×

विजय दिवस: सिर्फ 13 दिनों की जंग में टूट गई थी पाक की कमर, टेक दिए थे घुटने

देश के इतिहास में 16 दिसंबर की तारीख काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि इसी दिन विजय दिवस मनाया जाता है। 1971 की भारत पाकिस्तान जंग के दौरान 16 दिसंबर को ही भारत ने पाकिस्तान पर जीत हासिल की थी जिसके बाद बांग्लादेश एक नए राष्ट्र के रूप में सामने आया था।

Monika
Published on: 16 Dec 2020 4:01 AM GMT
विजय दिवस: सिर्फ 13 दिनों की जंग में टूट गई थी पाक की कमर, टेक दिए थे घुटने
X
सिर्फ 13 दिनों की जंग में टूट गई थी पाक की कमर, टेक दिए थे घुटने

लखनऊ: देश के इतिहास में 16 दिसंबर की तारीख काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि इसी दिन विजय दिवस मनाया जाता है। 1971 की भारत पाकिस्तान जंग के दौरान 16 दिसंबर को ही भारत ने पाकिस्तान पर जीत हासिल की थी जिसके बाद बांग्लादेश एक नए राष्ट्र के रूप में सामने आया था। पाकिस्तान ने 3 दिसंबर 1971 को भारत के साथ जंग की शुरुआत तो कर दी थी मगर भारतीय सैनिकों के अदम्य पराक्रम के आगे पाकिस्तान को महज 13 दिनों में ही घुटने टेकने पड़े थे।

पूर्वी पाकिस्तान के लोगों का दमन

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में पाकिस्तान के पूर्वी भाग को लेकर जंग की शुरुआत हुई थी। दरअसल उस समय पाकिस्तान में सैनिक तानाशाह याहिया खां का शासन था और वह अपने ही देश के पूर्वी भाग में रहने वाले लोगों के दमन में जुटा हुआ था।

याहिया खां ने 25 मार्च 1971 को पूर्वी पाकिस्तान की जन भावनाओं को कुचलने का आदेश दे दिया। पूर्वी पाकिस्तान में उस समय चल रहे आंदोलन की अगुवाई शेख मुजीबुर रहमान कर रहे थे और याहिया खां के आदेश पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद भारत सरकार पर भी हस्तक्षेप का दबाव पड़ने लगा।

मानेक शॉ ने दी थी यह सलाह

उस समय देश देश की बागडोर इंदिरा गांधी के हाथों में थी और इंदिरा गांधी ने इस मुद्दे पर तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल मानेक शॉ से बातचीत की। उस समय भारतीय सेना में सिर्फ एक माउंटेन डिवीजन थी और इस डिवीजन के पास भी पुल निर्माण की पूरी क्षमता नहीं थी।

कुछ समय बाद ही मानसून भी आने वाला था। ऐसे में पूर्वी पाकिस्तान में घुसना जोखिम भरा फैसला हो सकता था। जनरल मानेक शॉ ने इंदिरा गांधी को मुकम्मल तैयारी के बाद ही युद्ध के मैदान में उतरने की सलाह दी।

इंदिरा सरकार ने की थी शरणार्थियों की मदद

दरअसल पूर्वी पाकिस्तान को लेकर विवाद बढ़ने के बाद काफी संख्या में वहां के लोगों ने पश्चिमी पाकिस्तान से भी पलायन शुरू कर दिया था। पूर्वी पाकिस्तान से काफी संख्या में लोग भारत में भी शरण देने के लिए आए और इंदिरा गांधी सरकार ने उनकी इस मामले में काफी मदद की। उस समय करीब पूर्वी पाकिस्तान के दस लाख लोगों ने भारत में शरण ली थी। पूर्वी पाकिस्तान में दमनकारी नीतियों के चलते भारत ने उसकी मदद की और भारतीय फौज युद्ध की तैयारियों में जुट गई थी।

पाकिस्तानी वायुसेना का दुस्साहस

3 दिसंबर 1971 के दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी कोलकाता के दौरे पर थी। कोलकाता में उनकी एक जनसभा का आयोजन किया गया था। इसी दौरान पाकिस्तानी वायुसेना ने दुस्साहस दिखाते हुए श्रीनगर, अमृतसर, पठानकोट, जोधपुर व आगरा आदि भारतीय सैन्य हवाई अड्डों पर बमबारी शुरू कर दी। भारतीय सेना ने भी आक्रामक रणनीति तैयार करते हुए पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने की योजना बनाई।

भारतीय सेना का मुंहतोड़ जवाब

पाकिस्तान के हमले के बाद भारतीय सेना पूर्वी पाकिस्तान में बांग्लादेश स्वतंत्रता संग्राम में बंगाली राष्ट्रवादी गुटों के समर्थन के लिए तैयार हो गई। भारतीय सेना की ओर से 4 दिसंबर 1971 को ऑपरेशन ट्राइडेंट शुरू किया गया।

इस ऑपरेशन के तहत भारतीय नौसेना ने बंगाल की खाड़ी में समुद्र की ओर से पाकिस्तानी नौसेना को टक्कर दी तो दूसरी तरफ पश्चिमी पाकिस्तान की सेना का भी डटकर मुकाबला किया। भारतीय नौसेना ने पराक्रम दिखाते हुए 5 दिसंबर 1971 को कराची बंदरगाह पर बमबारी करके उसे पूरी तरह तबाह कर दिया।

बैठक के दौरान उड़ा दी इमारत की छत

भारतीय सेना ने 14 दिसंबर को एक गुप्त संदेश पकड़ा जिससे जानकारी मिली कि ढाका के गवर्नमेंट हाउस में पाकिस्तान के शीर्ष अधिकारियों की बैठक होने वाली है। भारतीय वायुसेना के मिग-21 विमानों ने बैठक के दौरान ही बम गिरा कर उस इमारत की छत उड़ा दी।

13 दिनों में ही टूट गई पाक की कमर

13 दिन तक चले युद्ध के दौरान पाकिस्तान की कमर टूट गई। भारतीय सेना की ओर से की गई ताबड़तोड़ कार्रवाई के करण जनरल नियाजी के नेतृत्व में लगभग 93000 पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया। ढाका में पाकिस्तानी जनरल नियाजी और भारतीय लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा ने दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए।

16 दिसंबर को पाकिस्तानी सेना के बिना शर्त आत्मसमर्पण के साथ ही युद्ध समाप्त हुआ और बांग्लादेश आजाद हो गया। तब से इस दिन को भारत और बांग्लादेश में विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। 1972 के शिमला समझौते के तहत आत्मसमर्पण करने वाले पाकिस्तानी सैनिकों को लौटाया गया।

विजय दिवस पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन

इस बार विजय दिवस पर सरकार की ओर से विभिन्न कार्यक्रमों की योजना तैयार की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज इंडिया गेट पर स्थित अमर जवान ज्योति पर चार मशाल जलाएंगे।

अगले साल 16 दिसंबर तक ये मशाल यात्राएं देश भर में घूमेंगीं और सेना की ओर से विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। दिल्ली से उत्तर, पश्चिम, दक्षिणी और पूर्वी क्षेत्र में अलग-अलग मशाल यात्राएं रवाना की जाएंगी।

अंशुमान तिवारी

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

Next Story