TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

Alopi Devi Temple: देवी का अनोखा मंदिर, जहां मां की नहीं कोई मूर्ति, इस पालने की होती है पूजा

Alopi Devi Temple Prayagraj: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज मे देवी माँ का एक ऐसा भव्य मन्दिर है जहाँ कोई मूर्ती नही है। आस्था के इस अनूठे केन्द्र मे लोग मूर्ती की नही बल्कि पालने की पूजा करते हैं ।

Syed Raza
Report Syed Raza
Published on: 28 Sept 2022 12:16 PM IST
Alopi Devi Temple in Prayagraj
X

 प्रयागराज में अलोपी देवी मंदिर (फोटो- सोशल मीडिया) 

Alopi Devi Temple Prayagraj: पूरे देश में शारदीय नवरात्रि की धूम है ऐसे में संगम नगरी प्रयागराज में भी देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं का हुजूम देखने को मिल रहा है। प्रयागराज मे देवी माँ का एक ऐसा भव्य मन्दिर है जहाँ कोई मूर्ती नही है। आस्था के इस अनूठे केन्द्र मे लोग मूर्ती की नही बल्कि पालने की पूजा करते हैं ।

मान्यता है की यहाँ शिवप्रिया सती के दाहिने हाथ का पंजा गिरकर अदृश्य (आलोप) हो गया था , इसी वजह से इस शक्तिपीठ को अलोप शंकरी नाम देकर यह प्रतीक के रूप मे रख दिया गया।मान्यता है की यह हाथों पर रक्षा सूत्र बांधकर मांगने वालो की हर कामना पूरी होती है और हाथ मे धागा बंधे रहने तक अलोपी देवी उनकी रक्षा करती हैं ...

ऐसी शक्ति-पीठ जिसमे कोई मूर्ति नही

धर्म की नगरी प्रयागराज में अलोपी देवी मंदिर (Alopi Devi Temple in Prayagraj) संगम के नजदीक स्थित है। देवी का ये मंदिर आस्था का एक अनूठा केन्द्र है । ऐसा शक्ति-पीठ जिसमे कोई मूर्ती नही है ।यहाँ मूर्ती न होने के बाद भी हर दिन देश के कोने -कोने से आने वाले हजारों श्रद्धालुओं का जमावाडा होता है।

हालांकि नवरात्र के दिनों में इस मंदिर की विशेषताएं और बढ़ जाती हैं और सुबह शाम भक्तों का तांता लगा रहता है ।आस्था के इस अनूठे केन्द्र में मूर्ती के बजाय एक पालना ( झूला ) लगा है । श्रद्धालु मूर्ती की जगह इसी पालने का दर्शन करते हैं ,और इसकी पूजा करते हैं इसी पालने मे देवी का स्वरूप देखकर उनसे सुख -समृधि व वैभव का आशीर्वाद लेते हैं .

मान्यता है की यहाँ जो भी श्रद्धालु देवी के पालने के सामने हाथों मे रक्षा -सूत्र बाँधता है देवी उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं और हाथो मे रक्षा सूत्र रहने तक उसकी रक्षा भी करती हैं .

फोटो- सोशल मीडिया

पुराणों मे वर्धित कथा के मुताबिक प्रयागराज मे इसी जगह पर देवी के दाहिने हाथ का पंजा कुंड मे गिरकर अदृश्य ( aloap) हो गया था . पंजे के अलोप होने की वजह से ही इस जगह को सिद्ध -पीठ मानकर इसे अलोअप शंकरी मन्दिर का नाम दिया गया .

सती के शरीर के अलोअप होने की वजह से ही यहाँ कोई मूर्ती नही है और श्रद्धालु कुंड पर लगे पालने (झूले ) का ही दर्शन -पूजन करते हैं . आस्था के इस अनूठे केन्द्र मे लोग कुंड से जल लेकर उसे पलने मे चढ़ते हैं और उसकी परिक्रमा कर देवी से आशीर्वाद लेते हैं .

शक्ति पीठ अलोप शंकरी मन्दिर मे पालने की पूजा के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है . ऐसी मान्यता है की श्रद्धालु सच्चे मन से जो भी कामना करता है देवी माँ अपने दाहिने हाथ से उसे आशीर्वाद देकर उसकी मन की मुरादे पूरी करती हैं . यहाँ पर नारियल और चुनरी के साथ जल व सिन्दूर चढाये जाने की भी परंपरा है।



\
Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

Next Story