TRENDING TAGS :
Hitlers Dream Hotel Colossus Of Prora : 20000 कमरे की होटल बनाना चाहता था हिटलर, 3 साल तक 9000 मजदूरों ने किया काम, पूरा नहीं हुआ सपना
Hitlers Dream Hotel Colossus Of Prora : हिटलर को अपनी क्रूरता की वजह से दुनिया भर में पहचाना जाता था। आज हम आपको उसके आलीशान होटल के बारे में बताते हैं।
Hitlers Dream Hotel Colossus Of Prora : आपने दुनिया भर में मौजूद कहीं बड़ी होटल के बारे में सुना होगा। बड़े-बड़े और नाम से इन लोगों की होटल का जिक्र भी कभी ना कभी आपके सामने हुआ ही होगा। कुछ ऐसे होटल भी है जिन्हें बनाने में 25 साल लगे या फिर कुछ 100 साल में बनकर पूरे हुए। इस बीच एक ऐसे व्यक्ति के होटल का नाम भी सामने आता है जिससे अभी तक का सबसे शक्तिशाली लेकिन बेरहम तानाशाह कहा जाता है। हम बात कर रहे हैं एडोल्फ हिटलर की जो विश्व का सबसे बड़ा होटल बनाना चाहता था लेकिन शायद तकदीर को यह मंजूर नहीं था। इस होटल का नाम कोलोसस का ऑफ प्रोरा था। जिसमें 9000 मजदूर तैनात किए गए थे जो दिन रात इस होटल के कंस्ट्रक्शन में लगे रहते थे और लगातार 3 साल तक इसका काम चला। लेकिन कहानी में मोर उसे समय आया जब निर्माण कार्य रोक दिया गया। चलिए आपको इसकी पूरी कहानी और खासियत के बारे में बताते हैं।
कोलोसस ऑफ प्रोरा होटल की फैसिलिटी (Colossus of Prora Hotel Facility)
इस आलीशान होटल में 8 हाउसिंग ब्लॉक थिएटर और सिनेमा हॉल बनाए गए थे। हालांकि इसकी स्विमिंग पूल और फेस्टिवल हॉल का काम अधूरा रह गया था। हिटलर चाहता था कि यहां पर 20000 बेडरूम हो और हर कमरे का रुख समुद्र की ओर हो। हर कमरे का आकार 5 गुना ढाई मीटर होना था जिसमें दो बेड, एक वार्डरोब और एक सिंक लगाया जाना था। परिसर के बीच एक विशाल भवन हो जिसे जरूरत पड़ने पर सैन्य हॉस्पिटल की तरह इस्तेमाल किया जा सके। हालांकि हिटलर की तकदीर में यह सब कुछ नहीं था।
कोलोसस ऑफ प्रोरा होटल बनना चाहता था जर्मन तानाशाह (The German Dictator Wanted The Colossus of Prora To Be a Hotel)
हिटलर चाहता था कि होटल में 20000 कमरा हो जहां पर जर्मन लोग काम के बाद मौज मस्ती कर सके। इस होटल के नाम में मौजूद प्रोरा का अर्थ बंजर जमीन से होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह होटल समुद्र के बीच रेतीली जगह पर बना था। 1936 तक यहां जोशी से काम चला रहा लेकिन दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत होने पर यह काम बंद कर दिया गया। हिटलर को उसे समय अपने मजदूरों को सेवा में भेजना पड़ा।
होटल का काम दोबारा शुरू नहीं हुआ (Hotel Work Has Not Resumed)
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बंद हुआ यह काम दोबारा शुरू नहीं किया जा सका। पहले इसका इस्तेमाल सोवियत आर्मी के सैनिकों ने छापने के लिए किया बाद में नेशनल पीपुल्स आर्मी और यूनिफाइड आर्म्ड फोर्स ऑफ जर्मनी ने यहां पर पनाह ली। लड़ाई के बीच केवल सैनिक ही नहीं बल्कि आम लोग भी यहां छुपाने के लिए आते थे। इस तरह से आदि बनी यह इमारत धीरे-धीरे टूट कर खंडहर में बदल गई।
होटल बेचने में आई मुश्किल (Difficulty In Selling Hotel)
हिटलर की या आलीशान होटल ऐसी हो गई थी कि यह आसानी से बिक भी नहीं पाई। बार-बार यहां की डील कैंसिल हो जाती थी क्योंकि अधिकतर लोगों का मानना था कि कई लोगों ने यहां जान गवा है और यह किसी भूतिया जगह से कम नहीं है। साल 2004 में जैसे तैसे इसे अलग-अलग हिस्सों में बेचना शुरू किया गया और आज हर कोई से अपने हिसाब से इस्तेमाल कर रहा है। हिटलर के समय इस होटल की कीमत 237.5 मिलियन जर्मन करंसी यानी 80 अरब रुपए थी।