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Ayodhya Ram Temple: अयोध्या: प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि

Ayodhya Ram Temple: अयोध्या भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्राचीन शहर है, जिसे भगवान राम के जन्मस्थली के रूप में जाना जाता है। सरयू नदी के तट पर स्थित यह शहर प्राचीन कोसल साम्राज्य की राजधानी थी। कई प्राचीन राजा जैसे इक्ष्वाकु, पृथु, मान्धाता, हरिश्चंद्र, सागर, भागीरथ, रघु, दिलीप, दशरथ तथा राम ने कोशल देश की राजधानी अयोध्या से शासन किया।

Sarojini Sriharsha
Published on: 1 Jan 2024 2:00 AM GMT (Updated on: 1 Jan 2024 2:00 AM GMT)
Ayodhya: Birthplace of Lord Shri Ram
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अयोध्या : प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि: Photo- Social Media

Ayodhya Ram Temple: अयोध्या भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्राचीन शहर है, जिसे भगवान राम के जन्मस्थली के रूप में जाना जाता है। सरयू नदी के तट पर स्थित यह शहर प्राचीन कोसल साम्राज्य की राजधानी थी। कई प्राचीन राजा जैसे इक्ष्वाकु, पृथु, मान्धाता, हरिश्चंद्र, सागर, भागीरथ, रघु, दिलीप, दशरथ तथा राम ने कोशल देश की राजधानी अयोध्या से शासन किया। हिंदू धर्म के 7 सबसे पवित्र शहरों में अयोध्या भी एक है । रामायण और रामचरितमानस जैसे प्रसिद्ध ग्रंथ में अयोध्या का वर्णन मिलता है और आज भी इसे भारत के राम राज्य का प्रतीक माना जाता है।

यहां घूमने के लिए कई धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल हैं, जो इतिहासकारों, विद्यार्थियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहता है। कुछ खास पर्यटन स्थल हैं :

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हनुमान गढ़ी

यह मंदिर अयोध्या के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक हनुमान को समर्पित है। यह जगह किसी जमाने में अवध के नवाब की थी, जिसने मंदिर निर्माण के लिए इसे दान में दे दिया था। किले की आकृति में 10 वीं शताब्दी में बने इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 76 सीढ़ियों का सहारा लेना पड़ता है। ऐसा कहा जाता है कि इसी जगह हनुमान जी एक गुफा में रहे थे और नगर की रक्षा की थी। इस मंदिर में हनुमान जी की एक स्वर्ण प्रतिमा स्थापित है।

इस पहाड़ी की चोटी से आसपास का खूबसूरत नज़ारा देखने को मिलता है। इस मंदिर की यह मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे दिल से यहां मनोकामना करता है, वह पूरी होती है। यहां चैत्र मास में राम नवमी का पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है और देश विदेश से सैकड़ों तीर्थयात्री भगवान राम के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करने आते हैं।

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श्री नागेश्वरनाथ मंदिर

इस मंदिर के भगवान नागेश्वर नाथ जी को अयोध्या का प्रमुख अधिष्ठाता माना जाता है । ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम के पुत्र कुश ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था । प्राचीन कथा के अनुसार एक बार सरयू नदी में स्नान करते समय कुश का बाजूबंद पानी में गिर गया था, जिसे एक नाग कन्या ने उन्हें लौटाया। इसके बाद दोनों एक दूसरे के प्रेम में वशीभूत हो गए। इसके बाद कुश ने उसकी याद में इस मंदिर का निर्माण कराया। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर में प्रति वर्ष महाशिवरात्रि पर उत्सव का आयोजन होता है जिसमें शामिल होने भारी तादाद में श्रद्धालु आते हैं।

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कनक भवन

इस मंदिर का निर्माण मध्य प्रदेश स्थित टीकमगढ़ की रानी वृषभानु कुंवरि, ने सन् 1891 में करवाया था। इस मंदिर में सीता माता तथा भगवान राम के साथ उनके तीनों भाइयों की अत्यंत सुंदर मूर्तियां विराजमान है।

ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर को भगवान राम की सौतेली मां कैकेयी ने राम के विवाह के बाद सीता को दिया था। इस मंदिर का 1891 में परमार वंश के राजा विक्रमादित्य ने पुननिर्माण करवाया था। अपने अद्भुत वास्तुकला के लिए कनक भवन अयोध्या में सबसे आकर्षक स्थानों में से एक है।

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सीता की रसोई मंदिर

अयोध्या के राजकोट में राम जन्मस्थान के उत्तर-पश्चिमी छोर पर स्थित इस मंदिर के कोने में प्राचीन रसोई का एक मॉडल है जिसमें नकली बर्तन, रोलिंग प्लेट और रोलिंग पिन है। वहीं मंदिर परिसर के दूसरे छोर पर चारों भाई राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न और उनकी पत्नी सीता, उर्मिला, मांडवी और श्रुतकीर्ति की आभूषण और कपड़ों से सजी धजी मूर्तियाँ हैं। पर्यटकों को यह मंदिर खास आकर्षित करती है।

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तुलसी स्मारक भवन

16 वीं सदी में निर्मित संत कवि गोस्वामी तुलसी दास जी को समर्पित इस भवन में नियमित प्रार्थना सभा, धार्मिक सम्मेलन और प्रवचन आयोजित किए जाते हैं। इस स्मारक में एक विशाल पुस्तकालय है जो समृद्ध साहित्य का भंडार है। इस परिसर में गोस्वामी तुलसी दास जी द्वारा रचित रचनाओं के संकलन का एक शोध संस्थान भी है जिसे ‘अयोध्या शोध संस्थान’ कहा जाता है। इस अनुसंधान केंद्र में अयोध्या की साहित्यिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

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त्रेता के ठाकुर

अयोध्या में सरयू नदी के तट पर स्थित इस मंदिर को काले राम के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है की इसी मंदिर में भगवान राम ने अश्वमेध यज्ञ किया था। इस मंदिर का निर्माण तीसरी शताब्दी पूर्व हिमाचल प्रदेश स्थित कुल्लू के राजा ने करवाया था, बाद में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने इसका जीर्णोद्वार करवाया । काले पत्थर से निर्मित यहां की मूर्तियों का निर्माण राजा विक्रमादित्य के समय की हैं।

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राम की पैड़ी

सरयू नदी के किनारे कई घाट बनाए गए हैं जहां श्रद्धालु स्नान कर अपने को पवित्र और पापरहित समझते हैं। नदी किनारे मंदिर और हरे भरे बगीचे भी हैं जो एक अलग एहसास प्रदान करते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के अनुरक्षण सिंचाई विभाग द्वारा इसके जल की देखरेख की जाती है।

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सरयू नदी

देश के कई प्रमुख नदियों में सरयू नदी भी एक है जिसका उल्लेख प्राचीन हिन्दू ग्रन्थों में मिलता है। विभिन्न धार्मिक अवसरों पर सालभर यहां श्रद्धालु आते हैं।

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कुंड तथा घाट

अयोध्या के सरयू नदी तट पर कई प्रसिद्ध घाट और कुंड हैं जिनमें राज घाट, राम घाट, लक्ष्मण घाट, तुलसी घाट, स्वर्गद्वार घाट, जानकी घाट, विद्या कुंड, विभीषण कुंड, दंत धवन कुंड, सीता कुंड इत्यादि प्रमुख हैं।

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गुप्तार घाट

सरयू नदी के किनारे यह वही स्थान है जहां भगवान श्री राम ने जल समाधि ली थी । इस घाट पर राम जानकी , पुराना चरण पादुका , नरसिंह और हनुमान मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि इस नदी में डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं।

