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युवाओं का टीकाकरण अधर मेःं 15 राज्यों ने हाथ खींचे, गहरा सकता है संकट
केंद्रीय मंत्रालय ने जमीनी स्थिति का आकलन किये बगैर युवाओं के लिए टीकाकरण अभियान को शुरू करने का एलान कर दिया है
लखनऊ:देश में एक मई से शुरू होने जा रहे तीसरे चरण के 18 साल से अधिक उम्र वालों के टीकाकरण अभियान पर केंद्र और राज्यों के बीच तालमेल के अभाव में संकट के बादल मंडराने लगे हैं। राज्यों की न तो तैयारी है न ही उनके पास वैक्सीन है। ऐसे में केंद्र सरकार ने वैक्सीन आयात का फैसला राज्यों में छोड़ दिया है जिससे वैक्सीन के संकट से देश में कोरोना संक्रमण का खतरा गहरा सकता है।
हालांकि टीकाकरण के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन 28 अप्रैल से शुरू हो चुका है लेकिन कई भाजपा शासित और अधिकांश गैर भाजपा शासित राज्यों ने अपनी मजबूरियां बताते हुए इस अभियान को चलाने में असमर्थता जताई है। इसमें एक बहुत बड़ी वजह टीका निर्माता कंपनियों का इतने बड़े पैमाने पर टीके उपलब्ध कराने में असमर्थता जताना भी अहम है।
बिना तैयारी अभियान शुरू
ऐसे में यह सवाल लाजमी हो जाता है कि क्या केंद्रीय मंत्रालय ने जमीनी स्थिति का आकलन किये बगैर युवाओं के लिए टीकाकरण अभियान को शुरू करने का एलान कर दिया है। अगर ऐसा है तो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्टों में चल रहे कोरोना से संबंधित मामलों में केंद्र सरकार की जबर्दस्त किरकिरी हो सकती है। क्योंकि अभी तक तो केंद्र सरकार राज्यों को मांग के अनुरूप ऑक्सीजन न पहुंचा पाने, दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित न करा पाने को लेकर घिरी हुई थी लेकिन अब टीकों की उपलब्धता को लेकर भी सवाल खड़ा हो गया है।
18 साल से अधिक उम्र के टीकाकरण को लेकर पंजाब, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, बिहार, उड़ीसा, दिल्ली, जम्मू कश्मीर और गोवा आदि राज्य शामिल हैं।
मदद की कोई उम्मीद नहीं
इन सभी राज्यों को कमोवेश स्थिति स्पष्ट है इनके पास टीकों का स्टाक नहीं है और दूसरे टीकों के भुगतान की समस्या भी है। क्योंकि कोवैक्सीन और कोविशील्ड दोनो कंपनियों ने एडवांस भुगतान के बगैर वैक्सीन देने से मना कर दिया है। इसके अलावा राज्यों में इतने वृहतस्तर पर टीकाकरण की तैयारी भी नहीं है।
राज्यों की टीकाकरण के मामले में दयनीय स्थिति के बावजूद अभी तक केंद्र सरकार से राज्यों की मदद के कोई संकेत नहीं हैं। इसके विपरीत भारत सरकार ने वैक्सीन आयात करने का फैसला फिलहाल राज्यों पर छोड़ दिया है। भारत सरकार ने कोरोना वैक्सीन खुद आयात करने का फैसला फिलहाल टाल दिया है। केंद्र सरकार ने राज्यों और कंपनियों को ऐसा करने की इजाजत दे दी है।
ऐसे में जबकि देश में कोरोना के रोजाना सामने आने वाले मामले साढे तीन लाख को पार कर चुके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना टीका करण की रफ्तार बढ़ाए जाने से भारत को कोरोनावायरस से निपटने में काफी मदद मिल सकती है लेकिन वैक्सीन आयात का फैसला टालने की वजह से देश में कोरोना संक्रमण गहरा सकता है।