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Adi Kailash Mysterious Places: आदि कैलाश यात्रा में जरूर देखें ये रहस्यमय स्थान, इनके रहस्य कर देंगे हैरान
Adi Kailash Top 5 Mysterious Places: आदि कैलाश यात्रा करने के लिए हर साल बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। छोटा कैलाश के नाम से प्रसिद्ध है जगह अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता से भरी हुई है।
Mysterious Places Of Adi Kailash : आदि कैलाश, जिसे प्यार से छोटा कैलाश कहा जाता है, न तो केवल चट्टान और बर्फ का एक पर्वत है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक क्षेत्र है, जो अपने अद्भुत इतिहास की रहस्यमय कथाओं से ओतप्रोत है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, आदि कैलाश स्वयं भगवान शिव का घर था। दूर-दूर से लोग शांति, दिशा और दिव्य स्पर्श की तलाश में इस पवित्र पर्वत की तीर्थयात्रा पर निकलते हैं। आदि कैलाश, जोंगलिंगकोंग पीक के नाम से भी जाना जाता है, भारत के उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में हिमालय पर्वत श्रृंखला में स्थित एक पर्वत है।
आदि कैलाश का पौराणिक महत्व (Mythological Importance of Adi Kailash)
ऐसा माना जाता है कि आदि कैलाश भगवान शिव का स्थायी निवास स्थान है, जहाँ वे अपने शिष्यों की प्रार्थनाओं और प्रार्थनाओं का उत्तर देते हैं। यह आस्था आदि कैलाश यात्रा का आधार बनती है, यह पवित्र तीर्थ यात्रा लाखों लोगों द्वारा व्यक्तिगत ज्ञान, इच्छाओं की संतुष्टि और आंतरिक परिवर्तन की तलाश में की जाती है। आदि कैलाश की यात्रा को एक महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा के रूप में देखा जाता है, जिसमें विभिन्न देशों से भक्त भगवान शिव की शरण, मार्गदर्शन और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भारत आते हैं। यह एक ऐसी यात्रा है जो भौतिक संसार से आगे बढ़कर एक गहन आध्यात्मिक खोज में विकसित होती है जो लोगों को उनकी भक्ति और विश्वास की आंतरिक दुनिया का पता लगाने की अनुमति देती है।
ये है रहस्यमय जगह (This is a Mysterious Place)
आदि कैलाश में ऐसे कई सारी जगह है जो रहस्यमय मानी जाती है आज हम आपको उनमें से कुछ जगहों के बारे में जानकारी देते हैं।
ओम पर्वत (Om Parvat)
ऐसा माना जाता है कि पृथ्वी पर आठ ऐसे पर्वत है जिन पर प्राकृतिक रूप से ओम अंकित है। इनमें से केवल एक को ही खोजा गया है जो आदि कैलाश जाने के रास्ते पर पड़ता है और इसे ओम पर्वत के नाम से जाना जाता है। यहां पर जमी हुई बर्फ ओम आकार में दिखाई देती है।
गणेश पर्वत (Ganesh Parvat)
शादी कैलाश की यात्रा के दौरान गणेश पर्वत भी पड़ता है जहां पर बर्फ कम होने पर गणेश जी की आकृति दिखाई देती है। गणेश पर्वत के सामने गणेश नाला सके भी बना हुआ है, जिसे पार करना बहुत मुश्किल है। जून जुलाई के महीने में इस शिखर पर गणेश जी की आकृति साफ दिखाई देती है।
मालपा (Malpa)
इस यात्रा के दौरान मालपा नाम की जगह भी बीच में आती है जो किसी रहस्य से काम नहीं है। कभी यह जगह घनी आबादी का क्षेत्र हुआ करती थी लेकिन 18 अगस्त 1998 को आए कुदरत के कर नहीं अब इसका वजूद खत्म कर दिया है। यहां हुए भूस्खलन में पूरा गांव मलबे में दब किया था। इजराइल 60 यात्रियों समेत 300 लोग मलबे में ही दब गए थे। आज भी यहां बर्फ के नीचे कई शव दफन है।
कुटी गांव (Cottage Village)
आदि कैलाश यात्रा के अंतिम पड़ाव कुटी गांव में आज भी पांडव महल के अवशेष देखा जा सकते हैं। इस जगह का नाम पांडवों की माता कुंती के नाम पर पड़ा है। यहां पर उनकी पूजा भी की जाती है। इस गांव के सामने एक छोटा सा टापू है जहां बाहरी व्यक्ति को प्रवेश नहीं दिया जाता। स्थानीय लोगों के मुताबिक यहां लंबे समय तक पांडव महल बनाकर रहे थे और इसके बाद कैलाश के लिए प्रस्थान कर गए। माता कुंती ने यहीं पर अपने प्राण त्यागे थे।