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Assam Famous Place: क्या खास है असम के इस मैदान में, जिसका पीएम मोदी ने मन की बात में किया था जिक्र

Charaideo Moidam in Assam: चराईदेव मैदाम आने वाले पर्यटक इस जगह का पता लगा सकते हैं, इसके इतिहास और महत्व के बारे में जान सकते हैं। यह स्थल हरे-भरे जंगलों से घिरा हुआ है, जो इसे प्रकृति प्रेमियों के लिए एक आदर्श स्थान बनाता है।

Yachana Jaiswal
Written By Yachana Jaiswal
Published on: 29 July 2024 11:09 AM IST
Assam Tourist Place In India, Charaideo Moidam
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Charaideo Moidam in Assam (Pic Credit-Social Media)

New UNESCO World Heritage Site in India: मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी ने एक खूबसूरत और ऐतिहासिक जगह का जिक्र किया था। वह स्थल है चराईदेव मोइदाम जहां, क्या आप इस जगह के बारे में जानते है? नहीं तो चलिए हम आपको इस जगह के बारे में बताते है, कहां है, क्या है, क्यों प्रसिद्ध है, ऐसी सभी जानकारी आपको यहां मिल जाएगी।

चराईदेव मैदाम भारत के असम के शिवसागर जिले में स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है। यह अहोम राजाओं और रानियों के दफन टीलों या कब्रों का एक संग्रह है, जिन्होंने 13वीं से 18वीं शताब्दी तक इस क्षेत्र पर शासन किया था। इस स्थल को असम में सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक खोजों में से एक माना जाता है और यह इस क्षेत्र का एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है। यह राजाओं का दफन स्थल है जो पिरामिडों जैसा दिखता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने वैज्ञानिक रूप से कई मोइदाम (व्यक्तिगत दफन पिरामिड) सुरक्षित किए हैं।

पर्यटक के लिए किया जा रहा है प्रचार

यह बहुत ही दिलचस्प जगह है क्योंकि यह हमारी संस्कृति का हिस्सा है। अभी भी यह एक घूमने लायक जगह के रूप में विकसित हो रहा है। लोगों को आसपास दिखाने और प्राचीन काल की समृद्ध विरासत के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए गाइड की आवश्यकता होती है। कुछ सूचना बोर्ड भी लगाए गए हैं। एक पर्यटक आकर्षण का केंद्र बनने की अपार संभावना है। भारतीय नागरिकों के लिए प्रवेश शुल्क 20 रुपये है। घूमने के लिए कम से कम 30-45 मिनट लगेंगे। परिवार के साथ आराम करने के लिए बहुत सी बेंच उपलब्ध हैं।



नाम: चराईदेव मैदान (Charaideo Moidam)

लोकेशन: WVRG+G9H, बोकोपुखुरी हबी, असम

समय: सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक



कैसे पहुंचे यहां(How To Reach Here)

यह स्थान शिवसागर शहर से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर है। यात्रा करते समय अपने साथ आरक्षित और निजी वाहन ले जाना बेहतर होगा, क्योंकि मार्ग पर बहुत कम नियमित वाहन चलते हैं।



राजवंशी परिवार से जुड़ी है ये जगह

चराइदेओ मोइदम्स ताई अहोम राजवंश की अंतिम मध्ययुगीन (13वीं-19वीं शताब्दी सीई) पवित्र टीले पर दफनाने की परंपरा का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये अहोम राजपरिवार के नश्वर अवशेष और उनका सामान हैं। एक बड़े आकार के मोइदाम में एक भूमिगत गड्ढा, एक तिजोरी, मिट्टी से ढका एक ढाँचा, ऊपर एक छोटा मंदिर जैसा मंडप और एक अष्टकोणीय चारदीवारी शामिल है।



अहोम राजवंश की राजधानी थी चराईदेव

अहोम के शाही दफ़न स्थल में एक दिन बिताना सुखद अनुभव होगा। असम पर 600 वर्षों तक शासन करने वाले अहोम ने चराइदेव को अपनी प्रारंभिक राजधानी बनाया था। प्रथम अहोम शासक, महान सिउ-का-फा राजनीतिक आक्रमण के कारण चीन के युनान प्रांत से आए थे और अंततः असम में बस गए थे। इस जगह का उपयोग राजाओं, रानियों और मंत्रियों के दफ़न स्थल के रूप में किया जाता था जब तक कि अहोम ने हिंदू धर्म को अपना धर्म स्वीकार नहीं कर लिया।



अनूठी स्थापत्य शैली का उदाहरण

ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण प्राचीन पुरातात्विक स्थल के दो भाग हैं। एक का रखरखाव राज्य सरकार करती है। दूसरा केंद्र सरकार करती है। चराईदेव मैदाम में कब्रों को एक अनूठी स्थापत्य शैली का उपयोग करके बनाया गया है जो भारत के अन्य दफन स्थलों से अलग है। कब्रें ईंट और पत्थर से बनी हैं और उल्टे शंकु के आकार की हैं। प्रत्येक मकबरे का आधार गोलाकार है, और यह धीरे-धीरे ऊपर की ओर पतला होता जाता है, जिससे यह एक शंक्वाकार आकार देता है। कब्रों के चारों ओर सुंदर लॉन और बगीचे हैं, जो इस स्थल की सुंदरता को बढ़ाते हैं।


सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व

चराईदेव मैदाम में कब्रें न केवल दफन टीलों का एक संग्रह हैं, बल्कि अहोम वंश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का भी प्रतिनिधित्व करती हैं। इस स्थल को एक पवित्र स्थान माना जाता है और असम के लोग इसका सम्मान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि अहोम राजाओं और रानियों की आत्माएँ अभी भी चराईदेव मैदाम में निवास करती हैं और इस स्थल पर आने वाले लोगों को आशीर्वाद देती हैं।



वर्ल्ड हेरिटेज बनने की ओर अग्रसर (World Heritage Site)

असम में चराईदेव मैदाम को सांस्कृतिक संपत्ति की श्रेणी के तहत यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल किया गया है। यह निर्णय राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में चल रहे विश्व धरोहर समिति (WHC) के 46वें सत्र के दौरान लिया गया। चराइदेव मोइदम 2023-2024 के लिए सांस्कृतिक श्रेणी में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की स्थिति के लिए भारत का नामांकन था। 52 स्थलों में से असम का स्थल भारत सरकार द्वारा चुना गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 21 जुलाई को घोषणा की थी कि चराइदेव मोइदम भारत का 43वां यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल होगा तथा सांस्कृतिक विरासत श्रेणी में असम और पूर्वोत्तर क्षेत्र का पहला स्थल होगा।



वर्तमान में भारत में यूनेस्को की 42 धरोहर स्थल हैं, जिनमें से 32 सांस्कृतिक खंड में हैं, सात प्राकृतिक और एक मिश्रित है। असम में दो प्राकृतिक खंड हैं, काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और मानस राष्ट्रीय उद्यान।



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Yachana Jaiswal

Yachana Jaiswal

Content Writer

I'm a dedicated content writer with a passion for crafting engaging and informative content. With 3 years of experience in the field, I specialize in creating compelling articles, blog posts, website content, and more. I can write on anything with my research skills. I have a keen eye for detail, a knack for research, and a commitment to delivering high-quality content that resonates with the audience. Author Education - I pursued my Bachelor's Degree in Journalism and Mass communication from Sri Ramswaroop Memorial University Lucknow. Presently I am pursuing master's degree in Master of science; Electronic Media from Makhanlal Chaturvedi National University of Journalism and Communication Bhopal.

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