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Bettiah Raj Bihar History: बिहार मे बेतिया राज क्या है, जिसकी वजह से सरकार हो गई है मालामाल, आइए जानते हैं

Bihar Mein Bettiah Raj Ka Itihas: क्या आप जानते हैं कि बेतिया राज का क्या इतिहास है और आज के समय में क्या है इसकी स्थिति,आइये विस्तार से जानते हैं इसके बारे में...

Akshita Pidiha
Published on: 2 March 2025 1:23 PM IST
Bettiah Raj Bihar Ka Itihas Wikipedia in Hindi
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Bettiah Raj Bihar Ka Itihas Wikipedia in Hindi (Image Credit-Social Media)

Betiya Raj Bihar Ka Itihas: बेतिया राज, जिसे 'सरकार-चंपारण' के नाम से भी जाना जाता है, बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में स्थित एक ऐतिहासिक जमींदारी थी। यह क्षेत्रफल और संपत्ति के मामले में बिहार की सबसे बड़ी जमींदारियों में से एक थी, जो अपने समय में सिंगापुर जैसे देशों से भी बड़े क्षेत्र में फैली हुई थी।

स्थापना और प्रारंभिक इतिहास

बेतिया राज की स्थापना 16वीं शताब्दी में मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल के दौरान हुई थी। उस समय, बिहार को प्रशासनिक सुविधा के लिए छोटे-छोटे हिस्सों में विभाजित किया गया था, जिन्हें 'सरकार' कहा जाता था, और चंपारण उनमें से एक था। 1579 में, बंगाल, बिहार, और उड़ीसा में विद्रोह की लहर उठी, जिससे क्षेत्र में अशांति फैल गई। इस स्थिति में, स्थानीय नेतृत्व की आवश्यकता महसूस हुई, और इसी संदर्भ में बेतिया राज की नींव पड़ी।

Betiya Raj Bihar (Image Credit-Social Media)

बेतिया राज की स्थापना का श्रेय जैथारिया कबीले के ब्राह्मण गंगेश्वर देव को दिया जाता है, जिन्हें 'जैतहरी' के नाम से भी जाना जाता है। उनके वंशजों ने बेतिया में राज्य की स्थापना की, जो बाद में चंपारण क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया। बेतिया राज की स्थापना के साथ ही, यह क्षेत्र राजनीतिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बन गया।

मुगल और ब्रिटिश शासन के दौरान बेतिया राज

मुगल सम्राट शाहजहाँ के शासनकाल में, बेतिया राज की शक्ति और प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई। इस अवधि में, उज्जैन सिंह और गज सिंह ने बेतिया राज की नींव को और मजबूत किया। मुगलों की शक्ति में कमी आने पर, बेतिया राज ने अपनी स्वतंत्र पहचान बनाई और क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

Betiya Raj Bihar (Image Credit-Social Media)

1763 में, राजा धुरुम सिंह के शासनकाल के दौरान, बेतिया राज अंग्रेजों के अधीन आ गया। इस समय, बेतिया राज का क्षेत्रफल इतना विस्तृत था कि इसमें चंपारण का अधिकांश हिस्सा शामिल था, सिवाय रामनगर राज के कुछ हिस्सों के। बेतिया राज की संपत्ति और प्रभाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह क्षेत्रफल में सिंगापुर जैसे देशों से भी बड़ा था।

बेतिया राज की सांस्कृतिक और सामाजिक भूमिका

बेतिया राज न केवल राजनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण था, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक क्षेत्र में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। यहां के शासकों ने कला, संगीत, और साहित्य को प्रोत्साहित किया, जिससे क्षेत्र में सांस्कृतिक समृद्धि आई। बेतिया राज इमामबाड़ा, जो बिहार के सबसे पुराने इमामबाड़ों में से एक माना जाता है, इसका एक प्रमुख उदाहरण है। मुगल सम्राट शाहजहाँ के समय में इसका निर्माण हुआ था, और 1925 में बेतिया राज द्वारा इसका पुनर्निर्माण कराया गया।

