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हैप्पी बर्थडे मेसी: जब होते हैं मैदान में तो हारी बाजी को पलट देते हैं खेल से

अर्जेंटीना और बार्सिलोना के दिग्गज स्ट्राइकर महान फुटबॉलर लियोनेल मेस्सीआज अपना  जन्म दिन मना रहे है।  भारतीय फुटबॉल प्रेमियों ने अपने-अपने अंदाज में उन्हें विश किया। किसी ने उनके रिकॉर्ड की बात की तो किसी ने उनके बेस्ट गोल्स के वीडियो शेयर किए। साल 1987 अर्जेंटीना के रोजारियो शहर मेसी का जन्म हुआ था।

suman
Published on: 24 Jun 2020 1:28 PM GMT
हैप्पी बर्थडे मेसी: जब होते हैं मैदान में तो हारी बाजी को पलट देते हैं खेल से
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नई दिल्ली: अर्जेंटीना और बार्सिलोना के दिग्गज स्ट्राइकर महान फुटबॉलर लियोनेल मेसी आज अपना जन्म दिन मना रहे है। भारतीय फुटबॉल प्रेमियों ने अपने-अपने अंदाज में उन्हें विश किया। किसी ने उनके रिकॉर्ड की बात की तो किसी ने उनके बेस्ट गोल्स के वीडियो शेयर किए। साल 1987 अर्जेंटीना के रोजारियो शहर मेसी का जन्म हुआ था। उस वक्त अर्जेंटीना ने 1986 में ​फीफा विश्व कप का खिताब जीता था, उसके एक साल बाद ही, 24 जून 1987 को रोजारियो शहर में जन्म हुआ इस सदी के महान फुटबॉलर्स लियोनल एंड्रेस मेसी का। मेसी ने एक खतरनाक बीमारी को मात देकर फुटबॉल की दुनिया में नाम कमाया व सितारा बन गया...

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लियोनेल मेस्सी की दादी ने संवारा

लियोनल मेसी ने मात्र 6 साल की उम्र में रोजारियो के 'न्यूएल्स ओल्ड बॉयज क्लब' के साथ फुटबॅल खेलना शुरू कर दिया था। मेसी के पिता ही उनके पहले कोच थे, लेकिन उनके खेल पर सबसे ज्यादा असर उनकी दादी ने डाला। वही मेसी को ट्रेनिंग के लिए ले जातीं थीं। छह साल की उम्र में ही मेसी की प्रतिभा सबको दिखने लगी थी। लियोनल मेसी के प्रदर्शन का असर इस कदर था कि जिस टीम के लिए वह खेलते थे, उसका नाम उनके जन्म वाले साल पर 'द मशीन ऑफ 87' रख दिया गया।

कम उम्र में खेला खेल

कहते है कि छोटी सी उम्र में ही लियोनल मेसी का गेंद पर नियंत्रण ऐसा था कि वह 15-15 मिनट तक बिना रुके अपने दोनों पैरों से जगलिंग किया करते थे। इस दौरान एक बार भी गेंद उनके पैरों से नीचे नहीं गिरने पाती थी। लोग उन्हें भविष्य का फुटबॉलर कहने लगे थे। लेकिन लियोनल मेसी जब 10 साल के थे, तो उन्हें 'ग्रोथ हार्मोन डिफिशिएंसी' हो गया। इसका मतलब था कि अगर उनका जल्द इलाज नहीं किया गया तो उनके शरीर का विकास रुक जाता। इस बीमारी का इलाज बहुत खर्चीला था और उनके परिवार के लिए इसका खर्च उठाना मुमकिन नहीं था।

अब लियोनल मेसी बार्सिलोना क्लब के प्रसिद्ध 'ला मासिया एकेडमी' का हिस्सा बन गए थे। मात्र 17 साल की उम्र में वह बार्सिलोना की ओर से फुटबॉल लीग्स में खेलने लगे थे। इसके बाद जो हुआ, वह फुटबॉल के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो चुका है। फुटबॉल की दुनिया को कद में छोटा मगर प्रतिभा का पहाड़ मिला। लियोनेस मेसी मैदान पर कई इतिहास रचते चले गए।

लियोनल मेसी जब मैदान पर उतरते हैं तो गेंद के साथ उनकी जुगलबंदी कुछ ऐसी ही होती है, देखने वाले देखते रह जाते हैं। चीते की तरह तेज, दुनिया के बेहतरीन डिफेंडर्स को चकमा देकर गेंद को गोलपोस्ट में डालने की अद्धभुत क्षमता मेसी में है। जब गेंद उनके पैरों से लगती है, उनके इशारों पर नाचने लगती है। मेसी के बार में कहा जाता है कि वह मेहनत भी उतनी ही करते हैं। वह ट्रेनिंग सेशन में सबसे पहले मैदान पर पहुंचते हैं और पूरी टीम के जाने के बाद ही लौटते हैं।



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टीम की हार को जीत मे बदल देते

लियोनल मेसी का फुटबॉल के प्रति लगाव और जुनून किस कदर है, कि एक बार घरेलू टूर्नामेंट में उन्हें हिस्सा लेना था, लेकिन मैच से पहले वह गलती से खुद को बाथरूम में लॉक कर बैठे। उन्होंने दरवाजा खोलने का प्रयास किया, लेकिन जब सफल नहीं हुए तो बाथरूम की खिड़की का शीशा तोड़कर बाहर निकले और जल्दी से मैदान पर पहुंचे। हाफटाइम तक उनकी टीम 1-0 से पीछे थी और संघर्ष कर रही थी। हाफटाइम के बाद मेसी जब मैदान पर उतरे तो मैच का पासा पलट गया। उनके मैदान पर आने के बाद विरोधी टीम एक भी गोल नहीं कर सकी और मेसी ने तीन गोल दागते हुए अपनी टीम को 3-1 से जीत दिला दिया।

मेसी ने जब 2012 में गेरार्ड मुलर के एक सीजन में सबसे अधिक गोल का रिकॉर्ड तोड़ा था, तो अगले दिन मुलर को मेसी ने एक तोहफा भेजा। बार्सिलोना की 10 नंबर की जर्सी पर लिखा था- 'सम्मान और आदर के साथ'। मेसी वर्षों से यूनिसेफ के गुडविल एंबेसडर हैं। वह 'ऑटिज्म' की बीमारी से ग्रसित लोगों की मदद के लिए भी काम करते हैं। मेसी जब भी गोल करते हैं तो अपना दोनों हाथ हवा में ल​हराकर आसमान की ओर इशारा करते हैं। यह अपनी दादी के प्रति उनकी श्रद्धांजलि होती है।फुटबॉल का हर गोल वो ऐसा करे कि दुनियाभर में लोग उसके दीवान हो जाए,उनका नाम एक जगमगाता रहे।

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