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बीरबल की ये बड़ी बात कसम से आप नहीं जानते होंगे
शायद आपको यह बात भी न पता हो कि बीरबल का असली नाम महेश दास भट्ट था। वह मुगल बादशाह अकबर के दरबार के प्रमुख वज़ीर (वज़ीर-ए-आजम) थे। खास बात वह अकबर की मंत्रि परिषद के नौ सलाहकारों में सबसे विश्वस्त और खास थे। उन्हें अकबर के नवरत्नों में भी गिना जाता है।
बीरबल का नाम आप सबने सुना होगा लेकिन आज हम आपको उनसे जुड़ी एक ऐसी बात बताने जा रहे हैं जिसे कसम से आप नहीं जानते होंगे। मुगल बादशाह अकबर के दरबार के नवरत्नों में से एक इस राजा को कौन ऐसा शख्स होगा जो न जानता हो।
शायद आपको यह बात भी न पता हो कि इनका असली नाम महेश दास भट्ट था। वह मुगल बादशाह अकबर के दरबार के प्रमुख वज़ीर (वज़ीर-ए-आजम) थे। खास बात वह अकबर की मंत्रि परिषद के नौ सलाहकारों में सबसे विश्वस्त और खास थे। उन्हें अकबर के नवरत्नों में भी गिना जाता है।
महेश दास बन गया बीरबल
बीरबल का जन्म भट्टराव ब्राह्मण परिवार में हुआ था वह बचपन से ही तीव्र बुद्धि के थे। प्रारम्भ में ये पान का सौदा बेचते थे। बचपन में उनका नाम महेश दास था। इनकी बुद्धिमानी के हजारों किस्से हैं, जो बच्चों को सुनाए जाते हैं।
माना जाता है कि 1586 में 25 फरवरी को अफगानिस्तान के युद्ध के अभियान में एक बड़ी सैनिक टुकड़ी का नेतृत्व करते हुए बीरबल की मृत्यु हो गयी थी।
जन्म स्थान के बारें में सब गड्डमड्ड
अकबर के इस नवरत्न के जन्म के विषय में अनेक ओपिनियन हैं। कोई उन्हें आगरा का निवासी तो कोई कानपुर के घाटमपुर का, कोई दिल्ली का निवासी और कोई मध्य प्रदेश के सीधी जिले का निवासी बताता है। पर एक बड़ा वर्ग मध्य प्रदेश के सीधी जिले के घोघरा गाँव को बीरबल का जन्मस्थान मानता है। यह बहुत बहादुर भी थे इसीलिए अकबर ने इन्हें "वीर वर" का खिताब दिया, जो आगे चलकर बिगड़ कर बीरबल हो गया।
हर सवाल का जवाब
इनसे कई बार बादशाह अकबर ऐसे सवाल पूछ लिया करते थे जिनका जवाब देना बहुत कठिन होता था किंतु ये सभी सवालों का जवाब आसानी से दे देते थे। वह अकबर के बहुत ही करीबी दोस्त भी थे, सम्राट अक्सर बुद्धि और ज्ञान के लिए इनकी सराहना किया करते थे।
बाद में बीरबल कई अन्य कहानियो, लोककथाओं और कथाओ की एक समृद्ध परंपरा का हिस्सा बन गए। आज उनकी पुण्यतिथि पर बीरबल को नमन।