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देपसंग में घुसी चीनी सेनाः भारत के लिए इसलिए बहुत महत्वपूर्ण है ये क्षेत्र

अगर चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ कोई बदलाव किया तो हमारे लिए वह नुकसानदेह होगा। देपसंग में भारत अपनी मौजूदगी से ही चीन के अलावा पाकिस्तान को अपनी जद में रख सकता है।

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Published on: 19 July 2020 5:45 AM GMT
देपसंग में घुसी चीनी सेनाः भारत के लिए इसलिए बहुत महत्वपूर्ण है ये क्षेत्र
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नई दिल्ली। लद्दाख की विशाल, बंजर, और ठंडी ऊंचाइयों में आवागमन आसान नहीं होता। पथरीली जमीन, ऊंची-नीची सतह, पानी का जगह जगह बहाव ये सब ऐसी वझें हैं जिनके कारण यहाँ ज़्यादातर जगह सपाट सड़क नहीं है। लद्दाख में एक पथरीला मैदान है देपसंग, जो सामरिक निगाह से अत्यंत महत्वपूर्ण दौलत बेग ओल्दी से 30 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में है और इस मैदान पर अब चीन ने निगाह गड़ा दी है। पैंगोंग झील के पास चीनी मौजूदगी चर्चा में काफी रही है लेकिन देपसंग इलाके में चीनी मौजूदगी पर उतना ध्यान नहीं गया है। जबकि ये इलाका सामरिक दृष्टि से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है।

देपसंद मैदान

गलवान घाटी, हॉट स्प्रिंग्स और पैंगोंग त्सो में तनाव तो चल ही रहा है लेकिन इसी बीच चीनी सेना उत्तरी इलाके में वास्तविक नियंत्रण रेखा पार करके सामरिक क्षेत्र देपसंद के मैदानों में घुस आई है। चीन की ये हरकत विवादित सीमा को पश्चिम में और भी आगे बदलने के इरादे से की गई है।

दौलत बेग ओल्दी की महत्वपूर्ण हवाई पट्टी से 30 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में देपसंग प्लेन्स या बॉटलनेक या वाई जंक्शन नमक इलाके में चीनी सेना बड़ी संख्या में आ गई है जिसमें सैनिकों की टुकड़ियाँ, भारी वाहन और सैन्य उपकरण शामिल हैं।

इसे बॉटलनेक इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये पूरी पथरीली, ऊबड़ खाबड़ जमीन है जिस कारण देपसंग प्लेन्स में वाहनों की आवाजाही नहीं हो पाती है। अप्रैल 2031 में भी चीनी सेना ने इसी इलाके में घुस कर तम्बू लगा दिये थे।

देपसंग प्लेन्स का बॉटलनेक इलाका भारतीय पक्ष की वास्तविक नियंत्रण रेखा से 15 किलोमीटर की दूरी पर है जबकि चीन पाँच किलोमीतार और आगे तक अपना दावा ठोंकता है। ये लोकेशन लद्दाखी कस्बे बुरत्से से सात किलोमीटर दूरी पर है।

ये जगह 255 किलोमीटर लंबी दरबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्दी सड़क पर स्थित है। यहाँ भारतीय सेना की एक चौकी भी स्थित है।

चीन के लिए महत्वपूर्ण

भारत के लिए देपसंग प्लेन्स सामरिक दृष्टि से ज्यादा महत्वपूर्ण है। लेकिन चीन की मौजूदगी इतनी ज्यादा है कि भारतीय सेना यहाँ गश्त भी नहीं कर पा रही। देपसंग का मसला भारत ने चीन के साथ बातचीत के कई दौर के बाद उठाया है।

चीन ने अगर इस इलाके पर कब्जा कर लिया तो दौलत बेग ओल्दी के पास के महत्वपूर्ण इलाकों में भारत का प्रवेश बंद हो जाएगा। इसके अलावा चीन दरबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्दी सड़क के काफी करीब तक पहुँच जाएगा।

सेना के पूर्व उत्तरी कमांडर रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हूदा के अनुसार भारत के लिए सामरिक और रणनीतिक दृष्टि से पैंगोंग झील से ज्यादा महत्वपूर्ण इलाका देपसंग का है। दौलत बेग ओल्दी हवाई पट्टी और काराकोरम क्षेत्र तक भारत की पहुँच के लिए ये इलाका हमारे लिए बहुत जरूरी है।

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अगर चीन ने वस्त्व्विक नियंत्रण रेखा के साथ कोई बदलाव किया तो हमारे लिए वह नुकसानदेह होगा। देपसंग में भारत अपनी मौजूदगी से ही चीन के अलावा पाकिस्तान को अपनी जद में रख सकता है।

शिंजियांग और तिब्बत

चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा को पश्चिम की तरफ और धकेलने के साथ अपनी पश्चिमी हाईवे को और सुरक्शित कर लेना चाहता है। ये हाई वे चीन के शिंजियांग को तिब्बत से जोड़ती है। भारत जितना इस हाइवे के करीब होगा चीन को उतना ही खतरा लगता है।

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इसी लिए वो दूर तक कब्जा करके स्थिति को अपने लिए अनुकूल करना चाहता है। देपसंग इलाका कई वर्षों से दोनों पक्षों के बीच विवादित रहा है।

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