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जब लॉर्ड्स के मैदान पर गांगुली ने दिखाई दादागिरी, बन गया इतिहास
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और वर्तमान में बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली आज यानी 8 जुलाई को 48 साल के हो गए ।कहते हैं कि सौरव गांगुली ने भारतीय क्रिकेट को अर्श तक पहुंचाया। उसे एक ऐसी राह दिखाई, जिसके बाद टीम इंडिया की दशा, दिशा और सोच पूरी तरह बदल गई।
नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और वर्तमान में बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली आज यानी 8 जुलाई को 48 साल के हो गए ।कहते हैं कि सौरव गांगुली ने भारतीय क्रिकेट को अर्श तक पहुंचाया। उसे एक ऐसी राह दिखाई, जिसके बाद टीम इंडिया की दशा, दिशा और सोच पूरी तरह बदल गई।
सौरव गांगुली की भारतीय क्रिकेट में टीम में एंट्री सीधे 'क्रिकेट का मक्का' कहे जाने वाले लॉर्ड्स से हुई। शुरुआत इतनी बढिया की पहले टेस्ट में शतक के बाद अगले टेस्ट में भी शतक लगा दिया। जब कप्तानी मिली तो देश को जीतने की आदत बना दी, वो भी ऐसी 'दादागीरी' के साथ कि जिसे देख क्रिकेट की दुनिया दंग रह गई। 'प्रिंस ऑफ कोलकाता', 'बंगाल टाइगर', 'ऑफ साइड के भगवान' जैसे नामों से पहचाने जाने वाले सौरव गांगुली की ना जाने कितने उपनामों से नवाजे गए।
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लॉर्ड्स में जीत का जवाब जीत से
जब 13 जुलाई 2002 को इंग्लैंड के ऐतिहासिक लॉर्ड्स मैदान पर भारत और इंग्लैंड के बीच नेटवेस्ट सीरीज का फाइनल खेला गया। ये वो मैच था, जब भारत ने दिखाया कि वो न सिर्फ विदेशों में खेल सकता है, बल्कि जीत भी सकता है। वर्ल्ड क्रिकेट में भारत की 'दादागिरी' इसी मैच से शुरू हुई, तो गलत नहीं होगा।
जब लॉर्ड्स के खचाखच भरे स्टेडियम में जैसे ही जहीर खान और मोहम्मद कैफ ने जीत का रन पूरा किया, मैदान में मानो बिजली-सी दौड़ गई। एंड्रयू फ्लिंटॉफ तो हताश होकर पिच पर ही बैठ गए। उधर, लॉर्ड्स की बालकनी में इंडियन कैप्टन सौरव गांगुली ने अपनी टी-शर्ट उतारी और ऐसे लहराई कि यह इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया।
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एंड्रयू फ्लिंटॉफ ने उसी साल फरवरी (3 फरवरी 2002) में मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में भारत पर जीत के बाद अपनी शर्ट निकालकर मैदान में दौड़ लगाई थी और अब दादा की बारी थी। बदला चुकाने का लॉर्ड्स से बड़ी जगह और कुछ नहीं हो सकती थी। और उन्होंने बालकनी से शर्ट लहराकर वानखेड़े का बदला लिया था।
सौरव गांगुली की अगुवाई में टीम इंडिया ने इंग्लैंड को एक रोमांचक मुकाबले में उसी धरती पर हराकर फाइनल के खिताब पर जीत जमाया था। इंग्लैंड ने भारत के सामने जीत के लिए 326 रनों का विशाल लक्ष्य रखा था। भारत के पांच विकेट महज 146 रन पर ही गिर गए थे। लेकिन युवराज सिंह (69) और मोहम्मद कैफ (नाबाद 87) ने शानदार बल्लेबाज कर टीम इंडिया को तीन गेंदें शेष रहते दो विकेट से रोमांचक जीत दिलाने में बेहद हम रोल निभाया था।
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कई बेहतरीन खिलाडियों को दिया मौका
युवा क्रिकेटरों को आगे बढ़ने का और मौका देने वाले सौरव गांगुली अपने एक इंटरव्यू में कह चुके हैं कि उन्होंने लोअर ऑर्डर बल्लेबाज सहवाग को पहचाना और ओपनिंग के लिए तैयार किया। विदेशी दौरे पर वीरेंद्र सहवाग के चयन को लेकर गांगुली एक बार अड़ गए थे। कहा जा रहा था कि वह (सहवाग) बाउंसर्स नहीं झेल पाएंगे। तब गांगुली ने कहा था कि बिना मौका दिए किसी को जज नहीं कर सकत और इसी के बाद अपनी पहली ही विदेशी दौरे में सहवाग ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ शतक लगा दिया। ये, सहवाग का वह टेस्ट डेब्यू में शतक था।
कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को बुलंदी पर पहुंचाने में भी सौरव गांगुली का बड़ा हाथ रहा। उन्होंने न सिर्फ धोनी की प्रतिभा को देखा, बल्कि निचले क्रम क्रम पर बल्लेबाजी करने वाले रांची के इस क्रिकेटर को तीसरे क्रम पर उतारा और टीम इंडिया को नया विकेटकीपर बल्लेबाज दे दिया।
सौरव गांगुली के अनुसार,' दिसंबर 2004 में जब धोनी टीम में आए, तो शुरुआती चार मैचों में नंबर 7 पर खेले थे। जब विशाखापत्तनम में पाकिस्तान के खिलाफ खेलना था तब सौरव ने धोनी से कहा कि एमएस आपको नंबर 3 पर उतरना है।' फिर क्या था तो धोनी ने पाकिस्तान के खिलाफ 148 रनों की धुआंधार पारी खेली थी और स्टार बनकर उभरे।
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भारतीय क्रिकेट को लड़ना सिखाया
दरअसल, सौरव गांगुली वह नाम है, जिसने भारतीय क्रिकेट को लड़ना सिखाया, टीम जब मैच फिक्सिंग जैसे गंभीर आरोपों से घिरी हुई थी तब कप्तानी संभाली और खिलाड़ियों में नया जोश भरा।टीम इंडिया को 20 से ज्यादा टेस्ट मैच जिताने वाले पहले भारतीय कप्तान बने। गांगुली की कप्तानी में टीम इंडिया ने 21 टेस्ट मैच जीते। बता दें की सौरव गांगुली ने भारत के लिए 113 टेस्ट मैचों में 7212 रन बनाए, जिसमें उनके बल्ले से 16 शतक निकले। वनडे में भी गांगुली ने 311 मैचों में 11,363 रन बनाए और उन्होंने कुल 22 शतक ठोके। इसके अलावा गांगुली के नाम वनडे में 100 और टेस्ट मैचों में 32 विकेट भी हैं। और सचिन के साथ भी शानदार रिकॉर्ड बनाया जो अब किसी ने नहीं तोड़ा है।
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