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Ambaji Temple Of Gujarat : गुजरात का एक अनोखा मंदिर, यहां नहीं है देवी देवताओं की मूर्ति
Ambaji Temple Of Gujarat : देश के अलग-अलग स्थान पर माता के शक्ति पीठ हैं आज हम आपको गुजरात के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएं जहां देवी देवताओं की मूर्ति नहीं है।
Ambaji Temple Of Gujarat (Photos - Social Media)
Ambaji Temple Of Gujarat : भारत में एक नहीं बल्कि कई सारे धार्मिक स्थल मौजूद है जो अपने धार्मिक महत्व के चलते पहचाने जाते हैं। मध्य प्रदेश, गुजरात या राजस्थान सभी जगह पर यह धार्मिक स्थल मौजूद है जो अपने आप में खास हैं। सभी जगह को अपने चमत्कार और मान्यताओं की वजह से पहचान जाता है। आज हम आपको गुजरात में मौजूद है कैसे मंदिर के बारे में बताते हैं जहां पर देवी देवताओं की मूर्ति तो नहीं है लेकिन यहां फिर भी पूजन पाठ का क्रम देखा जाता है।
51 शक्तिपीठों में एक है मंदिर (The Temple Is one of The 51 Shaktipeeths)
हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं वह गुजरात का अंबाजी मंदिर है जो 51 शक्ति पीठों में से एक है। ये मंदिर बहुत ही खास है और हर साल हजारों लाखों की संख्या में लोग यहां पर दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। चलिए आपको बताते हैं की मूर्ति ना होने के बावजूद भी यहां पर किसकी पूजन की जाती है।
यहां नहीं है देवी देवताओं की मूर्ति (There Are No Idols Of Gods & Goddesses Here)
गुजरात के बनासकांठा में अंबाजी का मंदिर मौजूद है जो काफी प्रसिद्ध है। इस मंदिर में देवी देवताओं की मूर्ति तो नहीं है लेकिन यहां के गर्भ ग्रह में वीसा यंत्र रखा हुआ है जिसकी पूजन अर्चन की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि यह यंत्र उज्जैन और नेपाल के शक्तिपीठों से जुड़ा हुआ है। यह भी माना जाता है कि इस यंत्र को नग्न आंखों से नहीं देखा जा सकता।
Ambaji Temple Of Gujarat
ऐसा है परिसर (Mandir Campus)
सोने के शंकु और सफेद संगमरमर से बने इस मंदिर का निर्माण नागर ब्राह्मणों द्वारा किया गया था। ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर मूर्ति पूजा के परंपरा शुरू होने से पहले का है यही कारण है कि यहां पर कोई मूर्ति नहीं है। मंदिर के पास एक कुंड भी मौजूद है जहां डुबकी लगाना बेहद शुभ माना जाता है।
Ambaji Temple Of Gujarat
मंदिर की मान्यताएं (Temple Beliefs)
पुरानी कथा के मुताबिक जब पिता दक्ष द्वारा अपने पति का अपमान होने पर माता सती ने अग्नि कुंड में अपना देह त्याग कर दिया था। उसके पश्चात भगवान शिव माता के देह को लेकर इधर-उधर घूम रहे थे। तब भगवान विष्णु ने चक्र से माता के शरीर के अंग के टुकड़े-टुकड़े कर दिए थे जो अलग-अलग जगह पर गिरे। जहां-जहां माता सती के शरीर के अंग गिरे थे वहां वहां शक्तिपीठ की स्थापना हुई। ऐसा कहा जाता है कि अंबाजी मंदिर में माता सती का हृदय गिरा था।