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Bandhavgarh Forest Reserve: बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में मिली एतिहासिक धरोहरें, 9 वीं सदी के रहस्यों का खुलासा

Bandhavgarh Forest Reserve: बांधवगढ़ फॉरेस्ट रिजर्व में 9 वीं सदी के मंदिर और बौद्ध मठ मिले हैं। ये मठ और मंदिर बहुत ही एतिहासिक है।

Vidushi Mishra
Published on: 29 Sept 2022 3:37 PM IST
Bandhavgarh Forest Reserve
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बांधवगढ़ वन अभ्यारण्य (फोटो-सोशल मीडिया)

 

Bandhavgarh Forest Reserve: मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ फॉरेस्ट रिजर्व से बहुत ही रोचक जानकारी मिली है। ताजा खबर है कि बांधवगढ़ फॉरेस्ट रिजर्व में 9 वीं सदी के मंदिर और बौद्ध मठ मिले हैं। ये मठ और मंदिर बहुत ही एतिहासिक है। बांधवगढ़ फॉरेस्ट रिजर्व में ये एतिहासिक धरोहरों करीब 175 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में हैं। बताया जा रहा है कि ये सभी एतिहासिक धरोहरे करीबन दो हजार साल पुरानी हैं। इस बारे में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey Of India - ASI) ने बताया है कि इस फॉरेस्ट रिजर्व में 26 मंदिर, 26 गुफाएं, 2 मठ, 2 स्तूप, 24 अभिलेख, 46 कलाकृतियां और 19 जल संरचनाएं हैं। वहीं इन एतिहासिक धरोहरों से और गुफाओं में बौद्ध धर्म से जुड़ी कई बातें सामने आई है, वहीं अभी कई चीजे रहस्यमयी हैं।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey Of India - ASI) ने मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ फॉरेस्ट रिजर्व के बारे में बताया कि टाइगर रिजर्व 26 गुफाएं मिली हैं। इनमें से कुछ गुफाओं में बौद्ध गुफा के समय के भी कई साक्ष्य भी मिले हैं। ऐसे में ये तो साफ तौर पर कहा जा सकता है कि फॉरेस्ट रिजर्व में बौद्ध धर्म से संबंधित एतिहासिक धरोहरें हैं। बता दें, ये काम एएसआई जबलपुर सर्कल की टीम द्वारा किया गया है।

बांधवगढ़ का एतिहासिक रहस्य

टाइगर रिजर्व में मिली इन गुफाओं में ब्राह्मी लिपि के कई अभिलेख मिले हैं। इन अभिलेखों में मथुरा, कौशांबी, पवत, वेजभरदा, सपतनाइरिका जैसे तमाम जिलों के नामों का वर्णन किया गया है। अभिलेखों से ये भी बताया जा रहा है कि ये सब श्री भीमसेना, महाराजा पोथासिरी, महाराजा भट्टादेवा के समय की गुफाएं हैं। इन गुफाओं के अलावा एएसआई (ASI) को 26 पुराने मंदिर मिले हैं। इन मंदिरों में भगवान विष्णु की शयन मुद्रा की मूर्ति के साथ बड़े-बड़े वराह की मूर्तियां हैं।

बांधवगढ़ वन अभ्यारण्य (फोटो- सोशल मीडिया)

मूर्तियों और मंदिरों की बनावट देखकर बताया जा रहा कि ये मंदिर लगभग 2 हजार साल पुराने हैं। ऐसे में एएसआई को पहले चरण में मिली कामयाबी से बहुत खुशी है। इसके बाद अब एएसआई आगे से चरण की तैयारी में है। इस बारे में जबलपुर जोन ASI सुप्रीटेंडेट शिवाकांत बाजपाई ने बताया कि ये गुफाएं मानव निर्मित हैं। इन प्राचीन गुफाओं में बौद्ध धर्म से जुड़े कई जरूरी तथ्य भी मिले हैं।

आगे एएसाई सुप्रीटेंडेट शिवाकांत बाजपाई ने बताया कि फॉरेस्ट रिजर्व में मिले बौद्ध स्तूपों मनौती स्तूपों का बहुत एतिहासिक महत्व है। यहां दुनिया का सबसे विशाल वराह भी मिला है। जोकि करीबन 6.4 मीटर ऊंचा है। इससे कई एतिहासिक रहस्यों से भी पर्दा उठ सकता है।

दरअसल बांधवगढ़ के बारे में नारद पंचरात्र एवं शिव पुराण में भी बताया गया है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम जब अयोध्या से लौट रहे थे तो अपने छोटे भाई लक्ष्मण को ये जगह उपहार रूप में दी थी। ऐसे में इस जगह से मिले प्राचीन अभिलेखों से साफ पता चलता है कि यहां पर बहुत लंबे समय तक मघ राजवंश का शासन था। फिलहाल यहां अभी भी एएसआई की खोजबीन जारी है।




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Vidushi Mishra

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