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'बिगड़े दिल शहजादे' थे सिद्धू, अपनी मेहनत के दम पर पाया मुकाम
पूर्व भारतीय क्रिकेटर 'नवजोत सिंह सिद्धू' का आज ही के दिन पटियाला (पंजाब) में 1936 को जन्म हुआ। क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद उन्होंने क्रिकेट के लिए कमेंट्री में भी हाथ आजमाया। फिलहाल, ये राजनीति में सक्रिय हैं।
शाश्वत मिश्रा
लखनऊ: पूर्व भारतीय क्रिकेटर 'नवजोत सिंह सिद्धू' का आज ही के दिन पटियाला (पंजाब) में 1936 को जन्म हुआ। क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद उन्होंने क्रिकेट के लिए कमेंट्री में भी हाथ आजमाया। फिलहाल, ये राजनीति में सक्रिय हैं।
सिद्धू के पिता शुरुआत से ही उनको क्रिकेटर बनते देखना चाहते थे और बचपन में सिद्धू को 'बिगड़े दिल शहजादे' बोला जाता था। बड़ी बहनों के लाडले घर के सबसे छोटे और बेहद शरारती थे सिद्धू। उनके पिता सरदार भगवंत सिंह भी क्रिकेटर और पटियाला में बैरिस्टर थे। इनकी मां निर्मल संधु एक हाउसवाइफ थी।
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क्रिकेट से परहेज
कपिल देव ने अपने एक इंटरव्यू में बताया, शैरी जिनको सिद्धू भी बोलते हैं वह बचपन में क्रिकेट से बहुत दूर भागते थे और 14 साल की उम्र तक उनको पढ़ने के अलावा और कुछ नहीं आता था।
जब भी कपिल और सिद्धू पटियाला में मैच खेलने जाते थे तो 'पंजाबी खाने' के शौकीन कपिल देव खाने के चक्कर में अक्सर सिद्धू के खेल की झूठी तारीफ भी करते थे।
सिद्धू ने एक इंटरव्यू में यह बात कुबूल की। उन्होंने कहा, 'जब उनके पिता सुबह 4:00 बजे उनको रनिंग पर भेजते थे, तो नौकरों को हर हफ्ते ₹20 घूस देकर वह दूसरे कमरे में सो जाते थे और उनके आने पर पानी की बूंदों से अपना शरीर भीगा कर रनिंग से आने का बहाना करते थे।'
अपने पिता के बेहद करीब होने के कारण ही उन्होंने क्रिकेट में अपनी पहचान भी बनाई। 1983 में शेरी ने वेस्टइंडीज के खिलाफ पहला मैच खेला, जिसमें वह 19 रन बनाकर आउट हो गए। तब उन्हें इस मुकाम का अंदाजा नहीं था, लेकिन अपनी लापरवाही के चलते अगले मैच में उनको नहीं चुना गया। तब इंडियन एक्सप्रेस के जाने-माने पत्रकार राजन बाला ने सिद्धू पर "The stroke less wonder" आर्टिकल लिखा, जिसमें जमकर उनके खेल का मजाक बनाया गया।
सिद्धू ने खुद इस पल को उनकी जिंदगी का 360 डिग्री से पलटी मारने वाला पल कहा है। 4 साल तक उन्होंने खुद को साबित करने के लिए कड़ी मेहनत की। उन 4 सालों में हर दिन वह 300 छक्का लगाते थे, तब लोग उन्हें 'सिक्सर सिद्धू' भी कहने लगे थे।
1987 का साल था, जब उन्होंने वर्ल्ड कप में 5 मैच खेले और चार में अर्धशतक लगाए। चार मैच में 9 छक्के लगाने वाले वह पहले भारतीय बल्लेबाज हैं और उनकी शानदार पारी लोगों को आज तक याद है। यह उनकी मेहनत का ही नतीजा था कि इंडियन एक्सप्रेस ने ही सन् 1987 में उन्हें "palm guru hitter" का आर्टिकल लिखा।
सिद्धू राइट हैंडेड बैट्समैन हैं, इन्होंने तीन बार 1993, 1994 और 1997 में 500 से ज्यादा टेस्ट रन बनाएं। 1994 में वेस्टइंडीज के दौरे पर कुल एकदिवसीय मैच में अकेले 884 रन बनाए और 5 शतक लगाने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज बनें। इन्होंने सन 1983 से 1999 पूरे 17 साल तक क्रिकेट खेला। 1999 में सिद्धू ने क्रिकेट से संन्यास लिया।
