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Best Tourist Place In Winter: नमक की झील के नाम से मशहूर सांभर झील, सर्दी के मौसम में है बेस्ट डेस्टिनेशन प्लेस
Rajasthan Sambhar Jheel: राजस्थान की सबसे बड़ी खारे पानी की झील सांभर झील सर्दियों के मौसम में घूमने के लिए एक बेहतरीन जगह है। यहां कई अन्य जगहों पर भी घूमा जा सकता है।
Best Tourist Place To Visit In Winter In India: अगर आप जनवरी महीने की हाड़ कपाने वाली ठंड से राहत पाने के लिए किसी गर्म वातावरण वाले पर्यटन स्थल पर जाने का प्लान बना रहे हैं तो राजस्थान की सबसे बड़ी खारे पानी की झील सांभर झील (Sambhar Jheel) आपके लिए बेहतर विकल्प साबित होगी। जयपुर से लगभग 80 किलोमीटर दूर सांभर झील प्रदेश के तीन जिलों में फैली हुई है। यह जयपुर, अजमेर और नागौर जिले में पड़ती है। सांभर झील पर्यटकों के लिए एक शानदार स्थल होने के साथ ही नमक उत्पादन और फिल्म शूटिंग के लिए भी जानी जाती है। सांभर झील जयपुर महानगर सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
इस झील के खारे पानी में सोडियम क्लोराइड, सल्फेट और कार्बोनेट होता है। जब यह बहुत गर्म शुष्क मौसम के दौरान पूरी तरह से संतृप्त हो जाता है, तो कार्बनिक रिएक्शन के कारण से झील का पानी लाल रंग का दिखाई देता है। प्रकृति की गोद में बसी सांभर झील (Sambhar Jheel) अपने प्राकृतिक सौंदर्य और सबसे ज्यादा नमक उत्पादन के लिए जानी जाती है। यहां पंछियों का खूबसूरत कोलाहल और झील का शांत जल साथ ही आसमान पर खूबसूरत लालिमा लिए सूर्य के अस्त और उदय होने का दृश्य पर्यटकों को यहां आने के लिए बाध्य करता है। राजस्थान स्थित सांभर झील सिर्फ अपनी खूबसूरती और नमक उत्पादन के लिए ही नहीं बल्कि इसका ऐतिहासिक महत्व भी है। ये झील प्राचीन काल से नमक की उपयोगिता के लिए प्रचलित है।
झील से जुड़ी मान्यता (Sambhar Jheel Ki Manyata)
प्राकृतिक सांभर झील को लेकर यह मान्यता है कि जयपुर से 100 किमी. दूर सांभर कस्बे में शाकंभरी माता का मंदिर (Shakambari Mata Mandir) है। इस मंदिर को करीब 2500 साल पुराना बताया जाता है। शाकंभरी माता चौहान वंश की कुलदेवी हैं। उन्हें मां दुर्गा का अवतार भी माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय में पृथ्वी पर सौ साल तक बारिश नहीं हुई। इससे अन्न-जल की कमी हो गई, तब मुनियों ने देवी भगवती की उपासना की। इस उपासना से खुश होकर मां दुर्गा ने शाकंभरी रूप में अवतार लिया।
उनकी कृपा से वर्षा हुई और अन्न-जल का संकट खत्म हुआ। लेकिन इस घटना के कुछ समय बाद मां की कृपा से उत्पन्न हुई प्राकृतिक संपदा को लेकर लोगों में आपस में ही विवाद शुरू हो गए। इससे देवी मां शाकंभरी कूपित होकर यहां की अन्न जल संपदा और खजाने को नमक में बदल दिया। जिसके उपरांत सांभर झील की उत्पत्ति हुई। यहां पर ठंड के मौसम में पर्यटक गुनगुनी धूप का आनंद लेने आते हैं। साथ ही इस जगह के पास स्थित पर्यटन स्थलों पर घूमने का भी लुत्फ उठाते हैं। आइए जानते हैं सांभर झील के आसपास स्थित पर्यटन स्थलों (Tourist Places Near Sambhar Lake) के बारे में-
