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Hanuman Garhi Mystery: हनुमान गढ़ी मंदिर का यह रहस्य आपने पहले कभी नहीं सुना होगा

Ayodhya Hanuman Garhi Mystery: हनुमान गढ़ी मंदिर के बारे में आप जरूर जानते होंगे, लेकिन क्या आपको पता है इस मंदिर से दूरी संप्रदाय की भी आस्था जुड़ी हुई है...

Yachana Jaiswal
Written By Yachana Jaiswal
Published on: 9 Jun 2024 11:04 AM GMT
Ayodhya Hanuman Garhi Mystery
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Ayodhya Hanuman Garhi Mystery (Pic Credit-Social Media)

Ayodhya Hanuman Garhi Mystery: अयोध्या का हनुमान गढ़ी मंदिर, भगवान हनुमान का एक बहुत प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर है। यह हिंदू धर्म में एक बहुत प्रसिद्ध आस्था का केंद्र है। राम लला के मंदिर में उनके दर्शन के लिए पहले भगवान हनुमान की अनुमति लेना अनिवार्य माना जाता है। अयोध्या आने वाले सभी राम भक्त सबसे पहले इस मंदिर में जाकर हनुमान जी के दर्शन करते हैं। भक्तों की भारी भीड़ आपको हनुमान गढ़ी में दर्शन करने के दौरान मिलती है। मंदिर की मान्यता और शक्ति ही ऐसी दिव्य है कि हर कोई यहां दर्शन के लिए जरूर आता है। मंदिर का जुड़ाव दूसरे धर्म यानी मुस्लिम संप्रदाय से भी है। जिसका जिक्र हमें अयोध्या के इतिहास में मिलता है।

कहा है मंदिर?

अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर से लगभग 300 मीटर की दूरी पर स्थित हनुमान गढ़ी अयोध्या के सबसे अधिक देखे जाने वाले मंदिरों में से एक है। यह मंदिर अयोध्या रेलवे स्टेशन से लगभग 900 मीटर उत्तर की ओर, रामजन्म भूमि से लगभग 1 किलोमीटर पूर्व की ओर, और सरयू नदी से लगभग 2 किलोमीटर दक्षिण की ओर स्थित है।


नाम: हनुमान गढ़ी

लोकेशन: साईं नगर, अयोध्या

रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड से सामान्य दूरी होने के कारण सार्वजनिक तौर पर चलने वाले रिक्शा या ऑटो के जरिए मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता हैं।

मंदिर का वास्तुकला

हनुमान गढ़ी मंदिर एक छोटा किला है, जैसा कि हम इसके आधार से देखते हैं। यह नाम से ही पता चलता है, मज़बूती से बना हुआ है। मंदिर की वास्तुकला, इसकी जटिल नक्काशी और राजसी गुंबदों के साथ, विस्मयकारी हैं। इसमें एक विशाल द्वार और बुर्ज हैं, जिनकी रक्षा तोपों द्वारा की जाती है, कुल चौदह तोपें हैं। शहर से दिखने वाले द्वार तक पहुँचने के लिए 70 के लगभग सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती है। दस कदम के बाद, रास्ता एक आंगन में खुलता है, जिसके बीच में हनुमान मंदिर है। इसका गर्भगृह चारों ओर से लगभग बीस फीट ऊंचा है जिसके चारों ओर एक गलियारा है। यह मंदिर का बाहरी बनवाट एकदम राजसी किले जैसा है। गर्भगृह में हनुमान जी की एक शांत मूर्ति है। जिसके तेज से सभी भक्तों का उद्धार होता है। वातावरण, प्रार्थनाओं की गूंजती आवाज़ों और धूप की मीठी खुशबू से भरा रहता है, जो आत्मनिरीक्षण के लिए अनुकूल एक शांत जगह है।


