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Barabar Caves: बौद्ध और जैन धर्म अनुयायियों का स्थल
Barabar Caves: यह राजगीर का एक पर्यटक स्थल है। यह स्तूप बराबर की गुफा में नहीं स्थित है। इसके आसपास का परिदृश्य बहुत मनोरम है और शांति और सद्भाव का प्रतीक है।
Barabar Caves: भारत देश के बिहार राज्य के जहानाबाद जिले के मखदुमपुर क्षेत्र में स्थित है। बिहार राज्य के गया से करीब 24 किमी की दूरी पर ये गुफाएं स्थित हैं। 322-185 ईसा पूर्व मौर्य काल में इन गुफाओं को चट्टानों को काटकर बनाया गया है। इन पुरानी गुफाओं को बराबर या सतघरवा गुफा के नाम से जाना जाता है। इनमें से कुछ गुफाओं में अशोक के शिलालेख देखने को मिलता है। भारत की सबसे पुरानी रॉक-कट वास्तुकला से बनी इन बराबर और नागार्जुनी गुफाओं का उपयोग बौद्ध भिक्षुओं द्वारा किया जाता था। इस स्थान पर चट्टानों से बनी बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म की मूर्तियाँ भी मिली हैं।
बराबर की चार गुफाएं
करण चौपर, लोमस ऋषि, सुदामा और विश्व ज़ोपरी के अलावा नागार्जुनी के तीन गुफाएं इन जुड़वां पहाड़ियों में स्थित हैं। बराबर की गुफाएं दो कक्षों की बनी हैं जिसे ग्रेनाईट को तराशकर बनाया गया है। इन गुफाओं की वास्तुकला देखने योग्य है, यहां के आंतरिक कक्ष प्रतिध्वनि के लिए मशहूर हैं।यहां के कक्ष कुछ इरादे से बनाएं गए हैं जैसे पहला कक्ष उपासकों के लिए एक बड़े आयताकार हॉल में एकत्र होने के लिए, दूसरा कक्ष एक छोटा, गोलाकार, गुम्बदयुक्त पूजा के लिए।
हालांकि अब ये कक्ष खाली हैं।इन गुफाओं की स्थापना मक्खलि गोसाल के संन्यासियों द्वारा किया गया जिसका उपयोग आजीविका संप्रदाय के लिए किया गया। ये सब संन्यासी बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध और जैन धर्म के अंतिम एवं 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर के समकालीन थे। इन गुफाओं में सैलानियों को ब्राह्मी लिपि में मौर्य काल के शिलालेख देखने को मिलेंगे। ये शिलालेख प्राचीन भारतीय संस्कृति और समाज को समझने में योगदान देते हैं। यहां घूमने लायक कई जगह हैं जैसे
बाबा सिद्धनाथ मंदिर
इस मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी में राजगीर के राजा जरासंध ने कराया गया था। यहां की पहाड़ी के नीचे विशाल जलाशय पातालगंगा में स्नान कर मंदिर में पूजा-अर्चना की जाती थी। पूजा-अर्चना करने के लिए मंदिर में राजा के आने के लिए यहीं से एक गुप्त मार्ग राजगीर किले तक बना था।
बराबर की 4 गुफाएं
लोमस ऋषि गुफा
इस गुफा का प्रवेश भाग मेहराब के आकार का है जो लकड़ी के वास्तुकला के समान दिखता है। यहां चट्टान को काटकर हाथियों की मूर्तियां बनाई गई हैं जिनकी कतारें स्तूप के प्रतीकों तक हैं।
सुदामा गुफा
मौर्य सम्राट अशोक को समर्पित इस गुफा में धनुषाकार मेहराब हैं।
कर्ण चौपड़ गुफा
245 ईसा पूर्व के शिलालेख इस गुफा में मौजूद हैं।
विश्वकर्मा गुफा
इस गुफा में दो आयताकार कमरे हैं। चट्टान पर बनी अशोक की सीढ़ियों से इस गुफा तक पहुंचा जा सकता है।
नागार्जुनी हिल्स की तीन गुफाएं
गोपी गुफा
इस गुफा का निर्माण अशोक के पोते दशरथ ने अपने कार्यकाल में करवाया था जिसका प्रमाण यहां के शिलालेखों से मिलता है।
वदिति-का-कुभा गुफा और वापिया-का-कुभा गुफा
ये गुफाएं पहाड़ी के उत्तरी किनारे पर स्थित हैं और सम्राट अशोक के पोते दशरथ द्वारा आजीविक संप्रदाय को समर्पित हैं।
करंदम गुफा
अन्य गुफाओं की तुलना में यह एक छोटी गुफा है। ऐतिहासिक महत्व रखने वाली इस गुफा में प्रवेश द्वार साधारण तरीके का है। पर्यटक इस गुफा में प्राचीन शिलालेख और वास्तुशिल्प को देख सकते हैं।
विश्व शांति स्तूप
यह राजगीर का एक पर्यटक स्थल है। यह स्तूप बराबर की गुफा में नहीं स्थित है। इसके आसपास का परिदृश्य बहुत मनोरम है और शांति और सद्भाव का प्रतीक है। इसके अलावा गया से करीब 12 किमी की दूरी पर बोधगया भी पर्यटक जा सकते हैं।
कैसे पहुंचें
इन बराबर की गुफाओं की सैर करने के लिए हवाई मार्ग से आप पटना या बोधगया हवाई अड्डे पहुंच कर सड़क मार्ग से इन गुफाओं तक पहुंच सकते हैं।रेल मार्ग से पर्यटक निकटतम स्टेशन गया पहुंचकर बस, टैक्सी या अन्य साधन से इन गुफाओं तक जा सकते हैं। पटना- गया राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 83 से होते हुए मखदुमपुर में जमुना नदी के पुल को पार कर सीधे इन गुफाओं तक पर्यटक पहुंच सकते हैं।
( लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं ।)