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Banaras mein Ghoomane Ki Jagah : बनारस में घूमने की मशहूर जगहें, यहां जाना बिल्कुल न भूले

Banaras mein Ghoomane Ki Jagah : वाराणसी प्रसिद्ध तीर्थस्थानों में से एक है। दूर-दूर से लोग यहां के विशालकाय मंदिरों का दर्शन करने और घाटों की सैर करने आते हैं।

Vidushi Mishra
Written By Vidushi Mishra
Published on: 2 Oct 2021 5:51 PM GMT
Banaras mein Ghoomane Ki Jagah : बनारस में घूमने की मशहूर जगहें, यहां जाना बिल्कुल न भूले
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Banaras mein Ghoomane Ki Jagah : बाबा भोले की नगरी काशी में बोलता है बम-बम का डंका। जीं हां ये धर्मनगरी बनारस की सकरी गलियां, जहां देश-विदेश से आए लोग बम-बम भोले का जयकारा लगाते हुए निकलते हैं। घाटों के किनारें भक्तों का तांता साल के 365 दिन लगा ही रहता है। गंगा आरती का ऐसा भव्य नजारा की हजारों की संख्या में हर रोज भक्तों की भीड़ उमड़ी रहती है। असल में यही है काशी की असली रौनक।

वाराणसी प्रसिद्ध तीर्थस्थानों में से एक है। दूर-दूर से लोग यहां के विशालकाय मंदिरों का दर्शन करने और घाटों की सैर करने आते हैं। यहां रेलवे स्टेशन पर भक्तों की ऐसी भीड़ लगी रहती है कि पूरा का पूरा स्टेशन रात में भी भरा रहता है। चलिए आपको बनारस की सैर कराते हैं। बनारस में घूमने की मशहूर जगहों के बारे में जानकारी देते हैं।

बनारस के प्रसिद्ध घाट

Banaras Ke Ghat Ka Itihaas

1. दशाश्वमेध घाट -

बनारस का दशाश्‍वमेध घाट को स्नान और पूजा-आरती के लिए मशहूर है। इस घाट का इतिहास कई हजारों साल पुराना है। इस घाट का अर्थ मतलब दशाश्‍वमेध का अर्थ- दस घोड़ों का बलिदान होता है। इस घाट पर हर दिन शाम सात बजे गंगा आरती होती है। जिसमें हर रोज हजारों की तादात में लोग शामिल होते हैं। इस दौरान ऐसा अनुभव होता है, जिसे शब्दों में तो बंया ही नहीं किया जा सकता है।

2. अस्सी घाट -

धर्मनगरी पर मौजूद अस्सी घाट एक बहुत ही पवित्र स्थान है। यहां आने वाले तीर्थयात्री एक पीपल के पेड़ के नीचे स्थित एक विशाल शिव लिंग की पूजा करके भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पूजा अर्चना करते हैं। बता दें, ये अस्सी घाट अस्सी नदी और गंगा नदी के संगम पर स्थित है।

3. मणिर्कणिका घाट -

मणिर्कणिका घाट (फोटो- सोशल मीडिया)

काशी के इस मणिकर्णिका घाट (Manikarnika Ghaat ka Itihaas) में ऐसी मान्यता है कि जिसका अंतिम संस्कार इस घाट पर होता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। ये ऐसा घाट है, जहां 24 घंटें चिताएं जलती रहती हैं।

इस बारे में एक कथा है कि एक बार भगवान शिव और माता पार्वती इस मणिकर्णिका घाट पर स्नान करने आए थे। स्नान के दौरान इस घाट पर भगवान शिव की मणि और माता पार्वती की कर्णिका कहीं गुम हो गई। काफी देर ढूंढने के बाद भी मणि और कर्णिका कहीं नहीं मिली। जिससे क्रोधित होकर भगवान शिव इस घाट को श्राप दिया कि कोई भी जिंदा प्राणी यहां स्नान नहीं करेगा ।

काशी विश्वनाथ मंदिर -

अगर आप बनारस गए और काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन नहीं किए, तो आपकी यात्रा अधूरी रह जाएगी। भगवान शिव का ये प्रसिद्ध मंदिर बाराह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। हर रोज हजारों की तादात में लोग यहां दर्शन करने आते हैं। बाबा भोले के इस मंदिर का छत्र सोने का है।

रामनगर किला -

रामनगर किला (फोटो- सोशल मीडिया)

बनारस में घाट के दूसरी पार पर स्थित रामनगर किला काफी मशहूर है। इतिहास के इस किले का निर्माण 1750 में राजा बलवंत सिंह ने मुगल शैली की वास्तुकला के करवाया था। इस किले में एक संग्रहालय भी है। जिसमें पुरानी दुर्लभ चीजें संग्रहीत है। यहां हाथी दांत वर्क, मध्यकालीन वेशभूषा और एक विशाल खगोलीय घड़ी भी रखी हुई है।

सारनाथ मंदिर -

भारत में मशहूर बौद्ध तीर्थ स्थनों में से सारनाथ एक है। वाराणसी से 13 किलोमीटर की दूरी पर सारनाथ एक काफी शांतिप्रिय जगह है। ये शाम को पांच बजे बंद हो जाता है। यहां की मशहूर जगहों में चौखंडी स्तूप, अशोक स्तंभ, धमेख स्तूप, पुरातत्व संग्रहालय, मूलगंध कुटी विहार, चीनी, थाई मंदिर और मठ शामिल हैं।

अन्नकूट का मंदिर -

काशी विश्वनाथ मंदिर से चंद कदमों की दूरी पर माता अन्नपूर्णा का मंदिर है। इस मंदिर में दर्शन मात्र से ही मन बिल्कुल शांत हो जाता है। अन्नपूर्णा माता के मंदिर में केरल, तमिलनाडू, चेन्नई से लोग दर्शन करने आते हैं। इस मंदिर में 12 महीने भंडारा चलता रहता है। यहां आने वाले हर इंसान को भरपेट स्वादिष्ट भोजन कराया जाता है।

चुनार का किला -

वाराणसी से 23 किलोमीटर दूरी पर चुनार का किला यूपी के मिर्जापुर जिले में है। इस किले में आज भी सैनिकों की कब्रें मौजूद हैं। ये किला 16 वीं शताब्दी का सबसे पहला किला है। इस किले के बारे में इतिहास काफी व्यापक है।




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