navjot singh sidhu (Photo by social media)
क्रिकेट कमेंटेटर और टीवी शो में चर्चित
क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद साल 2001 में शेरी ने पहली बार नींबू से स्पोर्ट्स के लिए बतौर कमेंटेटर काम किया। इन्होंने टेन स्पोर्ट्स, ईएसपीएन स्पोर्ट्स और IPL 2014 में भी बतौर कमेंटेटर अपनी पहचान बनाई।
एक इंटरव्यू में सिद्धू ने खुद बोला था, 'लोगों ने उनको तुकबंदी का बेकार बादशाह कहा है क्योंकि लोगों को उनकी कमेंट्री में कोई सेंस नहीं दिखता है।'
कमेंट्री छोड़ उन्होंने बतौर जज 'द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज' में भी काम किया है। रियल्टी शो 'बिग बॉस-6' में भी कंटेस्टेंट रहे। सबसे ज्यादा सुर्खियां इन्होंने कपिल शर्मा शो से बटोरी।
बताया जाता है कि साल 2019 में सोनी टीवी ने खुद सिद्धू को इस शो से बाहर किया, क्योंकि पुलवामा टेरर अटैक में पाकिस्तान की नाकाम कोशिशों का सिद्धू ने समर्थन किया था। इन्होंने पंजाबी फिल्मों में भी काम किया है।
फिल्मों जैसी लव स्टोरी
रंगीन मिजाज सिद्धू अक्सर लड़कियों के चक्कर में अपनी प्रैक्टिस पर भी नहीं जाया करते थे। इनकी पत्नी का भी नाम नवजोत कौर है। वह डॉक्टर होने के साथ ही राजनीति में भी सक्रिय है। सिद्धू, नवजोत कौर का कॉलेज से लेकर घर तक पीछा किया करते थे, करीब 2 साल तक पीछा करने के बाद नवजोत कौर सिंह से दोस्ती हुई।
सिद्धू ने प्यार का इजहार भी कुंडली मिलने के बाद किया। इनकी शादी पटियाला में सिख रीति-रिवाजों से हुई। लोगों को इनकी शादी की न्यूज़ सोशल मीडिया और प्रिंट मीडिया से मिली, क्योंकि दोनों ने बहुत सीक्रेट तरह से शादी की। अब सिद्धू की एक बेटी राबिया और एक बेटा करण है।
राजनीति में आजमाया हाथ
साल 2004 में भाजपा के टिकट पर अमृतसर से लोकसभा चुनाव जीता और राजनीति में एंट्री की। साल 2006 में चले पुराने मुकदमे के अंदर सिद्धू को गैर इरादतन हत्या के लिए 3 साल कैद की सजा सुना गई। जिसकी वजह से साल 2007 में उनको त्यागपत्र देना पड़ा। उच्चतम न्यायालय ने सजा पर रोक लगाते हुए साल 2007 में उनको दोबारा चुनाव लड़ने की इजाजत दी।
साल 2004 से 2016 तक भाजपा ने लगातार सिद्धू को अमृतसर से टिकट दी और साल 2016 में उनको मेंबर ऑफ पार्लियामेंट भी चुना गया। पर 3 महीने के अंदर ही उन्होंने भाजपा से इस्तीफा दे दिया और कहा-'वह पंजाब के लिए काम करना चाहते हैं।'
सुर्खियों में यह भी रहा कि भाजपा छोड़ने का उनका मकसद पंजाब के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनना था। उन्होंने साल 2017 में कांग्रेस ज्वाइन की और फिर उनको इलेक्शन में जीत हासिल हुई।
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अक्सर सिद्धू अपनी पहली राजनीतिक पार्टी भाजपा को तंज कसने की वजह से लाइमलाइट में रहते हैं। कभी अपनी रैलियों में भाजपा को 'काले अंग्रेज' कहते हैं तो कभी हिटलर से तुलना करते हैं। साल 2019 की चुनावी रैलियों में धर्म के आधार पर वोट मांगने की राजनीति पर भी सिद्धू की जमकर आलोचना हुई।
फिलहाल, नवजोत सिंह सिद्धू आगामी मध्य प्रदेश उपचुनाव के स्टार प्रचारक की सूची में शामिल हैं और लाइमलाइट में रहेंगे।
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