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Indian Cricket Team: भारतीय क्रिकेट टीम के ऐतिहासिक यादगार पल, आइये जाने विस्तार से

Indian Cricket Team Iconic Moments: भारतीय क्रिकेट में पहला ऐतिहासिक पल 1971 में अजीत की कप्तानी में वेस्टइंडीज और इंग्लैंड में सीरीज जीतने के साथ आया। यही वह समय था जब महान क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने विजय पाया। साल 1983 में वर्ल्ड कप जीतने के साथ, कपिल देव और उनके टीम के लोगों ने देश में क्रिकेट के दृष्टिकोण को हमेशा के लिए बदल कर रख दिया।

Yachana Jaiswal
Published on: 4 Aug 2023 5:33 PM IST
Indian Cricket Team: भारतीय क्रिकेट टीम के ऐतिहासिक यादगार पल, आइये जाने विस्तार से
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Indian cricket team (Pic Credit -Social Media)

Indian Cricket Team Iconic Moments: भारत को स्वतंत्रता मिले आज 75 साल हो गए हैं। इन साढ़े सात दशकों में देश में कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन तब से भारत में क्रिकेट का विकास ही हुआ है। सिर्फ क्रिकेट ही नहीं, हर खेल ने भारत में विकास की राह पकड़ी और इतिहास रचते हुए देखा गया है। इसका सबसे ताजा उदाहरण बर्मिंघम में हाल ही में हुआ, राष्ट्रमंडल खेल 2022 था, जहां भारत चौथे स्थान पर रहा और 22 गोल्ड सहित अविश्वसनीय 61 पदक जीते है। भारतीय क्रिकेट टीम ने अपना टेस्ट डेब्यू 1932 में किया था। टीम को अपनी पहली टेस्ट जीत 1952 में चेन्नई में इंग्लैंड के खिलाफ लगभग बीस साल बाद मिली। भारतीय क्रिकेट में पहला ऐतिहासिक पल 1971 में अजीत की कप्तानी में वेस्टइंडीज और इंग्लैंड में सीरीज जीतने के साथ आया। यही वह समय था जब महान क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने विजय पाया। साल 1983 में वर्ल्ड कप जीतने के साथ, कपिल देव और उनके टीम के लोगों ने देश में क्रिकेट के दृष्टिकोण को हमेशा के लिए बदल कर रख दिया। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय क्रिकेट ने कुछ स्मरणीय और ऐतिहासिक पल का अनुभव किया है।
भारत के अमृत महोत्सव के काल में हम स्वतन्त्रता से अबतक का भारतीय क्रिककेट के यादगार पल देखते है -

साल 1971 में, भारत का वेस्ट इंडीज और इंग्लैंड में पहली बार विदेशी टेस्ट सीरीज़ में खिताब जीतना

इसमें कोई शक नहीं कि 1983 विश्व कप जीत तक यह भारत का सबसे बड़ा क्रिकेट का पल था। यह भारत के टेस्ट क्रिकेट इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि में से एक है। वेस्टइंडीज और इंग्लैंड के खिलाफ जीत भारत की नंबर 1 टेस्ट टीम बनने के 38 साल के सफर में महत्त्वपूर्ण कदम था। अजित वाडेकर की टीम ने कैरेबियन में पांच मैचों की सीरीज में महान सर गैरी सोबर्स की कप्तानी वाली वेस्टइंडीज को उनके ही मेजबानी में 1-0 से हराया। फिर रे इलिंगवर्थ की पावरफुल एशेज विजेता टीम को तीन मैचों की टेस्ट सीरीज में 1-0 से हराया।
भारत ने इस मैच में, ओवल में तीसरे टेस्ट की दूसरी पारी में इंग्लैंड को 101 रन पर ऑल आउट कर दिया, और भारत ने अंततः चौथी पारी में 170+ का पीछा करते हुए मैच जीत लिया। इंग्लैंड में भारत ने अपनी पहली टेस्ट सीरीज़ में जीत हासिल की।

भारत के नाम पहला वर्ल्ड कप साल 1983 में

क्रिकेट इतिहास में भारत का पहला वर्ल्ड कप जीत दूसरे सभी खिताब में से सबसे अहम है। इस जीत ने भारतीय क्रिकेट के लिए एक नए युग की शुरुआत की। 25 जून 1983 को लॉर्ड्स में कपिल देव की टीम ने सभी क्रिकेट एक्सपर्ट को गलत साबित करते हुए उस समय सबसे पावरफुल टीम वेस्ट इंडीज को 43 रनों से हराकर वर्ल्ड कप जीत लिया। भारत को टूर्नामेंट जीतने की उम्मीद नहीं थी, लेकिन टीम लड़ती रही और जिम्बाब्वे के खिलाफ इस टूर्नामेंट में कपिल देव की शानदार 175 रन की पारी के बाद कई रिकॉर्ड टूट गए।