ऐसे विराजमान है हनुमान

मंदिर में हनुमान जी का चित्रण बहुत ही अद्भुत है। यहाँ उन्होंने गदा या पहाड़ नहीं लिया हुआ है; वे न तो क्रोधित रूप में हैं और न ही अपनी भक्ति साबित करने के लिए अपनी छाती चीर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, यहाँ वे शांत, निर्मल और सौम्य स्वरूप में विराजमान हैं। गर्भगृह में स्थापित मूर्ति अपने आप में अलौकिक लगेगी। हनुमान गढ़ी में वे अयोध्या के रक्षक भगवान के रूप में अपनी भूमिका के अनुरूप सिंहासन पर विराजमान हैं।

हनुमान गढ़ी मंदिर का पौराणिक महत्व

रामलला की स्थापना के साथ उनके परम प्रिय दूत बजरंगबली की प्रधानतम पीठ हनुमानगढ़ी का भी मान बढ़ गया। पौराणिक मान्यता के अनुसार लंका विजय के बाद श्रीराम के साथ अनेक वानर वीर भी श्रीराम के साथ अयोध्या आए। इनमें स्वाभाविक रूप से हनुमान जी भी शामिल थे। माता सीता की खोज से लेकर रावण के विरुद्ध सामरिक अभियान में हनुमान जी ने अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनकी इसी योग्यता के अनुरूप श्रीराम ने राजप्रासाद के आग्नेय कोण पर हनुमान जी को अयोध्या के रक्षक के रूप में स्थापित किया। यह भी मान्यता है कि अजर-अमर के वरदान से युक्त हनुमान जी आज भी यहां सूक्ष्म रूप से विद्यमान हैं।


ऐसे जुड़ा है मुस्लिम सम्राज्य

18वीं शताब्दी के प्रारंभिक काल में सुल्तान मंशूर अली जब हैदराबाद और फैजाबाद का शासक था। तब नवाब इकलौता पुत्र बुरी तरह बीमार पर गया था। तब तत्कालीन वैद्य चिकित्सक सब ने हाथ खड़े कर दिए थे। तब अंत में नवाब ने थक हारकर महाबली हनुमान के समक्ष खुद को समर्पित कर दिया था। तब जो हुआ वह किसी चमत्कार से कम नहीं था, उसका पुत्र एकदम ठीक हो गया। तब सुल्तान ने स्वयं की आस्था से हनुमान गढ़ी मंदिर जो के जीर्ण - शीर्ण अवस्था में थी उसका जीर्णोद्वार कराया, यह कार्य बजरंगबली के अर्चक बाबा अभयारामदास के आशीर्वाद से उनकी देख रेख और सहयोग में की गई। साथ ही 52 बीघा का परिसर दान कर इमली वन का निर्माण करवाया। हनुमानगढ़ी मुस्लिमों की भी आस्था के केंद्र में रहा है। किंतु जब भी रामजन्मभूमि मुक्ति के प्रति न्याय की बारी आई तब कुछ अराजक तत्व हनुमानगढ़ी हनुमानजी मंदिर को भी तोड़ने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन अवध के नवाब वाजिद अली शाह ने ऐसा नहीं होने दिया। इससे भी ये साफ होता है कि इस्लाम धर्म के लोगों को भी इससे लगाव था।

नोट: यह जानकारी स्थानीय लोगों और पुजारियों द्वारा सुनी सुनाई है। इसका कोई लिखित प्रमाण के बारे में जानकारी नहीं है। Newstrack इस जानकारी की जिम्मेदारी नहीं लेता है।

Yachana Jaiswal

Yachana Jaiswal

Content Writer

I'm a dedicated content writer with a passion for crafting engaging and informative content. With 3 years of experience in the field, I specialize in creating compelling articles, blog posts, website content, and more. I can write on anything with my research skills. I have a keen eye for detail, a knack for research, and a commitment to delivering high-quality content that resonates with the audience. Author Education - I pursued my Bachelor's Degree in Journalism and Mass communication from Sri Ramswaroop Memorial University Lucknow. Presently I am pursuing master's degree in Master of science; Electronic Media from Makhanlal Chaturvedi National University of Journalism and Communication Bhopal.

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