NO HOLI-DAY: आपको भी नहीं पसंद होली का त्योहार, तो देश के इन शहरों में जाने का कर सकते हैं प्लान, जहां नहीं मनाई जाती होली

NO HOLI-DAY: देश में कई जगहों पर होली का त्योहार मनाए जाने पर परहेज किया जाता है। हालांकि इस हर किसी को अपनी अलग सोच और धारणा है। लेकिन जो लोग होली खेलने से डरते हैं

Kajal Sharma
Published on: 2 March 2023 1:38 AM GMT
Holi in india
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Holi celebration avoid(social media)

NO HOLI-DAY: भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक होली का त्योहार जो देश के हर कोने में मनाया जाता है। दिलों को जोड़ने वाले इस त्योहार के रंगों की उमंग हर शहर में देखी जाती है। होली के कुछ दिनों पहले से ही रौनके दिखने लगती हैं। धूमधाम से मनाया जाने वाले इस त्योहार पर खुशी और व्‍यंजनों का लुत्‍फ हर किसी के मन को उत्‍साह से भर देता है। लेकिन हमारे ही देश में कई ऐसी जगहें भी हैं जहां होली का त्‍योहार नहीं मनाया जाता। यह जानकर आपको थोड़ी हैरानी जरूर होगी, लेकिन यह सच है कि देश में कई जगहों पर होली का त्योहार मनाए जाने पर परहेज किया जाता है। हालांकि इस हर किसी को अपनी अलग सोच और धारणा है। लेकिन जो लोग होली खेलने से डरते हैं या जिन्हे होली खेलना नहीं पसंद वह होली के दिनों में बेशक ही इन जगहों पर जा सकते हैं।

इन शहरों में नहीं मनाई जाती होली

रामसन गांव, गुजरात - Ramsan Village, Gujarat

सबसे रंगीला राज्य कहा जाने वाला गुजरात का एक गांव भी होली के दिन सूनसान रहता है। जिसका नाम है रामसन गांव। यह गांव गुजरात के बनासकांठा जिले में है, जहां पिछले 200 साल से अभी तक किसी ने होली नहीं मनाई है। कहा जाता है कि इस गांव को तों का श्राप मिला है। इसलिए चाहते हुए भी लोग यहां होली का जश्‍न नहीं मना पाते। बता दें कि पहले इस गांव का नाम रामेश्‍वर था जो भगवान राम के नाम पर रखा गया था।


तमिलनाडु - Tamil Nadu

पूरे देश में रंग बिखेरने वाली होली दक्षिण भारत में काफी कम लोग मनाते हैं। हालांकि उत्‍तर भारत में होली की काफी धूमधाम देखी जाती है, लेकिन तमिलनाडु में होली के रंग जरा फिके रहते हैं। लेकिन जब होली पूर्णिमा आती है, लोग यहां मासी मागम के तौर पर इस दिन का स्‍वागत करते हैं। तमिल धर्म की मानें तो यह एक पवित्र दिन होता है। इस दिन प्राणी और पूर्वज नदियों, तालाब और पानी के टैंकों में डुबकी लगाने के लिए धरती पर उतरते हैं।

रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड - Rudraprayag, Uttarakhand

इसी तरह देव नगरी उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में भी दो ऐसे गांव स्थित हैं, जहां पिछले 150 सालों से अभी तक होली नहीं मनाई गई है। इम दोनों गांवों का नाम है क्विली और कुरझान गांव। यहां के लोगों का कहना है यहां की देवी त्रिपुर सुंदरी को शोरगुल पसंद नहीं है। जिस वजह से गांव में शोरगुल वाले त्‍योहारों को मानने से परहेज किया जाता है। बता दें कि रुद्रप्रयाग में अलकनंदा और मंदाकिनी नदी का मिलन होता है, यही कारण है कि इसे संगम स्‍थल भी कहते हैं। रुद्रप्रयाग की यात्रा के दौरान पर्यटक कोटेश्‍वर महादेव के दर्शन जरूर करते हैं। यहां पर देवी काली को समर्पित धारी देवी मंदिर भी बहुत फेमस है।


दुर्गापुर, झारखंड- Durgapur, Jharkhand

झारखंड के बोकारो में भी दुर्गापुर नाम का एक गांव स्थित है जहां लोगों ने पिछले 100 साल से होली का त्योहार नहीं मनाया है। कहा जाता है कि होली के दिन यहां के राजा के बेटे की मौत हो गई थी और मरने से पहले राजा ने अपनी प्रजा को होली न मनाने का आदेश दिया था। जिसे अभी तक यहां रहने वाले लोग मानते आ रहे हैं। तब से लेकर अभी तक यहां होली का त्योहार नहीं मनाया गया है। यहां के लोग होली खेलने के लिए दूसरे गांव में जरूर चलते जाते हैं।

Kajal Sharma

Kajal Sharma

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