भारत का मिनी वर्ल्ड कप में जीत- 1985

1983 में वर्ल्ड कप जीतने के दो साल बाद,भारत ने ऑस्ट्रेलिया में "मिनी-वर्ल्ड कप" टूर्नामेंट में भाग लिया, जिसमें सभी टॉप नेशनल टीमों जिनमें भारत, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड , पाकिस्तान, न्यूजीलैंड, श्रीलंका और वेस्ट इंडीज शामिल थे। 1983 वर्ल्ड कप फाइनल में वेस्ट इंडीज पर अपनी शानदार जीत के बावजूद, भारतीय टीम इस मैच को जीतने के लिए कमजोर टीमों में गिनी जाती थी। इसके पीछे कारण था, 1983 वर्ल्ड कप में जीत के बाद और ऑस्ट्रेलिया में आने से पहले, वे लगातार तीन सीरीज हार चुके थे। लेकिन सुनील गावस्कर की प्रतिभा के योगदान से भारत ने फाइनल में पाकिस्तान को 8 विकेट से हराकर अविश्वसनीय जीत हासिल की।

ऑस्ट्रेलिया में साल 2001 में टेस्ट सीरीज में जीत

मार्च 2001 में कोलकाता के ईडन गार्डन में, सौरव गांगुली को कप्तानी में भारत ने सबसे यादगार टेस्ट मैचों में से एक में जीत हासिल की । उस समय, स्टीव वॉ के नेतृत्व में, ऑस्ट्रेलिया डोमेस्टिक और विदेशी दोनों कंडीशन में हावी था। 15 मैचों की जीत का लय बना हुआ था। जिसे भारत के खिलाफ पहला टेस्ट जीतकर 16 में बदल दिया।
उस दौरान भारतीय क्रिकेट अभी भी मैच फिक्सिंग मामले से जूझ रही थी। वॉल द्रविड़ की 180 और वीवीएस लक्ष्मण की 281 रन की पारी, जो किसी भारतीय की अब तक की सबसे बड़ी टेस्ट पारीयों में से एक थी, ने सीरीज़ का रुख ही बदल कर रख दिया। भारत ने कोलकाता में सभी परेशानियों को पार करते हुए चेन्नई में दूसरी जीत दर्ज की और सीरीज 2-1 से जीत ली।

भारत बनाम इंग्लैंड, नेटवेस्ट ट्रॉफी फाइनल में जीत साल 2002

कुछ तस्वीरें ऐसी होती हैं जो हमेशा आपके साथ रहती हैं और लॉर्ड्स की बालकनी पर अपनी शर्ट घुमाते हुए सौरव गांगुली की तस्वीर एक ऐसा ही पल रहा। जिसने भारतीय क्रिकेट के इतिहास में अपनी जगह बना ली है। अपनी शर्ट उतारने और लॉर्ड्स में नाचने का सोचना, जहां लोग ब्लेज़र, टाई और टोपी पहने रहते है। लेकिन फिर भी यह गांगुली थे, जिन्होंने ऐसा किया है। नेटवेस्ट ट्रॉफी का फाइनल चल रहा था जिसमें श्रीलंका भी शामिल था। इंग्लैंड ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए, 50 ओवर में 5 विकेट पर 325 रन बना लिए थे। भारत ने अपना जवाब देना शुरू किया, तो गांगुली और वीरेंद्र सहवाग के बीच शतकीय ओपनिंग साझेदारी ने विपक्ष को डरा दिया। जब सचिन 14 रन पर आउट हुए और 146 के स्कोर पर पाँचवाँ विकेट गिरा। तब उम्मीद भी टूटती नजर आ रही थी। फिर युवराज के 69 रन पर आउट होने से पहले उन्होंने 121 रन की साझेदारी की। टारगेट में अभी भी 59 रन बाकी था। फिर भारत के खिलाड़ियों ने खेलते हुए, तीन गेंद रहते ही दो विकेट से मैच जीत लिया।

साल 2007 में भारत के नाम पहला T20I वर्ल्ड कप

T20I क्रिकेट एक नया फॉर्मेट था। इस फॉर्मेट का पहला विश्व कप दक्षिण अफ्रीका में आयोजित किया गया था। एमएस धोनी एक युवा कप्तान के नेतृत्व में भारत ने पाकिस्तान से 5 रन से टूर्नामेंट जीतकर हैरान कर दिया। फाइनल में गौतम गंभीर के 75 रनों की शानदार पारी खेलकर टीम को पहली पारी में 157/5 के स्कोर तक पहुंचाया। पाकिस्तान छोटे अंतराल पर विकेट गवाता रहा। पाकिस्तान को अंतिम ओवर में केवल 13 रन चाहिए थे। इस समय सिर्फ एक विकेट बचा था। वो भी धोनी के सूझ बूझ से पाकिस्तान गवा बैठी। और भारत यह खिताब जीत गया।

