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ये है MP का आदिवासी गांव आदिवर्त, टूरिस्ट के बीच है प्रसिद्ध
Adivart Tribal Village khajuraho : मध्य प्रदेश भारत का एक खूबसूरत राज्य है। यहां घूमने के लिए बहुत कुछ मौजूद है। चलिए आज आपके यहां के आदिवासी गांव के बारे में बताते हैं।
Adivart Tribal Village Khajuraho : भारत अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों के अलावा रहन-सहन, बोली, खाने-पीने की चीजों और खासकर अपनी संस्कृति के लिए दुनिया भर में अलग ही पहचान रखता है। आप यहां के किसी भी राज्य में जाएंगे तो आपको बोली और पहनावे के साथ संस्कृति में भी बदलाव देखने को मिलेगा जो बहुत ही खूबसूरत होता है। मध्य प्रदेश भारत का एक ऐसा राज्य है जिसे हिंदुस्तान का दिल कहा जाता है और इस राज्य में भी आपको हर थोड़ी दूरी पर अलग पहनावा, बोली, खानपान और परंपरा का दीदार करने को मिलेगा। मालवा की मिट्टी की महक और निमाड़ की खड़ी बोली अनायास ही पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करती है। घूमने फिरने के लिए लिहाज से मध्यप्रदेश में एक से बढ़कर एक जगह मौजूद है जहां साल भर पर्यटकों का तांता लगा रहता है। घूमने फिरने के लिए मध्यप्रदेश एक ऐसी जगह है जहां आपको कई सारे पर्यटन स्थल मिल जाएंगे। यहां ऐतिहासिक से लेकर धार्मिक सभी तरह के स्थान मौजूद है जो पर्यटकों को अक्सर ही अपनी और आकर्षित करते रहते हैं।
हिंदुस्तान के दिल मध्य प्रदेश का खजुराहो बहुत ही प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है और ना सिर्फ यह देश बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान रखता है। यहां कई ऐसी चीजें हैं जिनका दीदार करने के लिए पर्यटक दूर-दूर से पहुंचते हैं। ये जगह अपनी खूबसूरत और पौराणिक इमारतों के चलते जानी जाती है। जिन पर की गई नक्काशी यह प्रमाण है कि पुरातन काल में कला को कितना महत्व दिया जाता था।
ऐसा है आदिवर्त आदिवासी गांव (Adivart Tribal Village)
खजुराहो जैसी खूबसूरत जगह पर एक शानदार आदिवासी गांव बसाया गया है। जहां पर 7 जनजातियों की संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। यहां पर जनजातीय संग्रहालय मौजूद है जो आदिवर्त के नाम से पहचाना जाता है और यहां पर आदिवासी जनजाति की संस्कृति सभ्यता रहन-सहन और कला से पर्यटकों को रूबरू करवाया जाता है।
मध्य प्रदेश का तीसरा संग्रहालय आदिवर्त (Adivarta, the Third Museum of Madhya Pradesh)
पूरे मध्यप्रदेश में भोपाल और उज्जैन के बाद यह तीसरा जनजाति संग्रहालय है जिसकी शुरुआत छतरपुर जिले के खजुराहो में की गई है। यहां बताई जाने वाली सभ्यता और संस्कृति से परिचित होने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पर पहुंच रहे हैं, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है।
इतनी है फीस (Fees)
जब आप यहां पर पहुंचेंगे तो आपको भील, भारिया, गोंड, सहरिया, कोएक को जैसी जनजातियों का संगम एक ही जगह पर देखने को मिलेगा। इस संग्रहालय में इन सभी जनजातियों के रहन-सहन वेशभूषा और खानपान को दिखाया गया है। यह लगभग 2 एकड़ जमीन पर बनाया गया है और इसे बनाने में साढ़े सात करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। यहां जो पर्यटक घूमना चाहते हैं उन्हें फीस चुकानी होती है जो अलग-अलग है। देशी पर्यटकों से 20 रुपए लिए जाते हैं, वहीं विदेशी पर्यटकों को 400 रुपए का भुगतान देना होता है। इसके अलावा अगर आप कैमरा लेकर जाना चाहते हैं तो 100 रुपए अलग से चार्ज किया जाएगा।