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Azamgarh History Hindi: इतिहास और आजमगढ़ का है गहरा नाता, बनारसी साड़ियों के लिए है प्रसिद्ध
Azamgarh History Hindi: भारत के उत्तरप्रदेश में बसा आजमगढ़ अपने अंदर इतिहास को समेटे हुए है। ये जगह बहुत ही खास है।
Azamgarh History Hindi: आज़मगढ़ भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के आज़मगढ़ ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है और तमसा नदी के तट पर बसा हुआ है। जिले में प्राचीन शिव मंदिर है आजमगढ में एक महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय है। आजमगढ़ एक यादव बाहुल्य इलाका है , मुगल शासन काल में कुछ राजपूतों ने धर्म परिवर्तन कर लिए,पर बाकी अपने धर्म पे टिके रहे और मुगलों का मुकाबला भी किया । राजपूतों की भी अच्छी आबादी है।
आजमगढ़ का इतिहास (Azamgarh Ka Itihas)
उत्तर प्रदेश के पूर्वी जिलों में से एक, आजमगढ़, इसको आजन्मगढ़ भी कहते है उत्तर-पूर्वी हिस्से को छोड़कर कभी प्राचीन कोसल राज्य का हिस्सा था। मुगल काल में कई जगह के नाम बदले। आजमगढ़ को ऋषि दुर्वासा की भूमि के रूप में भी जाना जाता है, जिसका आश्रम फूलपुर तहसील में स्थित था, जो फूलपुर तहसील मुख्यालय से 6 किलोमीटर (3.7 मील) उत्तर में तमसा और मझुए नदियों के संगम के पास स्थित था। आज़मगढ़ 1665 ई. में फुलवारिया नामक प्राचीन ग्राम के स्थान पर आजम ख़ाँ जो कि राजा विक्रमजीत सिंह के पुत्र थे उन्होंने ही इस नगर की स्थापना की थी। यहाँ गौरीशंकर का मंदिर 1760 ई. में स्थानीय राजा के पुरोहित ने बनवाया था। आज़मगढ़ उत्तर प्रदेश में स्थित है।
आजमगढ़ की स्थापना
इसकी स्थापना शाहजहां के शासनकाल के दौरान 1665 में विक्रमजीत के बेटे आजम ने की थी। विक्रमाजीत परगना निज़ामाबाद में मेहनगर के गौतम राजपूतों के वंशज थे जिन्होंने अपने कुछ पूर्ववर्तियों की तरह इस्लाम अपनाया था। उसकी एक मुस्लिम पत्नी थी, जिससे उसके दो बेटे आज़म और अज़मत हुए। आज़म ने अपने नाम से शहर का नाम आज़मगढ़ शहर, और किला को अपना नाम दिया, जबकी अज़मत ने परगना सगरी में किले और अज़मतगढ़ बाजार का निर्माण करवाया था। चैबील राम के हमले के बाद, अज़मत खान अपने सैनिकों के साथ उत्तर की ओर भाग गया। उन्होंने गोरखपुर में घाघरा पार करने का प्रयास किया, लेकिन दूसरी तरफ के लोगों ने उसके आने का विरोध किया, और उन्हें या तो मध्य धारा में गोली मार दी गई या बचने के प्रयास में डूब गया। आजमगढ़ स्वतंत्रा आंदोलन के लिए भी पहचाना जाता है, गांधीजी के आव्हान पर सन 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में अतरौलिया खंड के रामचरित्र सिंह व उनके नाबालिक बेटे सत्यचरण सिंह ने एक साथ अंग्रेजो का डटकर मुकाबला किया और गोली खायी। पिता पुत्र का एकसाथ स्वतंत्रा के आंदोलन में कूदने का विरला ही उदाहरण देखने को मिलता है। आजमगढ़ जिले के अंतर्गत एक गांव है जिसका नाम मोहिउद्दीनपुर है।
आजमगढ़ क्यों प्रसिद्ध है
यह जगह बनारसी साड़ियों के लिए काफी प्रसिद्ध है। इन बनारसी साड़ियों का निर्यात पूरे विश्व में होता है। इसके अलावा यहां ठाकुरजी का एक पुराना मंदिर और राजा साहिब की मस्जिद भी स्थित है।