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Champaner Gujarat: चंपानेर पावागढ़ का पुरातत्व पार्क विश्व धरोहर स्थल
Champaner Gujarat: बिना खुदाई वाले इस पुरातात्विक, ऐतिहासिक और जीवित सांस्कृतिक विरासत वाले केंद्र में किला, मंदिर, मस्जिद जैसे कई प्राकृतिक दृश्यों का पर्यटक लुत्फ उठा सकते हैं।
Champaner Gujarat: भारत देश के गुजरात राज्य के पंचमहल जिले का चंपानेर शहर यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित है। पावागढ़ पहाड़ियों पर बसे इस ऐतिहासिक गांव के बारे में कहा जाता है कि रामायण के दौरान भगवान हनुमान इसे अपने साथ लाए थे। ऐसा कहा जाता है कि 8वीं शताब्दी में चावड़ा राजवंश के शासक राजा वनराज चावड़ा ने इस शहर को बसाया था। बिना खुदाई वाले इस पुरातात्विक, ऐतिहासिक और जीवित सांस्कृतिक विरासत वाले केंद्र में किला, मंदिर, मस्जिद जैसे कई प्राकृतिक दृश्यों का पर्यटक लुत्फ उठा सकते हैं।
इसके आसपास में घूमने लायक कई पर्यटन स्थल हैं:
चंपानेर-पावागढ़ पुरातत्व पार्क :
गुजरात के सुल्तान महमूद बेगड़ा ने चंपानेर शहर के पास इस ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पार्क का निर्माण करवाया था, जिसे यूनेस्को ने साल 2004 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया।
कालिका माता मंदिर :
यह मंदिर चंपानेर-पावागढ़ पुरातात्विक पार्क के दर्शनीय स्थलों में सबसे प्राचीन है। घने जंगलों के बीच ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर तक पहुंचने के लिए पर्यटकों को सीढ़ियों का सहारा लेना पड़ता है। स्थानीय लोगों के बीच यह मंदिर बहुत मशहूर है। प्राचीन होने के बावजूद भी यह मंदिर बहुत खूबसूरत है।
चंपानेर पावागढ़ किला :
15 वीं शताब्दी में बने इस किले का निर्माण चंपानेर में खिची चौहान राजपूतों ने कराया था। चंपानेर पावागढ़ की पहाड़ी के ऊपर स्थित इस किले से सैलानी आसपास का प्राकृतिक नजारा देखने के साथ ऐतिहासिक धरोहर से भी परिचित होते हैं। कई तरह की धार्मिक संरचनाएं इस किले के भीतरी हिस्से में जो अब खंडहर बन चुका है देखने को मिल सकता है। ये खंडहर इस जगह के अतीत की गवाही देते हैं। चंपानेर से पावागढ़ किले की दूरी करीब 6 किमी है।
जैन मंदिर :
इस इलाके में कई हिन्दू और जैन मंदिर हैं जो इस जगह के हिन्दू और जैन आबादी के आस्था को प्रकट करता है। कुछ मंदिरों का इतिहास 14वीं और 15वीं शताब्दी की कहानी बताता है। चंपानेर आकर इन मंदिरों का भ्रमण जरूर करना चाहिए।
लकुलीश मंदिर :
पावागढ़ की पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर का निर्माण 10 वीं शताब्दी में पशुपति शैव धर्म के संस्थापक लकुलीश द्वारा किया गया था इसलिए इस मंदिर का नाम लकुलीश पड़ा। इस खूबसूरत मंदिर में लोगों की अपार श्रद्धा है। अब यह मंदिर रखरखाव के अभाव में धीरे धीरे खंडहर में तब्दील होता जा रहा है।
जामी मस्जिद :
यह मस्जिद चंपानेर की जामा मस्जिद के नाम से भी जाना जाता हैं। इसका निर्माण 15वीं शताब्दी के दौरान हुआ था और यह पश्चिम भारत की सबसे बेहतरीन मस्जिदों में से एक है। दो मंजिला इमारत वाली इस मस्जिद में इंडो-इस्लामिक वास्तुकला को करीब से देखने का मौका मिलता है। दो विशाल मीनारों से घिरे इस मस्जिद का प्रवेश द्वार देखने में आकर्षक लगता है।
लीला गुम्बद मस्जिद :
चंपानेर पावागढ़ में यह मस्जिद अपने गुम्बद के विशेष आकर्षण के लिए मशहूर है। यह मस्जिद एक ऊंचे चबूतरे पर बना हुआ है जो सैलानियों को दूर से ही अपनी ओर आकर्षित करता है। मस्जिद के गुम्बद के केंद्र में बना एक प्रवेश द्वार इसके दोनों किनारों पर बने मेहराब की खूबसूरती को दर्शाता है। सैलानी इस खूबसूरत गुम्बद को देखने भरी संख्या में आते हैं।
नगीना मस्जिद और सिनोटाफ :
चंपानेर पावागढ़ का यह मस्जिद गहना मस्जिद के नाम से भी जाना जाता है। सफेद संगमरमर से बना यह खूबसूरत दो मंजिला मस्जिद अपनी वास्तुकला के कारण सैलानियों के बीच मशहूर है। इस मस्जिद की खूबसूरत मीनारें और तीन गुम्बद लोगों को आकर्षित करता है। इसकी खूबसूरती के कारण ही इस मस्जिद का नाम गहना पड़ा।
केवड़ा मस्जिद :
15 वीं शताब्दी के दौरान इस मस्जिद का निर्माण किया गया। यह ऐतिहासिक मस्जिद इस्लामिक धारणा के विपरीत खुले हरियाली वातावरण में बनाया गया है जहां मकबरा और ग्लोब आकार का गुंबद भी मौजूद है। यह मस्जिद सैलानियों के बीच बहुत लोकप्रिय है।
कैसे पहुंचे?
हवाई मार्ग से चंपानेर पहुंचने के लिए वडोदरा यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है। यहां से चंपानेर लगभग 42 किमी की दूरी पर स्थित है। बस या टैक्सी के द्वारा यहां पहुंच सकते हैं।
रेलवे मार्ग से वडोदरा स्टेशन पहुंच कर टैक्सी या बस के माध्यम से चंपानेर पहुंच सकते हैं। स्टेशन से यह स्थान लगभग 42 किमी की दूरी पर स्थित है। चंपानेर पावागढ़ में एक छोटा रेलवे स्टेशन हैं लेकिन यह बड़े शहरों से अच्छी तरह से नहीं जुड़ा है। वडोदरा स्टेशन से लोकल ट्रेन के माध्यम से यहां पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग से यह जगह अन्य शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। बस या अन्य साधनों के माध्यम से आप चंपानेर पावागढ़ आसानी से पहुंच सकते हैं।
इस जगह घूमने के लिए अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच का होता है। यह मौसम सर्दियों का होता है और पर्यटक घूमने का आनंद ले सकते हैं। गर्मियों में इस जगह चिलचिलाती धूप में घूमना आसान नहीं होता। अब बच्चों के छुट्टियों के दिन आने वाले हैं तो क्यों न आप इन्हें अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत वाले जगहों की सैर करा दें।