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Kurukshetra Mahabharata War: आखिर कुरुक्षेत्र में क्यों हुआ महाभारत का युद्ध, श्रीकृष्ण ने स्वयं चुना था ये स्थान
Mahabharata War in Kurukshetra History: कुरुक्षेत्र का महाभारत से गहरा संबंध है क्योंकि महाभारत का युद्ध यहीं पर हुआ था। पहले आज यह जानते हैं कि आखिरकार युद्ध यहां पर क्यों किया गया।
Mahabharata Kurukshetra History: महाभारत और कुरुक्षेत्र के बीच जो संबंध है उसके बारे में हम सभी जानते हैं। सभी को पता है कि भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता के उपदेश यहीं पर दिए थे। पौराणिक कथाओं को बता दे 18 दिनों तक महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में लड़ा गया था। इस जगह को स्थानेश्वर और थानेश्वर के नाम से भी पहचाना जाता था। गीता की स्थल होने के बाद भी इसे वृंदावन गोकुल या मथुरा जैसी प्रसिद्ध नहीं मिल पाई। हालांकि जब भी महाभारत के युद्ध की बात आती है इसका जिक्र जरूर होता है। आप में से किसने किसी ने कभी ना कभी यह जरूर सोचा होगा कि कौरवों और पांडवों के बीच महाभारत का युद्ध गीता की भूमि कुरुक्षेत्र में ही क्यों हुआ था। अगर आपके मन में भी यह विचार आया है तो चलिए आज हम आपको इसका जवाब देते हैं।
चाहिए थी ऐसी जगह
पौराणिक कथाओं के मुताबिक महाभारत के युद्ध के लिए एक ऐसी जगह की तलाश की गई थी जहां बड़ी संख्या में सैनिक खड़े होकर युद्ध कर सकें। इस बात की जिम्मेदारी भगवान श्री कृष्ण को सौंपी गई। कृष्ण जी ने अपने दूतों को ऐसी जगह की तलाश करने का आदेश दिया। वह इस बात से भली भांति परिचय थे की महाभारत का युद्ध बहुत भीषण होने वाला है। ऐसे में उन्हें ऐसी जगह की तलाश थी जो युद्ध की क्रूरता को सहन कर सके। दूतों ने श्री कृष्ण को कई सारे स्थान बताएं लेकिन जब एक दूत आया तो वह बहुत पीड़ा में था।
ऐसे चुना गया स्थान
जब भगवान ने दूत से उदासी का कारण पूछा तो उसने कुरुक्षेत्र में हुई घटना के बारे में बताया। उसने कहा कि दो भाइयों के बीच खेत में मेड़ बनाने को लेकर झगड़ा हुआ था। दोनों ने खेत में बटवारा कर रखा था एक खेत का पानी दूसरे खेत में न पहुंचे इसलिए मेड़ बनाई गई थी। मेड टूट जाने की वजह से दोनों के बीच झगड़ा हो गया और वह मारपीट पर उतारू हो गए। मारपीट में बड़े भाई ने छोटे भाई की हत्या कर लाश को मेड़ बनाने की जगह पर रख दिया जिससे सिंचाई का पानी रुक गया।
श्रीकृष्ण ने लिए फैसला
दूत की बातों को सुनने के बाद श्री कृष्ण ने यह फैसला लिया कि भाई-भाई गुरु शिष्य और सगे संबंधियों के युद्ध के लिए इससे बेहतर जगह कोई नहीं हो सकती। यहां की भूमि इतनी ज्यादा कठोर की की चाह कर भी किसी का मन द्रवित नहीं हो सकता था। हालांकि श्री कृष्ण को शंकर जी की कहानी पांडव कौरवों के दबाव में आकर संधि न करने। ऐसे में उन्होंने बहुत सोच समझकर इस जगह को युद्ध के लिए चुना।
आज भी लाल है मिट्टी
इस महाभारत के युद्ध में जितने सैनिकों की मौत हुई थी उनके खून से यहां की मिट्टी आज तक लाल रंग की है। जब रक्तरंजित होने के बाद देवता ने भगवान श्रीकृष्ण से सवाल किया कि अब इस भूमि पर कौन बचना चाहेगी तब उसे श्राप मुक्त बनाने के लिए श्री कृष्ण ने यज्ञ करने का तरीका बताया था। ऐसा कहा जाता है कि यहां आकर जो भी सच्चे मन से अपने पूर्वजों का तर्पण करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। भूमि पर न्याय और अन्य की लड़ाई हुई थी इसलिए इस भूमि को न्याय की समाप्ति के लिए हमेशा याद रखा जाएगा।
कुरुक्षेत्र का महत्व (Importance of Kurukshetra)
कुरुक्षेत्र एक बहुत ही महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। इसके अलावा यह बासमती चावल के उत्पादन के लिए भी मशहूर है। महाभारत का युद्ध हस्तिनापुर से 185 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद कुरुक्षेत्र में हुआ था। महाभारत के वन पर्व में इसका उल्लेख मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि यहां जाने के बाद हर कोई पाप मुक्त हो जाता है। वहीं जिन लोगों का जन्म इस भूमि पर होता है उन्हें अपने कर्मों को चुकाने के लिए फिर से जन्म लेने की जरूरत नहीं पड़ती।