अंतिम शासक और बेतिया राज का पतन

बेतिया राज के अंतिम शासक महाराजा हरेंद्र किशोर सिंह थे, जिनका जन्म 1854 में हुआ था। 1883 में अपने पिता राजेंद्र किशोर सिंह के निधन के बाद, उन्होंने गद्दी संभाली। 1884 में, उन्हें 'महाराजा बहादुर' की उपाधि से सम्मानित किया गया, और 1889 में 'नाइट कमांडर ऑफ़ द मोस्ट एमिनेंट ऑर्डर ऑफ़ द इंडियन एम्पायर' बनाया गया। 1891 में, उन्हें बंगाल विधान परिषद का सदस्य नियुक्त किया गया। हालांकि, 26 मार्च 1893 को उनकी मृत्यु के बाद, उनके कोई उत्तराधिकारी नहीं थे। उनकी दो पत्नियाँ थीं: महारानी शिव रत्ना कुंवर और महारानी जानकी कुंवर। महारानी शिव रत्ना कुंवर की मृत्यु 1896 में हो गई, और महारानी जानकी कुंवर को राज्य प्रबंधन के लिए अयोग्य मानते हुए, बेतिया राज को 'कोर्ट ऑफ़ वार्ड्स' के अधीन कर दिया गया।

Betiya Raj Bihar (Image Credit-Social Media)

वर्तमान स्थिति

बेतिया राज की संपत्ति, जो कभी 15,000 एकड़ से अधिक भूमि पर फैली हुई थी, अब बिहार सरकार के नियंत्रण में है। हाल ही में, बिहार विधानसभा ने एक विधेयक पारित किया है, जिसके तहत बेतिया राज की संपत्ति को राज्य सरकार की संपत्ति में सम्मिलित किया जाएगा। इस निर्णय के बाद, बेतिया राज की भूमि और संपत्तियाँ अब सरकारी नियंत्रण में आ गई हैं, जिससे राज्य के राजस्व में वृद्धि होने की संभावना है।

ब्रिटिश शासन के दौरान, बेतिया राज की जमीन 'कोर्ट ऑफ वार्ड्स' को सौंप दी गई थी, क्योंकि अंतिम महाराज के कोई संतान नहीं थी और वैध उत्तराधिकारी सामने नहीं आया। स्वतंत्रता के बाद, यह जमीन बिहार सरकार के स्वामित्व में आ गई, लेकिन वैध स्वामित्व के लिए कोई कानून नहीं था। इसलिए, सरकार ने 'बेतिया राज संपत्ति निहित अधिनियम-2024' पारित किया, जिससे यह भूमि अब राज्य सरकार के अधिकार में आ गई है।

इस अधिनियम के माध्यम से, सरकार का उद्देश्य बेतिया राज की भूमि का सार्वजनिक उपयोग के लिए समुचित प्रबंधन और विकास करना है, जिससे क्षेत्र में विकास परियोजनाओं को गति मिलेगी और स्थानीय निवासियों को लाभ होगा।

बेतिया राज की कहानी एक समृद्ध इतिहास, सांस्कृतिक विरासत, और राजनीतिक उतार-चढ़ाव की गाथा है। यह राज्य, जिसने बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में सदियों तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, आज भी अपनी ऐतिहासिक धरोहर और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है।

बिहार सरकार ने बेतिया राज की 15,358 एकड़ जमीन के अधिग्रहण के लिए राजपत्र अधिसूचना जारी की है, जिससे यह भूमि अब राज्य सरकार के अधिकार में आ गई है। इस भूमि का उपयोग सार्वजनिक विकास परियोजनाओं, जैसे कॉलेज, अस्पताल, स्टेडियम, और खेल के मैदानों के निर्माण में किया जाएगा। सरकार जल्द ही इस जमीन का विस्तृत विवरण, जिसमें खाता, खेसरा, रकबा, और वर्तमान स्वामित्व की स्थिति शामिल है, जारी करेगी।

दावे और आपत्तियों की जांच के लिए संबंधित जिलों में विशेष पदाधिकारी नियुक्त किए जाएंगे। अधिसूचना जारी होने के दो महीने के भीतर, संबंधित व्यक्ति दस्तावेजों के साथ अपने दावे प्रस्तुत कर सकेंगे। सरकार की योजना है कि दावे दायर करने के तीन महीने बाद मामलों का निष्पादन कर दिया जाए। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने बताया कि इस अधिनियम का उद्देश्य बेतिया राज की भूमि के प्रभावी संरक्षण और प्रबंधन को सुनिश्चित करना है।

बेतिया राज की समृद्ध विरासत आज भी कई ऐतिहासिक स्थलों और संरचनाओं में जीवित है, जो इस क्षेत्र के गौरवशाली अतीत की कहानी बयां करते हैं। इनमें से प्रमुख हैं कालीबाग मंदिर, जंगी मस्जिद, और बेतिया राज इमामबाड़ा, जो न केवल धार्मिक आस्था के केंद्र हैं, बल्कि स्थापत्य कला और सांस्कृतिक धरोहर के उत्कृष्ट उदाहरण भी हैं।

कालीबाग मंदिर:

Betiya Raj Bihar (Image Credit-Social Media)

