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Google News: डेटा भी पीता है पानी, गूगल अरबों लीटर पानी खर्च कर रहा

Google News: पानी बचाने को अगर आप सिर्फ नल बन्द कर देना समझते हैं तो आप गलत हैं। पानी कहां कहां खर्च किया जा रहा है, ये जानकर आप हैरान रह जाएंगे।

Neel Mani Lal
Published on: 25 July 2023 7:57 PM IST
Google News: डेटा भी पीता है पानी, गूगल अरबों लीटर पानी खर्च कर रहा
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डेटा सेंटरों की मशीनों को ठंडा करने के लिए गूगल अरबों लीटर पानी खर्च कर रहा: Photo- Social Media

Google News: पानी बचाने को अगर आप सिर्फ नल बन्द कर देना समझते हैं तो आप गलत हैं। पानी कहां कहां खर्च किया जा रहा है, ये जानकर आप हैरान रह जाएंगे। सो ये जान लीजिए कि अभी आप अपने मोबाइल, डेस्कटॉप या लैपटॉप पर जो गूगल कर रहे हैं उसमें भी पानी खर्च हो रहा है।

जी हां, डेटा भी पानी खाता है। गूगल ने अपनी 2023 पर्यावरण रिपोर्ट प्रकाशित की है, और बताया है कि उसने 2022 में 5.6 बिलियन गैलन पानी की खपत की। उसमें से अधिकांश यानी 5.2 बिलियन गैलन का उपयोग कंपनी के डेटा केंद्रों के लिए किया गया था। गूगल द्वारा पानी की खपत पिछले साल की तुलना में 20 फीसदी ज्यादा है। ये भी बता दें कि एक गैलन साढ़े चार लीटर के बराबर होता है।

पानी और डेटा

दरअसल डेटा सेंटरों की मशीनों को ठंडा करने के लिए पानी की जरूरत होती है। डेटा की ये पर्यावरणीय लागत है। जितना ज्यादा डेटा प्रोसेस किया जाएगा कंप्यूटर उतना ज्यादा गर्म होगा और उसे ठंडा रखने के लिए उतना ही ज्यादा पानी चाहिए होगा। और जैसे-जैसे गूगल और आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस की होड़ में लगी अन्य तकनीकी कंपनियां नए डेटा केंद्र बनाने की दौड़ में तेजी ला रही हैं, उनके द्वारा खर्च किए जाने वाले पानी की मात्रा और भी बढ़ेगी।

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में इलेक्ट्रिकल और कंप्यूटर इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर शाओली रेन के मुताबिक पानी की खपत में 20 फीसदी की बढ़ोतरी मोटे तौर पर गूगल की गणना क्षमता में वृद्धि के अनुरूप है, और ये काफी हद तक आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस में लगने वाले डेटा के कारण है। पानी का हिसाब-किताब रखना अच्छा है, गूगल कहता है कि वह जितना पानी लेता है उतना वापस भी डालता है लेकिन सवाल ये है कि ऐसा कब तक चलेगा।

पानी की रिचार्जिंग

गूगल ने कहा है कि उसने अपने ऑफिसों और डेटा सेंटरों में खपत होने वाले मीठे पानी की 120 फीसदी की वापसी के लिए 2030 तक की समय सीमा तय की है। गूगल की अपनी रिपोर्ट के अनुसार अभी यह केवल 6 फीसदी की भरपाई कर रहा है। गूगल अभी जिस पानी का उपभोग कर रहा है उसका अधिकांश

हिस्सा "पीने योग्य" है, यानी वह पीने के पानी के रूप में उपयोग करने के लिए पर्याप्त स्वच्छ है।

अपनी नवीनतम रिपोर्ट में गूगल ने कहा है कि वह "स्थानीय जल तनाव" (पानी की कमी बताने का दूसरा तरीका) को ध्यान में रखता है, और कहा कि 2022 में उसके मीठे पानी की निकासी का 82 फीसदी कम पानी के तनाव वाले क्षेत्रों से आया था। बाकी 18 फीसदी के लिए उसका कहना है कि वह वाटरशेड स्वास्थ्य में सुधार के लिए "नई साझेदारी और अवसरों की खोज" कर रहा है, लेकिन इसे बढ़ते प्रतिरोध का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि अधिक स्थानों पर पानी की कमी का सामना करना पड़ता है।

मेटा की प्यास

वैसे सिर्फ अकेला गूगल नहीं है जो इतना प्यासा है। फेसबुक की कम्पनी मेटा ने 2022 में 2.6 मिलियन क्यूबिक मीटर (लगभग 697 मिलियन गैलन) से अधिक पानी का उपयोग किया। ये ज्यादातर डेटा सेंटरों के लिए इस्तेमाल किया गया। मेटा के नवीनतम बड़े भाषा मॉडल, लामा 2 को प्रशिक्षित करने में बहुत अधिक पानी लगता है।

सो, अब डेटा खर्च करते वक्त पानी की याद जरूर कर लीजिएगा।



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Neel Mani Lal

Neel Mani Lal

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