फिल्मों की शूटिंग के लिए बन चुकी है पसंदीदा जगह
जयपुर में स्थित सांभर झील (Sambhar Salt Lake) के आसपास का स्थान अपनी खूबसूरती के चलते पर्यटकों के लिए छुट्टियां बिताने के लिए एक आरामगाह तो बन ही चुके हैं साथ ही फिल्म निर्माण के लिए भी इस स्थल को काफी ज्यादा पसंद किया जाता है। अब तक यहां कई बड़ी फिल्मों के अहम दृश्यों को इस जगह पर फिल्माया जा चुका है। जिसमें सांभर झील क्षेत्र के शाकम्भरी माता मंदिर व झील क्षेत्र में जोधा-अकबर, पीके, गुलाल, रामलीला, दिल्ली- 6, द्रोण, हाईवे जैसी 10 बड़ी फिल्मों की शूटिंग हुई है।
इसके अतिरिक्त इस जिले में सांभर झील (Sambhar Jheel) और नावां स्थित पांचोता कुंड (Panchota Kund) को पिकनिक स्पॉट के रूप में उभारा गया है। यहां नमक की प्राकृतिक झीलों के आसपास इस दौरान पर्यटक सेल्फी और फोटोशूट के लिए आते हैं। नावां से 15 किमी दूर झील क्षेत्र में स्थित शाकम्भरी माता मंदिर भी क्षेत्र की खास पहचान बन चुका है। यहां नमक की सांभर झील, धार्मिक स्थल शाकंभरी माता मंदिर, अंग्रेजों के जमाने के साल्ट, सांभर झील में बनी दादू दयाल की छतरी, नमक के पहाड़ जैसे बहुत आकर्षक स्थल, पांचोता कुण्ड धाम पर्यटक स्थल है।
दुर्लभ साइबेरियन पंछी प्रेमियों के लिए है खास जगह
आप अगर प्रकृति प्रेमी हैं और पंछियों को क्रीड़ा करते देखना पसंद करते हैं तो सांभर झील आपके लिए बेस्ट प्लेस साबित होती है। पक्षी प्रेमियों को यहां कई दुर्लभ प्रजातियों के पंछियों को देखने का मौका मिलता है। सर्दियों के मौसम में यहां हर वर्ष प्रवासी पक्षी इस वेटलैंड पर आते हैं। यहाँ सभी प्रकार के घरेलू और विदेशी पक्षियों को आराम करते हुए देखा जा सकता है। खास तौर से गुलाबी राजहंस का सबसे बड़ा समूह यहां इस दौरान कुछ दिन के लिए ठहरने आता है। यहां आपको बस एक दूरबीन और शायद बैठने के लिए एक चटाई ले जाने की ज़रूरत है। यहां सर्दियों में हजारों प्रवासी पक्षी आते हैं, जिनमें फ्लेमिंगो, पेलिकन और कई अन्य दुर्लभ प्रजातियां शामिल हैं।
इन पक्षियों को उनके प्राकृतिक आवास में देखना एक अद्वितीय अनुभव होता है। सुबह-सुबह या शाम के समय जब सूरज ढल रहा होता है तब इन पक्षियों को देखना बेहद खूबसूरत लगता है।इसके अलावा आप बाइनोकुलर लेकर इनकी गतिविधियों को करीब से देख सकते हैं।
सांभर झील में कैंपिंग एक और बहुत लोकप्रिय गतिविधि है। चूँकि यह जगह शांति और सुकून से भरी हुई है और सूर्यास्त के अद्भुत दृश्य भी प्रदान करती है, इसलिए बहुत से लोग यहाँ कैंपिंग करने और रात के साफ़ आसमान को देखने के लिए आते हैं। चूँकि झील कई राजमार्गों से घिरी हुई है, इसलिए कैंपिंग के लिए एक आदर्श स्थान ढूँढ़ना बहुत आसान है। बस यह सुनिश्चित करें कि यह पर्याप्त सूखा हो और पानी से सुरक्षित दूरी पर हो। आप कई कैंपिंग साइटों में से किसी के साथ पंजीकरण भी कर सकते हैं। उनके पैकेज का लाभ उठा सकते हैं या आप अपना खुद का एक टेंट लगा सकते हैं, अलाव जला सकते हैं, खाना बना सकते हैं और आप जाने के लिए तैयार हैं। लेकिन इसके लिए आपको स्थानीय अधिकारियों से अनुमति लेनी होगी।
