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Ayodhya History Hindi: नवाबों ने बसाया था अयोध्या (फैजाबाद), यहां करीब से करें इतिहास का दीदार
Ayodhya History Hindi: अयोध्या (फैजाबाद) उत्तर प्रदेश का एक प्रसिद्ध जिला है। चलिए आज आपके यहां के पर्यटक स्थलों के बारे में बताते हैं।
Ayodhya History : अयोध्या (फ़ैज़ाबाद) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के अयोध्या जिले में स्थित एक शहर है। यह सरयू नदी के दक्षिणी तट पर स्थित है और अयोध्या नगर निगम द्वारा प्रशासित है। भगवान राम, राममनोहर लोहिया, कुंवर नारायण, राम प्रकाश द्विवेदी, प्रसिद्ध अवधी लोक गायक दिवाकर द्विवेदी आदि की यह जन्मभूमि है। इस शहर को अवध के नवाब द्वारा बसाया गया था।
अयोध्या (फैजाबाद) का इतिहास
अयोध्या शहर में फ़ैज़ाबाद शहर की स्थापना अवध के पहले नबाव सआदत अली खान ने 1730 में की थी। उन्होंने इसे अपनी राजधानी बनाई, और अयोध्या का नाम बदलकर फ़ैज़ाबाद कर दिया लेकिन वह यहाँ बहुत कम समय व्यतीत कर पाए। तीसरे नवाब शुजाउद्दौला यहाँ रहते थे और उन्होंने नदी के तट पर 1764 में एक दुर्ग का निर्माण करवाया था; उनका और उनकी बेगम का मक़बरा इसी शहर में स्थित है। 1775 में अवध की राजधानी को लखनऊ ले जाया गया। 19वीं शताब्दी में फ़ैज़ाबाद का पतन हो गया।
पर्यटक स्थल
धार्मिक स्थल
सूर्यकुंड, देवकाली मंदिर, काली बाड़ी मंदिर, पाटेश्वरी मंदिर, मिलेट्री मंदिर, रामजानकी मंदिर, लक्ष्मी सागर, दुर्गाकुंड, जनौरा, नाका हनुमानगढ़ी, साईंदाता कुटी, आर्यसमाज मंदिर, दिगंबर जैन मंदिर, श्वेताबंर जैन मंदिर, गुरुद्वारा दुखनिवारन, गुरुद्वारा गुरु¨सह सभा, गुरुद्वारा कैंट, गिरजाघर आदि स्थल ऐतिहासिक होने के साथ निर्माण कला के बेहतरीन नमूने हैं।
प्रमुख बाग
नवाबकालीन बाग-बगीचे लालबाग, अंगूरीबाग, मोतीबाग, जवाहिरबाग भले ही खत्म हो गए हों पर उनकी जगह बनी इमारतें शहर को खूबसूरत बना रही हैं।
कलकत्ता किला
फैजाबाद नवाबों की राजधानी हुआ करता था और अपने शासनकाल में उन्होंने कई शानदार इमारतें बनवाई। इन्ही में से एक था कलकत्ता किला जिसका निर्माण अंग्रेजों द्वारा सन् 1764 में बक्सर के युद्ध में हार के बाद शुजाउद्दौला ने करवाया था। किले का निर्माण इस बात का सूचक था कि युद्ध में हारने के बाद भी उनकी क्षेत्र पर पकड़ कम नहीं हुई थी। इतिहास के अनुसार नवाब और उनकी पत्नी अपनी मृत्यु तक किले में रहे। किले की दीवारें स्थानीय मिट्टी की बनी हुई हैं। वास्तुकला विशेष रूप से मुगल शैली का है।
बहू बेगम का मकबरा
बहू बेगम का मकबरा नवाब शुजाउद्दौला ने अपनी प्रिय पत्नी की याद में बनवाया था। मकबरा मुगल स्थापत्य कला का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। इतिहास गवाह है कि सन् 1816 में इस मकबरे को ताजमहल की भव्यता के साथ बनाने का प्रयास किया गया। चन्द्रमा की दूधिया रौशनी में सफेद संगमरमर अपनी चमक धारण कर लेता है और ऐसा लगता जैसे कि मकबरे को अमरत्व की चमक मिल जाती है। 42 मीटर की ऊँचाई के साथ यह पूरे फैजाबाद शहर और उसके आसपास का रंग-बिरंगा दृश्य प्रस्तुत करता है। इस इमारत की देखरेख भारतीय पुरातत्व विभाग करता है।
गुप्तार घाट
गुप्तार घाट वह लम्बा स्थान है जहाँ पर पायी जाने वाली पत्थर की सीढ़ियाँ सरयू नदी की ओर ले जाती हैं। हिन्दुओं में इस घाट को बहुत पवित्र माना जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने पृथ्वी छोड़ने के लिये यहीं पर जलसमाधि ली थी और भगवान विष्णु के पवित्र घर या बैकुण्ठ में प्रवेश किया था। पौराणिक महत्व के अलावा सरयू नदी के तट कई छोटे-छोटे मन्दिरों के साथ को सुन्दर दृश्य अचम्भित कर देने वाला होता है।