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Alop Shankari Shakti Peeth: प्रयागराज के इस मंदिर में होती है पालने की पूजा

Alop Shankari Shakti Peeth History: प्रयागराज में माता का एक ऐसा मंदिर मौजूद है जहां पर किसी मूर्ति की पूजन नहीं की जाती। बल्कि पालने को पूजा जाता है।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 14 Jun 2024 6:57 PM IST
Alop Shankari Shakti Peeth History
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Alop Shankari Shakti Peeth History (Photos - Social Media)

Alop Shankari Shakti Peeth History: हमारे देश में माता दुर्गा के कई सारे शक्तिपीठ मौजूद है जहां पर देवी के अलग-अलग रूपों की पूजन की जाती है। सभी जगह पर माता विभिन्न रूपों में विराजमान है और यह सारी जगह माता के किसी न किसी अंग के गिरने की वजह से उत्पन्न हुए हैं। संगम नगरी प्रयागराज में माता सती का एक ऐसा मंदिर मौजूद है जहां पर ना तो कोई मूर्ति है और ना ही किसी अंग का मूर्त रूप मौजूद है। इस जगह को आलोक शंकरी देवी के नाम से पहचाना जाता है। इस मंदिर में लाल चुनरी में लिप्त एक पालने की पूजन करने की परंपरा होती है और इसी के दर्शन किए जाते हैं।

यहां गिरा था माता का दाहिना पंजा (Mother's Right Paw Had Fallen Here)

जानकारी के मुताबिक दारागंज से रामबाग की ओर जाने वाले जिस मार्ग पर माता आलोक शंकरी का मंदिर है इसका पुराणों में भी वर्णन मिलता है। बताया जाता है कि यहां पर माता सती के दाहिने हाथ का पंजा गिरा था जिसके चलते इसका नाम अलोपशंकरी पड़ा। स्थानीय लोग इस जगह को अलोपी देवी के नाम से भी पहचानते हैं।


कुंड के ऊपर है माता का पालना (Mother's Cradle is Above The Pond)

इस मंदिर के गर्भगृह में बीचो-बीच एक चबूतरा बना हुआ है जिसमें एक कुंड है। इस कुंड के ऊपर चौकोर आकार में लकड़ी का एक पालन रस्सी से लटकता रहता है जो एक लाल कपड़े की चुनरी से ढंका हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि यहीं पर माता की कलाई का पंजा गिरा था। इस कुंड का जल काफी चमत्कारी माना जाता है और यहां आने वाले लोग इसके जल का आचमन भी करते हैं।

Alopashankari Shaktipeeth Of Prayagraj


पालने की होती है पूजन (The Cradle is Worshiped)

इस मंदिर में आने वाले भक्त किसी प्रतिमा की नहीं बल्कि पालने की पूजन करते हैं। वह कुंड से जल लेकर पालने पर चढ़ते हैं और चबूतरे की परिक्रमा कर माता का आशीर्वाद लेते हैं। यहां पर केवल नारियल और पुष्प चढ़ता है। कई किलोमीटर दूर से यहां लोग माता की पूजन अर्चन करने के लिए पहुंचते हैं। यहां भोग के रूप में माता को हलवा पूरी अर्पित किया जाता है।

Alopashankari Shaktipeeth Of Prayagraj


पूरी होती है मन्नत (The Wish Is Fulfilled)

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस मंदिर में पालने की पूजन करने और कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने से हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है। जी भक्ति के हाथ में रक्षा सूत्र बांधा होता है देवी मां उसकी रक्षा करती हैं। नवरात्रि के मौके पर यहां श्रृंगार तो नहीं होता लेकिन माता के सभी स्वरूपों की पूजन की जाती है।



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Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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