सांभर साल्ट म्यूजियम (Sambhar Salt Museum)
हिन्दुस्तान सांभर साल्ट के उपक्रम सांभर साल्ट के अधीन देश का एकमात्र साल्ट म्यूजियम (नमक संग्रहालय) देखने के लिए विदेशी पर्यटकों की अच्छी खासी तादात मौजूद रहती है। सांभर साल्ट म्यूजियम इस क्षेत्र के नमक उत्पादन इतिहास को जानने का बेहतरीन स्थान है।
इस संग्रहालय में पुराने समय में नमक उत्पादन की प्रक्रिया से जुड़ी सारी जानकारी मिलती है। यहां पर नमक को निकालने में इस्तेमाल होने वाले आदिकाल के उपकरणों और तकनीकों का प्रदर्शन किया गया है।
यह क्षेत्र सदियों से नमक उत्पादन के लिए मशहूर रहा है। इसका आर्थिक महत्व को समझने के लिए इस संग्रहालय में काफी जानकारी उपलब्ध है। जीर्ण शीर्ष हो चुके इस 110 साल पुराने साल्ट म्यूजियम की दशा सुधारने के लिये सरकार द्वारा कदम उठाए जा रहें हैं।
सांभर फोर्ट (Sambhar Fort)
ऐतिहासिक महत्व से जुड़े सांभर में एक किला है, जो इस क्षेत्र के के ऐतिहासिक महत्व की बानगी बनता है। इस किले की वास्तुकला राजपूत शैली में बनी हुई दिखती है। किले के अंदरूनी हिस्से में घूमते हुए आपको पुराने समय की जीवनशैली का अंदाजा होगा। इसके अलावा किले से आसपास का दृश्य बेहद आकर्षक लगता है। इस जगह से जुड़ी एक और कहानी सुनने को मिलती है। जोधाबाई (या बाद में उन्हें मरियम-उज़-ज़मानी के नाम से पुकारा गया) का विवाह मुगल सम्राट अकबर से इसी सांभर झील शहर में हुआ था।
भारतीय महाकाव्य महाभारत में भी सांभर झील का उल्लेख है। महाभारत के अनुसार वर्षों पहले सांभर झील वाला क्षेत्र असुर राज वृषपर्वा के साम्राज्य का एक हिस्सा हुआ करता था।यहां असुरों के कुलगुरु शुक्राचार्य रहते थे। यह वही जगह थी जहाँ वृषपर्वा की बेटी देवयानी का विवाह हुआ था। यहाँ देवयानी को समर्पित एक मंदिर भी है। आधुनिक युग में अभी हाल ही में, 1884 में, यहाँ टेराकोटा की मूर्तियाँ, सिक्के, मुहरें और मिट्टी का स्तूप के साथ प्राचीन मूर्तिकला कला की भी खोज की गई थी।
1934 में फिर से, कई अन्य खुदाई की गई जहाँ बहुत सारी ऐसी ही चीज़ें मिलीं। इनमें से कुछ टुकड़े अभी भी अल्बर्ट हॉल संग्रहालय में पाए जा सकते हैं।आपके पास पर्याप्त समय है, तो आप सांभर साल्ट्स लिमिटेड द्वारा संचालित ट्रॉली राइड का आनंद भी ले सकते हैं। कुछ घंटों के लिए इसकी कीमत लगभग 500 रुपये है। और आप पूरे स्थान का भ्रमण भी कर सकते हैं।
लोकप्रिय है सांभर का आर्ट एंड क्राफ्ट बाजार
सांभर में आर्ट और क्राफ्ट बाजार यहां की सबसे चर्चित जगहों में शामिल है। यहां पर आपको हैंड मेड राजस्थानी हस्तशिल्प, राजस्थानी प्रिंट और कढ़ाई के कपड़े, लाख और धातु के बने आभूषण लकड़ी के खिलौने और अन्य सजावटी सामानों का भरपूर संग्रह देखने को मिलेगा। इसके अतिरिक्त यहां आकर सांभर की संस्कृति व जीवनशैली से रूबरू होने का मौका मिलता है। यहां पर पारंपरिक व्यंजनों की खुशबू आपको इन्हें चखने के लिए जरूर बेचैन कर देगी।
पांचोता कुंड (Panchota Kund)
