वो नंगे पांव करता था जाबड़ गेंदबाजी, जूतों से नफरत ने करियर पर लगाया पूर्ण विराम

Rishi
Published on: 10 March 2018 9:37 AM GMT
वो नंगे पांव करता था जाबड़ गेंदबाजी, जूतों से नफरत ने करियर पर लगाया पूर्ण विराम
X

मुंबई : वो देश जहां क्रिकेट किसी धर्मं से कम नहीं। जहां हर गली चौक पर दो चार क्रिकेट ज्ञानदत्त गेंद दर गेंद मैच की परत उधेड़ते मिल जाते हैं। जहां बच्चा होश बाद में संभालता है, बैट और गेंद पहले पकड़ लेता है। वहां सभी के पास एक ऐसी कहानी जरुर होती है। जो किसी और के पास नहीं होने का दावा होता है। हम भी आज ऐसी ही कहानी का दावा कर रहे हैं। जिसका नमक आप के नमक से ज्यादा मजेदार होगा...वैसे आज अपनी ही पीठ ठोकने का मन हो गया है स्टोरी से पहले क्या समां बांध दिया है। कोई नहीं! मैं हूं ही ऐसा.. तो अब आते हैं मुद्दे पर..

एक लड़का था दीवाना सा खड़ी दुपहरिया में नंगे पैर दौड़ लगाता। पत्थर से नारियल तोड़ता और खेल कूद में लगा रहता था। पढाई से ऐसे भागता जैसे पंडी जी दारू के नाम से भागते हैं। मां को समझ में नहीं आया कि आखिर बेटे का करे तो क्या करे। मतलब बिलकुल वैसा ही जैसा सिंह इज किंग में अपना अक्षय था। थक हार के मां ने अपने भाई से अपना दुखड़ा रोया और मामा जी भांजे को लेकर मुंबई (तब का बॉम्बे) निकल लिए।

ये भी देखें : शमी के पक्ष में आया ये ‘क्रिकेटर’, बोला- लगे आरोपों का क्रिकेट से रिश्ता नहीं

मामा जी कामकाजी आदमी थे। भांजे के पीछे दौड़ तो लगा नहीं सकते थे। इसलिए 1959 में शहर के एक स्कूल में नाम लिखवा दिया। लेकिन अपनी कहानी का हीरो यहां भी नंगे पैर ही था। स्कूल में उसने टेनिस गेंद के साथ जब क्रिकेट खेला तो गजब का खेला।

अपना हीरो गिरगांव के मराठा हाई स्कूल की टीम में शामिल कर लिया गया। यहां उसके साथी थे एकनाथ सोलकर, शरद हजारे और वसंत कुंते जैसे जबर क्रिकेटर। टीम उतरी हैरिस शील्ड में। जहां अपना हीरो नंगे पैर ही खेला। ये मैच उस टीम के खिलाफ था जो चैंपियन थी। लेकिन अपना हीरो तो हीरो था। 9 विकेट लिए थे इस मैच में। अगले ही मैच में 7 विकेट। मतलब समझ सकते हैं आप, उस समय हंगामा मच गया था मुंबई सॉरी बॉम्बे में। लोग उसे नंगे पांव बॉलिंग करते देखने के लिए दूर दूर से आते थे।

टीम इंडिया तक अपने हीरो उमेश कुलकर्णी (बाएं हाथ के मध्यम गति के गेंदबाज थे) के चर्चे पहुंचे। तो कप्तान वीनू मांकड़ ने उन्हें बुलावा भेज दिया की अपने बाएं हाथ की कलाकारी हमें भी दिखाओ। उमेश की गेंदबाजी देख वीनू हैरत में पड़ गए तुरंत बोले- तुम्हारी किट कहां है? उमेश ने जवाब दिया नहीं है। इसके बाद कप्तान साहेब ने किसी से कमीज ली, किसी से पैंट। जूते कभी पहने नहीं तो आदत भी नहीं थी उनके साथ खेलने की। लेकिन वीनू की जिद थी तो सभी मान गए। वर्ना आप उम्मीद कर सकते हैं कि जिस खिलाड़ी को रनअप, ग्रिप और फील्डिंग पॉजिशन तक के बारे में न पता हो वो कैसे कभी टीम का हिस्सा हो सकता है। लेकिन फिर भी वीनू ने उसे पॉली उमरीगर औऱ विजय मांजरेकर के सामने गेंदबाजी के लिए उतार दिया। जब दोनों ने उसकी गेंदों का सामना किया तो वो भी हैरान हो गए।

ये भी देखें : शमी के खिलाफ मामला दर्ज, भाई पर रेप का आरोप, पत्नी का FB अकाउंट ब्लॉक

इसके बाद पहले उमेश का चयन रणजी टीम के लिए हुआ और उसके बाद उन्होंने ईरानी ट्रॉफी में नवाब पटौदी को आउट किया। नवाब साहेब ऐसे खुश हुए कि 1967 के ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड दौरे के लिए उमेश टीम में चुने गए। एडिलेड टेस्ट में उमेश ने अपने पहले ही ओवर में ऑस्ट्रेलिया के ओपनर बिल लॉरी को विकेट के पीछे कैच करवा दिया। इसके बाद तो वर्ल्ड मीडिया में उनके ही चर्चे थे। लेकिन उमेश ने सिर्फ 5 टेस्ट मैच ही खेले इसके बाद वो अचानक गायब हो गए। उमेश कहते हैं, सब कुछ सपने जैसा था मैं इंडिया टीम में था सफलता भी मिली। लेकिन मैं मन रमा नहीं पाया।

वैसे इसमें उमेश की गलती नहीं थी। उन्हें टीम का हिस्सा तो बना दिया गया था। लेकिन उनकी ग्रूमिंग नहीं की गई। मन से जूतों के प्रति उनकी उदासी को मिटाया नहीं गया। जिसकी वजह से हमने उन्हें समय से पहले ही खो दिया। वर्ना आज उनके रिकार्ड किसी अन्य गेंदबाज से कम न होते।

Rishi

Rishi

आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

Next Story