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Banaras Ki Heeramandi: काशी के इस गली में लगता था कला का बाजार, कुछ ऐसी थी बनारस की हीरामंडी

Banaras Ki Heeramandi: बनारस जिसे गलियों का शहर कहा जाता है। यहां पर एक बेतरतीब सी गली है, यह गली एक समय में फनकारों और कलाकारों से जगमग हुआ करती थी...

Yachana Jaiswal
Written By Yachana Jaiswal
Published on: 6 Jun 2024 12:16 PM IST (Updated on: 6 Jun 2024 7:15 PM IST)
Heeramandi of Varanasi
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Heeramandi of Varanasi (Pic Credit-Social Media)

Varanasi Heeramandi Details: नेटफ्लिक्स पर लाहौर की हीरामंडी तो आपने देख ली होगी। चलिए यहां पर हम आपको बनारस के हीरामंडी के बारे में बताते हैं। बनारस जिसे गलियों का शहर कहा जाता है। यहां पर एक बेतरतीब सी गली है, जहां के हवा में रुआब, मस्ती और दिलफेंक आशिकी भी एक समय में खूब होती थी। हम बात कर रहे है बनारस की बेहतरीन गली दालमंडी की। वैसे इस गली के नाम पर बिल्कुल मत जाइएगा। यहां पर अब दाल की मंडी जैसा कोई बाजार नहीं लगता हैं। दालमंडी की पतली गली में कदम रखते ही ऐसा लगेगा जैसे आप दिल्ली के बाजार या जयपुर के बापू बाजार में पहुंच गए हों। इस गली का नाम और इसकी पुरानी कहानी बहुत ही दिलचस्प है।

बनारस की हीरामंडी(Varanasi Heeramandi)

बनारस की हीरामंडी जो आज दालमंडी के नाम से जानी जाती है। इस जगह का पूरा नाम हकीम मोहम्मद जफर मार्ग है। जिसे लोगों ने अपने सुविधानुसार दालमंडी नाम दे दिया है। यहां बनने वाले घर या इमारतें लाल बलुआ पत्थर से बनी है, जो बनारस का हिस्सा रहे मिर्जापुर के चुनार से आते थे। इन ईंटों और पत्थरों की जुड़ाई, सुर्खी और चूने से होती थी। यही वजह थी कि ये इमारतें बरसों बाद आज भी उतनी ही मजबूती से खड़ी हैं।



दालमंडी नाम के पीछे ये है कहानी

दालमंडी में रईस कारोबारियों द्वारा दाल का कारोबार किया जाता था। मुगलों की आखिरी पीढ़ी के जमाने में यहां से दाल की मंडी दालमंडी के पास ही में विशेसरगंज बाजार में शिफ्ट हो गई थीं। उसके बाद दालमंडी में गाने वाले, नाचने वाले और कलाकार बसने लगे। जिसमे संगीतकार और कई तरह के वाद्ययंत्र में निपुण लोग भी शामिल थे।

दालमंडी में सजता था कला का बाजार

यह दालमंडी जगह जिसे एक समय में सुरों की और अदब की गली से भी पहचाना जाता था। यहां पर बनारस की रईसी परंपरा को भी देखा जा सकता था। इसके वर्तमान नाम के पीछे ये कहानी है कि यहां पर एक वक्त था जब दिन में दाल की बिक्री की जाती थी। उसके बाद रात के अंधेरे के दौरान यह गली कला के चमक से रोशन हुआ करती थी। यहां पर रात में कला का बाजार लगता था। जिसमे फनकार, नृत्यांगना, सुरों के सरताज सब अपने कला का प्रदर्शन कर लोगों का मनोरंजन करते थे। यहां पर एक चंपा बाई नाम की प्रसिद्ध फनकारा हुआ करती थी। जिससे मिलने लोग दूर -दूर से आया करते थे।

भारत रत्न बिस्मिल्लाह खान का भी था दालमंडी से जुड़ाव

इसी गली में भारत रत्न बिस्मिल्लाह खान का भी घर है। जो मशहूर शहनाई वादक थें , उनका कहना था कि अगर कोठे नहीं होते, तवायफ नहीं होते तो आज बिस्मिल्लाह, बिस्मिल्लाह नहीं होते। बिस्मिल्लाह खान का बचपन भी यही बनारस की गलियों में बिता उसके बाद उन्होंने अपनी अंतिम सांसें भी यही ली। बिस्मिल्लाह खान को वर्ष 2001 में देश सर्वोच्च नागरिक पुरस्कर भारत रत्न से नवाजा गया।



बिना दाग के होता था कला का प्रदर्शन

दालमंडी में जब दाल का व्यापार बंद हुआ तो उसके बाद यहां पर सिर्फ और सिर्फ कला का बाजार ही लगता था। यह दालमंडी कोलकाता के सोनागाछी या फिर दिल्ली के जीबी रोड जैसा बिल्कुल नहीं था। यहां पर तवायफें जरूर थी। लेकिन वे सिर्फ लोगों का मनोरंजन अपने कला के द्वारा करती थी। यह जगह कभी भी जिस्मफरोशी या देह व्यापार के धंधे में शामिल नहीं था। यहीं से सितारा देवी और बागेश्वरी देवी जैसी बड़ी कलाकार हस्तियां निकलीं है। बाद में जब अंग्रेजो का शासन आया तब उन्होंने यहां पर तवायफों को रहने का इंतजाम किया। जहां जमींदार, बड़े अमीर रईसजादे और ब्रिटिशर्स लोग मनोरंजन के लिए आया करते थे।

आज सजता है बड़ा बाजार

इस गली में वक्त के साथ एक से एक फनकार हुए लेकिन धीरे धीरे सब भूला दिए गए। जो दालमंडी कभी तबले की थाप और ठुमरी गायन से सराबोर हुआ करती थी, आज वह सब इस गली में विराम हो चुका हैं यहां पर वर्तमान में बाजार लगता है। यह बाजार कोई छोट मोटा बाजार नहीं स्थानीय लोगों के साथ पर्यटकों के लिए भी एक बड़ा बाजार है। यहां पर सभी इमारतें करीब 200 साल पुरानी है। जिनका रंगरोगन करके उनमें कई छोटे बड़े कपड़े, कॉस्मेटिक्स, खिलौने, फूड आइटम और इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकानें लगती हैं।



Yachana Jaiswal

Yachana Jaiswal

Content Writer

I'm a dedicated content writer with a passion for crafting engaging and informative content. With 3 years of experience in the field, I specialize in creating compelling articles, blog posts, website content, and more. I can write on anything with my research skills. I have a keen eye for detail, a knack for research, and a commitment to delivering high-quality content that resonates with the audience. Author Education - I pursued my Bachelor's Degree in Journalism and Mass communication from Sri Ramswaroop Memorial University Lucknow. Presently I am pursuing master's degree in Master of science; Electronic Media from Makhanlal Chaturvedi National University of Journalism and Communication Bhopal.

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