बेतिया के कालीबाग कॉलोनी में स्थित कालीबाग मंदिर लगभग 400 वर्ष पुराना है। इस मंदिर का निर्माण बेतिया राजघराने द्वारा 1600 ईस्वी के आसपास कराया गया था। माना जाता है कि मंदिर की स्थापना के समय 108 नरमुंडों की बलि दी गई थी, जो तांत्रिक विधि से की गई पूजा का हिस्सा था। मंदिर परिसर लगभग 13 एकड़ में फैला है, जिसमें एक तालाब स्थित है। कहा जाता है कि इस तालाब में सात कुएं हैं, जो सदियों से कभी नहीं सूखे। मंदिर की विशेषता यह है कि यहां 365 देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं, जो इसे अद्वितीय बनाती हैं। मंदिर के बारे में यह भी कहा जाता है कि इसके अंदर एक सुरंग थी, जो सीधे राजमहल से जुड़ी थी। इस सुरंग के माध्यम से महारानी पूजा करने के लिए मंदिर आती थीं। मंदिर के मुख्य द्वार के बाहर उत्तर की ओर महारानी जानकी कुंवर विद्या मंदिर अकादमी स्थित है, जो आज भी शिक्षा का केंद्र है।

जंगी मस्जिद:

Betiya Raj Bihar (Image Credit-Social Media)

बेतिया की जंगी मस्जिद नाज़नीन चौक के पूर्व में स्थित है और इसका इतिहास लगभग 275 वर्ष पुराना है। मस्जिद का निर्माण 18वीं सदी के मध्य में हुआ था, जब पठान घुड़सवारों की एक फौज यहां नमाज़ अदा करती थी। मस्जिद का नाम जंगी खान, जो उस फौज के कमांडर थे, के नाम पर रखा गया है। मस्जिद सुन्नी वक्फ बोर्ड के अधीन है और 16 दिसंबर 1898 को वक्फ बोर्ड में पंजीकृत की गई थी। हाल के वर्षों में, मस्जिद का विस्तार कर इसे बहुमंजिला बनाया गया है। 2005 में, स्थानीय समुदाय के सहयोग से मस्जिद के मुख्य द्वार पर 115 फीट ऊंची मीनार का निर्माण किया गया, जो प्राचीन मस्जिद और आधुनिक वास्तुकला का संगम है।

बेतिया राज इमामबाड़ा:

Betiya Raj Bihar (Image Credit-Social Media)

बेतिया राज इमामबाड़ा बिहार के सबसे पुराने इमामबाड़ों में से एक माना जाता है। माना जाता है कि इसका निर्माण मुगल शासक शाहजहां के समय हुआ था। हालांकि, पुराने इमामबाड़े के जर्जर होने पर 1925 में बेतिया राज द्वारा इसका पुनर्निर्माण कराया गया। यह इमामबाड़ा शिया समुदाय के लिए बनाया गया था, जहां 1980 तक मोहर्रम के दौरान मातम और अन्य धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाते थे। बाद में, यह सुन्नी वक्फ बोर्ड के अधीन आ गया, जिसके बाद शिया समुदाय की गतिविधियां कम हो गईं। वर्तमान में, इमामबाड़े में उर्दू गर्ल्स हाई स्कूल संचालित होता है। मुहर्रम के महीने में यहां ताज़िया रखा जाता है, जहां हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लोग मन्नतें मांगते हैं, जो सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक है। -

बेतिया राज की ये ऐतिहासिक संरचनाएं न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती हैं, बल्कि स्थापत्य कला के उत्कृष्ट नमूने भी हैं। इनकी देखभाल और संरक्षण से आने वाली पीढ़ियों को इस समृद्ध विरासत से परिचित कराया जा सकता है।

सरकार ने स्पष्ट किया है कि उनकी मंशा किसी को बेघर करने की नहीं है। बेतिया राज की भूमि पर बसे लोगों को तुरंत नहीं हटाया जाएगा; उन्हें दूसरी जगह बसने का समय दिया जाएगा। उचित कागजात वाले लोगों को भूमि के उपयोग में रियायत भी दी जाएगी। इस संबंध में कानूनी प्रक्रिया अपनाई जा रही है।

बेतिया राज की कुल 15,358.60 एकड़ भूमि में से 15,215.33 एकड़ बिहार में और 143.26 एकड़ उत्तर प्रदेश में स्थित है। इस भूमि का बड़ा हिस्सा अतिक्रमण के अधीन है; पश्चिमी चंपारण में 66% से अधिक और पूर्वी चंपारण में 60% भूमि पर अतिक्रमण है।



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