पर्यटन स्थल के साथ यह आस्था का स्थल भी है। इस जगह पर आकर कावड़िया जल लेना जरूरी मानते हैं। साथ ही इस सिद्ध जगह को लेकर ये भी मान्यता है कि यहां आकर लोगों की मांगी हुईं मुरादें पूरी हो जाती हैं। यहां बारिश के मौसम में झरने चलते हैं तो नागौर, अजमेर, जयपुर जिलों से बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। ये कुंड थोड़ा खतरनाक भी माना जाता है अब तक इसमें कई लोगों की डूबने से मृत्यु भी हो चुकी है।
नमक बनाने वाले मजदूरों से जुड़ी है एक दर्दनाक कहानी
नमक को बनाने वाले मजदूरों की जिंदगी बेहद चुनौती भरी हुई होती है। एक रिपोर्ट्स के अनुसार जो मजदूर नमक बनाने का काम करते हैं। वे कई तरह की जोखिम भरी बीमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं । अतः उनकी मौत के बाद उनका अंतिम संस्कार करना आसान नहीं होता है। लंबे समय तक नमक के संपर्क में रहने के कारण उनकी त्वचा कुछ ऐसी हो जाती है जिसे उनकी मृत्यु के बाद अग्नि भी नहीं झुलसा पाती। अग्नि देने के बाद भी उनके शरीर कुछ हिस्से जलते तक नहीं हैं। अंतिम संस्कार के समय उनके हाथ और पैर का जलना बहुत मुश्किल हो जाता है। इस तरह की दिक्कतों के चलते नमक की फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों को मृत्यु के बाद अग्नि देने की जगह नमक डालकर ही दफन कर दिया जाता है।
देश का 12 फीसदी नमक पैदा होता इस झील से
राजस्थान में देश का 12 फीसदी नमक पैदा होता है। सांभर साल्ट लेक देश की सबसे बड़ी खारे पानी झील है। झील में हर साल 2,10,000 टन से ज्यादा नमक का उत्पादन होता है। इस नमक को हरियाणा, पंजाब सहित अन्य राज्यों में आयात किया जाता है।
प्रदेश में नमक का सबसे अधिक उत्पादन नावां में होता है। यहां अंग्रेजों ने नमक का उत्पादन करने के लिए झील के किनारे रेलवे लाइन बिछाई और फिर सांभर साल्ट कंपनी द्वारा नमक उत्पादन शुरू किया। यहां बनाए जाना वाला नमक प्राकृतिक तरीके से तैयार किया जाता है। सबसे पहले यहां पर क्यार और कंटासर बनाए जाते हैं फिर बोरवेल का पानी कंटासर में डाला जाता है। इसके बाद पानी को एक से दूसरे और फिर तीसरे कंटासर से घुमाया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया से पानी को करीब 25 डिग्री तक खारा किया जाता है। पानी को क्यारियों में डाला जाता है। तेज धूप के कारण पानी धीरे-धीरे नमक के रूप में बदल जाता है। इसके बाद इसे नमक प्लांट और रिफाइनरी तक भेजा जाता है।
कैसे पहुंचे (Sambhar Jheel Kaise Pahuche)
सांभर झील तक पहुँचने का सबसे अच्छा तरीका सड़क मार्ग से बस द्वारा है। आप जयपुर सिंधी कैंप बस स्टैंड से नागौर या कुचामन जाने वाली कोई भी बस ले सकते हैं। पहला पड़ाव सांभर है और यहाँ आप उतर सकते हैं। सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन सांभर साल्ट लेक स्टेशन है। ज़्यादातर ट्रेनें इस स्टेशन पर रुकती हैं, हालाँकि टिकट बुक करने से पहले पुष्टि कर लेना बेहतर होगा। सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा जयपुर में है जो सांभर झील से लगभग 120 किलोमीटर दूर है।