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Agra Famous Place: अटल बिहारी वाजपेयी का पैतृक गांव है बटेश्वर, जानें इसका पौराणिक इतिहास

Agra Bateshwar History: बटेश्वर एक बहुत ही प्रसिद्ध जगह है जिसे शिव मंदिरों की श्रृंखला के लिए पहचाना जाता है। इस जगह का अटल बिहारी वाजपेई से गहरा कनेक्शन है।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 14 May 2024 3:00 PM IST (Updated on: 14 May 2024 3:00 PM IST)
Bateshwar History
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Bateshwar History (Photos - Social Media) 

Agra Bateshwar History: अटल बिहारी वाजपेई हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ प्रखर वक्ता, कवि, कुशल लेखक, राजनेता, पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी और अपने जीवन में कई भूमिका निभा चुके थे। अटल बिहारी वाजपेई एक ऐसी शख्सियत है जिनके अंदर सभी गुण समाहित हैं। उनके मिलनसार स्वभाव ने हमेशा लोगों का दिल जीत और भारत के लिए उन्होंने जो अतुल्य योगदान दिया है वह स्मृति के रूप में हमेशा अनमोल रहेगा। उनके कामों के लिए हमेशा उन्हें याद किया जाएगा और उनसे जुड़े जितने भी जगह है वह हमेशा ही प्रसिद्ध रहने वाली है।

ऐसे ही एक जगह आगरा के पास बटेश्वर धाम है जिससे उन्हें काफी लगाव था। शिव मंदिरों की श्रृंखला से सजी हुई इस धरती से अटल बिहारी जी को बहुत प्रेम था क्योंकि यह उनका पैतृक गांव है। अटल बिहारी वाजपेई मूल रूप से बटेश्वर के रहने वाले थे और इस जगह को भूतेश्वर के नाम से भी पहचाना जाता है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक बटेश्वर तीर्थ का भांजा कहलाता है। चलिए आज हम आपको इस जगह के बारे में बताते हैं।

श्रीकृष्ण के पूर्वजों की जगह

किसी को भी यह बात जानकर हैरानी होगी लेकिन बाहर से 12 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद बटेश्वर कभी भगवान श्री कृष्ण के पूर्वज राजा सुरसेन की राजधानी हुआ करता था। यमुना नदी के किनारे बसी इस जगह पर महादेव के कहीं मंदिर है जो बहुत ही अद्भुत है। यह बहुत खूबसूरत जगह है और लोग खुद को खुद यहां पर खींचे चले आते हैं।

क्यों कहते हैं बटेश्वर

इस जगह का नाम बटेश्वर क्यों है इसके पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक यहां पर एक बरगद का पेड़ था जिसके नीचे भगवान कृष्ण आराम किया करते थे। बरगद के पेड़ को संस्कृत में चमगादड़ कहा जाता है यही कारण है कि इस जगह का नाम बटेश्वर पड़ गया।

Bateshwar

बहकर आया था कंस का शव

इस जगह के बारे में जो जानकारी मिलती है उसके अनुसार वासुदेव की बारात बटेश्वर से मथुरा गई थी। इसी के साथ जो भगवान श्री कृष्ण ने अपने मामा कंस का वध किया था तो उनका शौक बहता हुआ बटेश्वर पर ही आया था। यमुना नदी कि जिस जगह से यह सब टकराया था उसे कंस कगार के नाम से पहचाना जाता है।

उल्टी बहती है यमुना

इस जगह की एक और खासियत यह है कि यहां पर यमुना नदी उल्टी धारा में बहती है। वैसे यमुना की धार पश्चिम से पूर्व की है लेकिन यहां पर यह पूर्व से पश्चिम की ओर दिखाई देती है। रात के समय जब चंद्रमा का प्रकाश यहां मौजूद मंदिरों की श्रृंखला पर पड़ता है तो इनका प्रतिबिंब यमुना नदी में बहुत खूबसूरत दिखाई देता है।

Bateshwar

पांडवों से है नाता

इस जगह का पांडवों से भी संबंध रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने यहां पर सैन्य तैयारी की थी। यह जगह शेरशाह सूरी का आक्रमण केंद्र भी रही है और उसने यहां पर कई किले बनवाए थे।

ऐसी है कथा

बटेश्वर महादेव यानि भूतेश्वर महादेव को लेकर एक बहुत पुरानी कथा भी प्रचलित है। इस मंदिर के बारे में यह कहा जाता है कि रातों-रात भूतों ने इसका निर्माण करवाया था यही वजह है कि इस भूतेश्वर महादेव के नाम से पहचाना जाता है।



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Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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