भारत का पहली बार 2009 में ICC टेस्ट टीम रैंकिंग में नंबर 1 स्थान पर आना

आईसीसी टेस्ट रैंकिंग जून 2003 में शुरू की गई। इन टीमों की रैंकिंग में भारत ने पहली बार 6 दिसंबर 2009 को टॉप पोजिशन हासिल किया।
मुंबई के ब्रेबॉर्न स्टेडियम में श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट मैच की जीत के साथ लगातार चौथी सीरीज जीतने के बाद, एमएस धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने बेस्ट रैंक हासिल किया। जिसके बाद टीम 2011 तक इस पोजीशन पर बनी रही, फिर 2016 में टीम इंडिया ने इस स्थान पर कब्जा कर लिया।

साल 2011 में भारत का वर्ल्ड कप में दूसरा जीत

पहले विश्व कप जितने के बाद 28 साल बाद, भारत ने वर्ल्ड कप के सूखे को तोड़ने में कामयाबी पाई। जब साल 2011 में मुंबई में वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल में श्रीलंकाई टीम को हराया। एमएस धोनी के कप्तानी में, भारत ने दूसरी बड़ी जीत हासिल की थी। जीतने के लिए 275 रनों का पीछा करते हुए, भारत ने अपने प्रमुख खिलाड़ियों वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर को जल्दी खो दिया। गौतम गंभीर और विराट कोहली ने आउट होने से पहले 83 रनों की साझेदारी की। धोनी ने खुद को बैटिंग लाइनअप में आगे बढ़ाया और गंभीर के साथ चेज़ में शामिल हो गए।
दोनों ने रिकॉर्ड 109 रन की साझेदारी की लेकिन गंभीर ने अपना विकेट गंवा दिया और शतक से तीन रन पीछे रह गये। धोनी ने अंत में शानदार छक्का लगाकर जीत हासिल की।

साल 2013 में एमएस धोनी के कप्तानी में चैंपियंस ट्रॉफी में मिली जीत

भारत 2013 में इंग्लैंड के खिलाफ पहली बार चैंपियंस ट्रॉफी जीतने में कामयाब रहा। इस खिताब के बाद एमएस धोनी तीनों आईसीसी ट्रॉफी जीतने वाले इकलौते कप्तान बन गए। भारत ने साउथ अफ्रीका को हराकर टूर्नामेंट का शुरुआती मैच जीता। फिर लगातार मैच में सुधार करते हुए फाइनल में इंग्लैंड को हरा दिया। भारत के 125 रन का पीछा करते हुए इंग्लैंड अंतिम ओवर तक पहुंच गई। जहां इंग्लैंड को अंतिम छह गेंदों पर जीत के लिए 14 रनों की जरूरत थी। अश्विन गेंदबाजी कर रहे थे। इस गेंदबाज ने भारत को जीत दिलाई।

साल 2020 में भारत के एक क्रिकेट युग का अंत, धोनी का संन्यास

भारत दो साल पहले अपना 73वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा था जब महान कप्तान एमएस धोनी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास की घोषणा करके पूरे देश को चौंका दिया था।
धोनी ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट में लिखा, "आपके समर्थन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। 1929 घंटे से मुझे सेवानिवृत्त समझें", जिसमें उनके पसंदीदा गीत मैं पल दो पल का शायर हूं के साथ फोटोज़ में उनके करियर का एक वीडियो भी शामिल था। एमएस धोनी क्रिकेट के इतिहास में सभी आईसीसी ट्रॉफी जीतने वाले इकलौते कप्तान हैं। उनकी कप्तानी में, भारत ने 2007 आईसीसी वर्ल्ड 20–20, 2010 और 2016 एशिया कप, 2011 आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप और 2013 आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी जीती। सीमित ओवरों के क्रिकेट में सबसे ग्रेट फिनिशरों में से एक है।

तकलीफों के आगे देश, ऑस्ट्रेलिया से भारत ने 2-1 से टेस्ट सीरीज़ में जीता।

यह ऑस्ट्रेलिया में एक अनोखी टेस्ट सीरीज जीत थी जिसने सभी परेशानियों को पार कर जीत मिली। यह ऐसा टेस्ट सीरीज था जब पहले टेस्ट में 36 रन पर ऑलआउट होने, उनके परमानेंट कप्तान विराट कोहली के अवकाश पर थे और टीम के टॉप गेंदबाज लगातार इंजर्ड होने के बाद टीम की परेशानियां बढ़ती जा रही थी। उस समय की जीत उप-कप्तान अजिंक्य रहाणे के व्यवहार और मोहम्मद सिराज, शुभमन गिल, ऋषभ पंत जैसे कई नए खिलाड़ियों और कुछ अन्य लोगों के असाधारण पारियों से संभव हो पाया था। जिन्होंने जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली और जीत दिलाया। यह जीत हर क्रिकेट फैंस को आने वाले समय में याद रहेगी। चार मैचों की सीरीज पर एक डॉक्यूमेंट्री भी बनाया गया था क्योंकि यह बहुत ही खास था।



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Yachana Jaiswal

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