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सूरज कुंड

यह अयोध्या से 4 किमी की दूरी पर दर्शन नगर में चौदह कोसी परिक्रमा मार्ग पर स्थित एक बहुत बड़ा तालाब है। यह जगह चारों ओर से घाटों से घिरा हुआ एक प्राकृतिक दृश्य प्रस्तुत करता है। ऐसी मान्यता है कि अयोध्या के सूर्यवंशी शासकों द्वारा निर्मित यह कुंड भगवान सूर्य को समर्पित है।

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छोटी देवकाली मंदिर

इस मंदिर का संबंध महाभारत की अनेकों दंतकथाओं से जुड़ा हुआ है । ऐसा कहा जाता है कि सीता माता विवाह के बाद अयोध्या में भगवान राम के साथ देवी गिरिजा की मूर्ति के साथ आयीं थीं । इस मूर्ति को राजा दशरथ ने एक सुंदर मंदिर का निर्माण कर स्थापित करवाया था। माता सीता प्रतिदिन इस मंदिर में पूजा करती थीं। वर्तमान में इस मंदिर में देवी देवकाली की पूजा होती है इसीलिए इस मंदिर का नाम देवकाली पड़ा।

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मणि पर्वत

ऐसा कहा जाता है कि जब लंका में राम रावण के युद्ध के दौरान लक्ष्मण जी घायल हो गए थे तब उनके उपचार के लिए हनुमान जी संजीवनी बूटी वाला विशाल पर्वत उठा कर लंका ले जा रहे थे । उस दौरान रास्ते में इस पर्वत का कुछ भाग अयोध्या में गिर गया। करीब 65 फुट ऊंची इसी पहाड़ी को मणि पर्वत के नाम से जाना जाता है।

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दशरथ भवन

अयोध्या के फैजाबाद केंद्र में स्थित यह भवन भगवान राम के पिता राजा दशरथ का निवास स्थान था। इस महल में राजा राम का शानदार मंदिर है जिसकी सुंदरता देखते ही बनती है। हिंदू धर्म के अलावा अन्य धर्मों के स्थल भी यहां देखने लायक है। जिनमें प्रमुख हैं

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जैन मंदिर

अयोध्या सिर्फ भगवान राम की जन्मस्थली नहीं बल्कि जैनियों के लिए भी बहुत पवित्र स्थल है। इस पुण्यस्थल पर 5 जैन तीर्थंकरों ने जन्म लिया है। हर साल भारी संख्या में जैन धर्म अनुयायी इन महान संतों के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करने यहां आते हैं। अयोध्या के स्वर्गद्वार के निकट भगवान आदिनाथ का मंदिर, गोलाघाट के निकट भगवान अनंतनाथ का मंदिर, रामकोट में भगवान सुमननाथ का मंदिर , सप्तसागर के निकट भगवान अजीतनाथ का मंदिर तथा सराय में भगवान अभिनंदन नाथ का मंदिर मशहूर है। अयोध्या के रानीगंज इलाके में स्थापित 21 फुट ऊंची प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ (ऋषभदेवजी) की प्रतिमा इस मंदिर की खासियत है।

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गुरुद्वारा

अयोध्या में गुरु नानक देव , गुरु तेग बहादुर तथा गुरु गोविंद सिंह जी से संबंधित गुरुद्वारा ब्रह्म कुंड और नज़रबाग इलाके में स्थित है । भारी तादाद में सिख अनुयायी इन गुरुद्वारों के दर्शन के लिए यहां आते हैं।

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बहू-बेगम का मकबरा

यह मकबरा नवाब शुजाऊद्दौला की बेगम उम्मतुज़ ज़ोहरा बानो का अंतिम विश्राम स्थल है। अवधी वास्तुकला से बना यह मकबरा शिया बोर्ड कमेटी (लखनऊ) द्वारा देखरेख में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ए एस आई) के अंतर्गत एक संरक्षित स्थल है। चारों तरफ हरियाली से भरे इस मकबरे में मुहर्रम के दौरान काफी संख्या में लोगों को देखा जा सकता है। अयोध्या की सबसी ऊंची इमारतों में से एक इसके ऊपरी भाग से पूरे शहर का विहंगम दृश्य पर्यटक देख सकते हैं।

