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Ayodhya Hanuman Garhi: अयोध्या के हनुमान गढ़ी मंदिर में स्वयं विराजित हैं हनुमान, यहां जानें इतिहास
Ayodhya Hanuman Garhi History: अयोध्या नगरी को भगवान राम की नगरी के नाम से पहचाना जाता है। चलिए यहां की हनुमानगढ़ी के बारे में जानते हैं।
Ayodhya Hanuman Garhi History: अयोध्या उत्तर प्रदेश का एक प्रसिद्ध जिला है। जो इन दिनों सबसे ज्यादा अपने राम मंदिर को लेकर चर्चा बटोर रहा है। अयोध्या में सिर्फ राम मंदिर ही नहीं है बल्कि यहां पर कई सारे धार्मिक स्थल है, जिनके दर्शन करने के लिए सालों से भक्त यहां पहुंच रहे हैं। चलिए आज हम आपके यहां के हनुमानगढ़ी मंदिर के बारे में बताते हैं। हनुमान गढ़ी भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के अयोध्या नगर में स्थित 10वीं शताब्दी का हनुमान जी का एक प्रसिद्ध हिन्दू मन्दिर है। यह शहर के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों के साथ-साथ अन्य मंदिरों जैसे नागेश्वर नाथ और निर्माणाधीन राम मंदिर में से एक है।
हनुमान गढ़ी का इतिहास (Ayodhya Hanuman Garhi Ka Itihas in Hindi)
स्कंद पुराण के अनुसार, राजा विक्रमादित्य ने 360 अन्य मंदिरों के साथ हनुमान गढ़ी का निर्माण कराया था। लेकिन औरंगजेब ने हनुमान गढ़ी को नष्ट कर दिया और एक मस्जिद का निर्माण किया। बाद में, बैराग ने अवध के राजा नवाब शुजाउद्दौला को हराकर भूमि पर कब्जा कर लिया। उन्होंने मस्जिद को हटा दिया और भगवान हनुमान के लिए एक नया मंदिर बनाया।
इतिहासकारों के मुताबिक 1822 में फैजाबाद के एक न्यायिक अधिकारी हफीजुल्ला ने कहा कि बाबर की बनाई मस्जिद रामजन्मभूमि पर बनी है। उसने यह भी कहा कि ये मस्जिद सीता रसोई के पास है। इसके तेंतीस वर्ष बाद हनुमान गढ़ी पर भीषण संघर्ष हुआ। 1855में ब्रिटिश रेजिडेंट ने अवध के नबाव को खत लिखकर हनुमान गढ़ी पर जिहादियों के हमले को रोकने के लिए कहा। ब्रिटिश रेजिडेंट ने खत में लिखा कि सुन्नी मौलवी गुलाम हुसैन रामजन्मभूमि पर हमला करने के लिए मस्जिद से तकरीर कर मुसलमानों को भड़का रहा है।मौलवी का दावा है कि हनुमान गढ़ी के भीतर मस्जिद है और मुसलमानों को उस पर कब्जा कर लेना चाहिए। ब्रिटिश रेजिडेंट के बार बार फ़ोर्स भेजने के आग्रह पर भी नबाव ने कोई ध्यान नहीं दिया। शुरू में एक छोटी झडप हुयी फिर कुछ दिन बाद जुलाई महीने में खुनी संघर्ष में बदल गयी। गुलाम हुसैन ने जिहादियों के एक झुण्ड के साथ हनुमान गढ़ी पर हमला किया जिसका हिन्दू वैरागी साधुओं ने तगड़ा जबाव दिया। इस हमले में गुलाम हुसैन समेत सत्तर सुन्न्नी जिहादी मारे गये।
1857 के फरवरी महीने में मौलवी अहमदुल्ला शाह इसी गुलाम हुसैन की मौत का बदला लेने फैजाबाद गया था। वहां एक मस्जिद में भडकाऊ भाषण करने पर गिरफ्तार हुआ। मई में जब क्रांति होने से पहले ही इसे फांसी पर चढाने का हुक्म हो चुका था। एकाएक बगावत होने पर इसने जेल के डाक्टर नजफ अली के कपड़े पहनकर डाक्टर की मदद से ही जेल पर कब्जा कर लिया और क्रान्तिकारी बन गया। इसका चरित्र बहुत कुछ मुल्ला मसूद अजहर से मिलता जुलता था। मौलवी जेल में ताबीज़ –गंडे देता था। हनुमान गढ़ी पर हमला करने वाले मौलवी गुलाम हुसैन को यह अपना पीर कहता था। गुलाम हुसैन सैयद अहमद बरेलवी का शागिर्द था जो 1826 में बालाकोट के पहले आतंकवादी अड्डे को सिख फौजों द्वारा ध्वस्त करते समय मारा गया।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, रावण को हराने के बाद जब भगवान राम और माता सीता भगवान हनुमान के साथ अयोध्या लौटे, तो भगवान हनुमान रामकोट की रक्षा के लिए अयोध्या में एक गुफा में रहने लगे। कहा जाता है कि हनुमान गढ़ी मुसलमानों से संबंधित मंदिर है। स्कंद पुराण के अनुसार, राजा विक्रमादित्य ने 360 अन्य मंदिरों के साथ हनुमान गढ़ी का निर्माण कराया था। लेकिन औरंगजेब ने हनुमान गढ़ी को नष्ट कर दिया और एक मस्जिद का निर्माण किया। बाद में, बैराग ने अवध के राजा नवाब शुजाउद्दौला को हराकर भूमि पर कब्जा कर लिया। उन्होंने मस्जिद को हटा दिया और भगवान हनुमान के लिए एक नया मंदिर बनाया। कुछ मुसलमानों को लगा कि हनुमान गढ़ी एक मस्जिद पर बनाई गई है। इसलिए उन्होंने कई बार मंदिर को तोड़ने की कोशिश की लेकिन असफल रहे।
मान्यता
जब रावण पर विजय प्राप्त करने के बाद भगवान राम अयोध्या लौटे, तो हनुमानजी यहां रहने लगे। इसीलिए इसका नाम हनुमानगढ़ या हनुमान कोट रखा गया। यहीं से हनुमानजी रामकोट की रक्षा करते थे। मुख्य मंदिर में, पवनसुत माता अंजनी की गोद में बैठते हैं।