल का समय अवश्य लगेगा।
ये भी पढ़ेंः इरान में कोरोना वायरस ने ली 89 और लोगों की जान, मौत का आंकड़ा हुआ 4958
इस साल वैक्सीन मिलना संभव नहीं
वैज्ञानिक ई.श्रीकुमार का भी मानना है कि वैक्सीन तैयार करना आसान काम नहीं होता। किसी भी वैक्सीन को तैयार करने में कई साल का समय लग जाता है। हैदराबाद के सीएसआईआर सेंटर फॉर सेल्यूलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी के निदेशक राकेश मिश्रा का भी कहना है कि वैक्सीन को परीक्षण के विभिन्न स्तरों को पार करने और उसके बाद मंजूरी में लगने वाले समय के चलते कोरोना वायरस की वैक्सीन इस साल उपलब्ध हो पाना संभव नहीं लगता। उन्होंने कहा कि इसके लिए हमें इंतजार करना होगा।
दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।