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क्वीन हो मेमोरियल पार्क

दक्षिण कोरियाई लोगों को आकर्षित करता यह पार्क यहां की प्रसिद्ध रानी ‘हो-हवांग ओके’ की याद में बनाया गया है। सैकड़ों की तादाद में कोरियाई लोग अपनी रानी को श्रद्धांजलि देने यहां आते हैं। एक कहावत के अनुसार, राजकुमारी सुरिरत्ना के नाम से मशहूर रानी ‘हो-हवांग ओके’, दक्षिण कोरिया के ‘करक’ वंश के राजा किम सूरो से विवाह के पूर्व अयोध्या की राजकुमारी थीं। सन् 2001 में इस मेमोरियल का उदघाटन में किया गया था।

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गुलाब बाड़ी

1775 ईस्वी में बने गुलाब के फूलों के इस बगीचे के अंदर शुजाऊद्दौला और उसके परिवार का मकबरा है। इस बगीचे में गुलाब के फूलों की बहुत सी प्रजातियां हैं। इस मकबरे में एक बहुत बड़ा शानदार गुंबद है जो चारों तरफ दीवार से घिरा हुआ है। इस बगीचे में पानी के फव्वारे पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। यह मकबरा हिंदू और मुगल शैली वास्तुकला के नवाबी शैली को दर्शाता है।

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मोती महल

अयोध्या शहर से कुछ दूरी पर स्थित इस महल को ‘पर्ल पैलेस’ के रूप में जाना जाता है। 1743 ई में निर्मित यह महल नवाब शुजा-उद-दौला की पत्नी रानी बेगम उन्मतुजोहरा बानू का निवास स्थान था। यह महल मुगल वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना है जिसे देखने भारी संख्या में पर्यटक आते हैं।

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कंपनी गार्डन

गुप्तार घाट गार्डन के नाम से मशहूर इस गार्डन में असंख्य प्रजातियों की बूटियां तथा पेड़ लगाए गए हैं। सरयू नदी के किनारे स्थित इस उपवन में हरे भरे पेड़ पौधों को देखकर प्राकृतिक सुंदरता का एहसास किसी को भी प्रफुल्लित कर सकता है ।

कैसे पहुंचे ?

हवाई मार्ग से अयोध्या के लिए अभी सीधी उड़ान सेवा शुरू की गई है, वाल्मीकि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा को देश के मुख्य शहरों से जोड़ा गया है। इसके अलावा फैजाबाद हवाई अड्डा, लखनऊ हवाई अड्डा भारत के अधिकांश प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, यहां पहुंच कर टैक्सी द्वारा आप अयोध्या पहुंच सकते हैं।

रेलवे मार्ग से अयोध्या पहुंचने के लिए ट्रेन से अयोध्या धाम स्टेशन पूरे उत्तर भारत में नजदीकी रेलवे स्टेशनों और देश के प्रमुख शहरों के स्टेशनों से जुड़ा हुआ है। ट्रेन द्वारा यहां पहुंचना आसान है। सड़क मार्ग से अयोध्या सरकारी और निजी बसों द्वारा पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा निजी वाहन और टैक्सी द्वारा भी यहां पहुंच सकते हैं।

कब जाएं?

यहां की यात्रा का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से दिसंबर के बीच का है, इस समय सर्दी का मौसम काफी ठंडा होता है और गर्म कपड़ों को रखना न भूलें। दशहरा , दिवाली जैसे कई त्योहार भी इसी मौसम में पड़ते हैं जिसका आनंद भी लिया जा सकता है। ठहरने के लिए ऑनलाइन होटल की बुकिंग की जा सकती है।

(लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं ।)

Shashi kant gautam

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