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विश्व डूबने से बचाव दिवस 2021: हर साल कम से कम 236,000 लोग डूबते हैं
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने खुलासा किया है कि पिछले एक दशक में डूबने से 20 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई है...
देश दुनिया में विभिन्न हादसों से होने वाली माैत की बात करें तो इसमें डूबने से हाेने वाली माैत एक प्रमुख कारण है। 25 जुलाई को मनाए जाने वाला पहला विश्व डूबने से बचाव दिवस इसी को समर्पित है। यह वैश्विक कार्यक्रम (global advocacy event) परिवारों और समुदायों पर डूबने के दुखद और गहन प्रभाव को उजागर करने और इसे रोकने के लिए जीवन रक्षक समाधान प्रदान करने के अवसर के रूप में कार्य करता है।
एक दशक में डूबने से 20 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई है
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने खुलासा किया है कि पिछले एक दशक में डूबने से 20 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई है, यह संख्या मातृ स्थितियों या प्रोटीन-ऊर्जा कुपोषण के कारण होने वाली मौतों से अधिक है। 25 जुलाई को मनाए जाने वाले पहले विश्व डूबने से बचाव दिवस से पहले, डब्ल्यूएचओ ने शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा कि हर साल कम से कम 236,000 लोग डूबते हैं और डूबना बच्चों और एक वर्ष की आयु के युवाओं 24 साल तक मृत्यु के 10 प्रमुख कारणों में से एक है.प्रति 100 000 जनसंख्या पर डूबने से होने वाली मौतों की दर पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में सबसे ज्यादा है, इसके बाद अफ्रीकी क्षेत्र का स्थान है।
विश्व डूबने की रोकथाम दिवस 2021 पर वैश्विक
विश्व डूबने से बचाव दिवस को चिह्न्ति करने के लिए, डब्ल्यूएचओ और साझेदार 28 जुलाई को एक वचुर्अल कार्यक्रम की मेजबानी करेंगे, जिसका शीर्षक है "विश्व डूबने की रोकथाम दिवस 2021 पर वैश्विक, राष्ट्रीय और स्थानीय प्रतिबिंब।"
24 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों और युवाओं के मौत के 10 प्रमुख
अनुमानित 236,000 लोग हर साल डूबते हैं और डूबना 1-24 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों और युवाओं के मौत के 10 प्रमुख कारणों में से एक है। 90% से अधिक डूबने से होने वाली मौतें निम्न और मध्यम आय वाले देशों में नदियों, झीलों, कुओं और घरेलू जल भंडारण जहाजों की वजह से होती हैं।
निम्नलिखित उपाय डूबने से बचाये जा सकते हैं
पानी तक पहुंच को नियंत्रित करने वाले अवरोधों को स्थापित करना। बच्चों को पानी से दूर सुरक्षित स्थान उपलब्ध कराना। तैराकी, जल सुरक्षा और बचाव कौशल सिखाना, सुरक्षित नौका विहार, नौवहन (shipping) और नौका विनियमों (ferry regulations)को लागू करना।
बाढ़ जोखिम प्रबंधन में सुधार करना
डैम के खतरनाक हिस्सों को चिन्हित किया जाए,जो दुर्घटना का कारण बने हुए है। साथ ही, नगर निगम की ओर से सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किये जाएं और उन्हें चिन्हित किये जायें और संकेतक व चेतावनी बोर्ड पर लिखे जाए ,कहां कितनी गहराई है, इसकी जानकारी अंकित होनी चाहिये।
भारत मे डूबने से मौतें और सरकार की कोशिशें
जानकार बताते हैं कि प्रदेश में हर वर्ष इस तरह डूबने से 200-250 लोगों की मृत्यु हो जाती है। कई परिवारों को अचानक कमाऊ सदस्य खो देना पड़ता है और कई परिवारों का भविष्य ही अंधकारमय हो जाता है। मगर, राज्य आपदा घोषित न होने से सरकार ऐसे परिवारों को किसी तरह की आर्थिक सहायता नहीं कर पाती है।प्रदेश में नाव दुर्घटना के बाद डूबने, बोरवेल में गिरने और सीवर सफाई के दौरान मृत्यु पर तो मुआवजे की व्यवस्था है लेकिन नदी, तालाब, नहर, नाले व गड्ढे में डूबने से मृत्यु पर मुआवजे की व्यवस्था नहीं है। हर वर्ष इस तरह की बड़ी संख्या में मृत्यु हो रही है। अब इस तरह की मृत्यु को भी आर्थिक सहायता के दायरे में लाने की जरूरत महसूस की जा रही है। शासन स्तर पर इस पर विचार विमर्श शुरू हो गया है। राज्य आपदा घोषित होने पर पीड़ित परिवारों को 4-4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जा सकेगी। बिहार में इस तरह की घटनाएं राज्य आपदा के दायरे में हैं।