Neelkanth Mahadev: विष पीने के बाद यहां मिला था महादेव को आराम, आज भी शिवलिंग के रहस्य का नहीं मिला तोड़

Banda Neelkanth Mahadev Temple: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री के पवित्र मंदिर के पास गंगोत्री में सूर्य कुंड एक पूजनीय तीर्थ स्थान है। यहां पर सूर्य की पहली किरण पड़ती है, इसके संबंध में एक कथा भी है...

Yachana Jaiswal
Written By Yachana Jaiswal
Published on: 16 April 2024 10:15 AM IST (Updated on: 16 April 2024 10:16 AM IST)
Banda Neelkanth Mahadev Temple
X
Banda Neelkanth Mahadev Temple (Pic Credit-Social Media)

Banda Neelkanth Mahadev Temple: भारत में देवी देवताओं के जन्म का उनके होने का प्रमाण मिलता है। महादेव के धरती पर भ्रमण करने का भी प्रमाण भारत के कई जगह करते है। देवताओं और असुरों के सहयोग से समुद्र मंथन का किस्सा तो आप सबने सुना होगा। लेकिन यदि मैं आपको इसका जीवंत प्रमाण देने की बात कहूं तो आपको यकीन नहीं होगा। भारत में एक ऐसा मंदिर है जो इस बात को प्रमाणिक करता है। उत्तर प्रदेश में काशी नागरी के अलावा एक और स्थान है जहां महादेव ने विश्राम किया था। इस जगह का भी महत्व है।

कालिंजर किले में है एकमुखी शिवलिंग

उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में स्थित कालिंजर किले के पश्चिमी किनारे पर स्थित, नीलकंठ मंदिर एक प्रसिद्ध सहस्राब्दी पुराना भगवान शिव मंदिर है। जिसके परिसर में 'एकमुखी शिवलिंग' और कई अन्य प्राचीन चट्टान की नक्काशी मौजूद है। कहा जाता है कि भगवान शिव का यह प्राचीन मंदिर 1000 साल पहले बनाया गया था। यह भारत के प्राचीन मंदिरों में से एक है। मंदिर क्षेत्र तक पहुँचने के लिए आपको किले की दीवारों से लगभग 120 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। मंदिर की सीढ़ियों के रास्ते में कई छोटी गुफाएँ और चट्टानों की नक्काशी देखी जा सकती है।


मंदिर की मान्यता समुद्र मंथन से जुड़ी

मंदिर के शीर्ष पर, पानी का एक प्राकृतिक चट्टान कट जलाशय है जिसे स्वर्ग कुंड कहा जाता है, मंदिर परिसर के चारों ओर कई अन्य चट्टानों पर नक्काशी दिखाई देती है।

लोकेशन: तरहटी कालिंजर मेन रोड, रामलीला मैदान के पास, बांदा जिला उत्तर प्रदेश


समय सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक

नीलकंठ मंदिर का मुख्य आकर्षण चांदी की आंखों वाला एक बड़ा नीले पत्थर का शिवलिंग है। जो एक सहस्राब्दी से अधिक समय से पूजा की प्राथमिकता रही है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव समुद्र मंथन के बाद जहर पीने के बाद अपनी प्यास बुझाने के लिए कालिंजर आये थे। आज भी मंदिर के अंदर स्थित जलस्रोत से शिवलिंग का कंठ सदैव तर रहता है।



नीलकंठ मंदिर की वास्तुकला चौकाने वाली

मंदिर के बाईं ओर एक विशाल महासदाशिव चट्टान की नक्काशी स्थित है। 24 फीट लंबी इस प्रभावशाली आकृति में भगवान शिव को 18 भुजाओं और हाथ में एक खोपड़ी के साथ दर्शाया गया है। उसी नक्काशी के भीतर काली की स्थिति भी मौजूद है। नीलकंठ शिव मंदिर के प्रवेश द्वार पर एक बहुस्तंभीय मंडप स्थित है। मंडप मंडप चंदेल वास्तुकला का एक अनूठा काम है जिन्होंने 9वीं -12वीं ईस्वी के आसपास इस किले पर शासन किया था। नीलकंठ मंदिर स्थल पर सबसे उल्लेखनीय कलाकृति में एकमुख शिव लिंग के कई संस्करण, कुछ सहरशालिंग, नाचती हुई काली, खड़े गणेश, मानवरूपी नंदी, काल भैरव, पार्वती, सरस्वती और अन्य शामिल हैं।


कई अन्य स्थल की भी है मान्यता

नीलकंठ मंदिर को कालिंजर के स्मारकों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण और पूजनीय माना जाता है। इसके मंदिर के मंडप का निर्माण चंदेलों ने करवाया था। इस मंदिर का रहस्य पुराणों में है। मंदिर में शिवलिंग स्थापित है, जिसे 1 हजार वर्ष पूर्व भी प्राचीन माना जाता है। नीलकंठ मंदिर से काल भैरव की प्रतिमा के बगल में चट्टानों का ढांचा बनाया गया है। इसे 'स्वर्गारोहण मठ' कहा जाता है। ये मान्यता प्राचीन है।


समुद्र मंथन पर संक्षिप्त जानकारी

नाग 'वासुकि' और 'मंदार पर्वत' के साथ 'समुद्र-मंथन' किया गया था, जिसमे एक तरफ असुर और दूसरी तरफ देवता गण मौजूद थे। इसके उपरांत निकला विष महादेव ने ग्रहण किया। इसी के कारण शिवजी को नीलकंठ या जिनका गला नीला है, की कथा प्रचलित हुई है। किंवदंती है कि जब शिवजी ने समुंद्र मंथन का विष पी लिया, तो वे विश्राम करने के लिए इस स्थान पर आए थे। और यहीं पर उन्हें अपने गले की जलन से कुछ शांति मिली थी। मंदिर की गुफा के अंदर स्थित शिवलिंग के गले का भाग हमेशा गीला रहता है, भले ही इस क्षेत्र में सूखा या अकाल पड़ा हो। यह महाकाव्य की "नीलकंठ" या जहर पीने की कहानी याद दिलाता है।

Yachana Jaiswal

Yachana Jaiswal

Content Writer

I'm a dedicated content writer with a passion for crafting engaging and informative content. With 3 years of experience in the field, I specialize in creating compelling articles, blog posts, website content, and more. I can write on anything with my research skills. I have a keen eye for detail, a knack for research, and a commitment to delivering high-quality content that resonates with the audience. Author Education - I pursued my Bachelor's Degree in Journalism and Mass communication from Sri Ramswaroop Memorial University Lucknow. Presently I am pursuing master's degree in Master of science; Electronic Media from Makhanlal Chaturvedi National University of Journalism and Communication Bhopal.

Next Story