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Bhopal Famous Mughlai Restaurant: भोपाल में खाएं 300 साल पुरानी तकनीक से बनाए जा रहे हैं स्वादिष्ट व्यंजन

Bhopal Famous Mughlai Restaurant: अगर आप नवाबी खाने का शौक रखते हैं तो इस वक्त आपको भोपाल में चल रहे हैं फूड फेस्टिवल में जरूर जाना चाहिए।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 4 July 2024 10:55 AM IST
Mughlai Food Festival in Bhopal
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Mughlai Food Festival in Bhopal (Photos - Social Media)

Mughlai Food Festival in Bhopal : मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल अपने इतिहास और नवाबी अंदाज के लिए पहचानी जाती है। नवाबों का इस शहर से गहरा नाता रहा है। खानपान के मामले में भी यहां नवाबी झलक देखने को मिलती है। राजधानी भोपाल के जहांनुमा पैलेस में एक चार दिवसीय फूड फेस्टिवल का आयोजन किया गया है जहां पर अवध के 300 साल पुराने दाम पुख़्त तकनीक से खाना तैयार किया जा रहा है। अगर आप भी खाने पीने के शौकीन है तो इस तकनीक से बनाए जा रहे हैं बेहतरीन खाने का यहां स्वाद ले सकते हैं।

कब तक है फेस्टिवल (How long is The Festival?)

रिवायत ए दम पुख़्त फूड फेस्टिवल 27 जून को शुरू किया गया है। यह शाम 7:30 बजे शुरू होता है और रात 11:00 तक चलता है। यहां पर आपको लखनऊ स्टाइल में तैयार किए गए व्यंजन खाने को मिल जाएंगे। इसमें स्टार डिनर और डेजर्ट शामिल होता है।

Mughlai Food Festival in Bhopal


वह ओर नॉनवेज दोनों (Both That And Non-Veg)

अगर आप इस फेस्टिवल में जाकर बेहतरीन खाने का आनंद लेना चाहते हैं तो आपके यहां वेज और नॉनवेज दोनों तरह के ऑप्शन मिल जाएंगे। यहां जो खाना तैयार किया जा रहा है उन्हें तैयार करने वाले शेफ का कहना है कि नॉनवेज तो कहीं सालों से चल रहा है लेकिन वेज में तैयार करना बड़ा चैलेंज था लेकिन आखिरकार उन्होंने यह कर दिखाया।

Mughlai Food Festival in Bhopal


मिलेंगे ये व्यंजन (You Will Get These Dishes)

यहां पर लखनऊ से आई शेफ अंजुम भिंडी, टमाटर, छोले, लौकी की सब्जियां बना रही हैं, जो लोगों को पसंद आ रही है। यहां पर बोले बिरयानी कटहल बिरयानी और सोया बिरयानी का ऑप्शन भी अवेलेबल है। इसके अलावा मुगलों के जमाने से बनते आ रहे दम बिरयानी, गलौटी कबाब, शीर खुरमा, शाही टुकड़ा, दम गोश्त, काकोरी कबाब, लगान का मुर्ग, शिरमाल समेत कई सारे ऑप्शन यहां पर अवेलेबल है।

Mughlai Food Festival in Bhopal


300 साल पुरानी तकनीक (300 Year old Technology)

शेफ के मुताबिक यह 300 साल पुरानी तकनीक है जिसका मतलब होता है देरी तक किसी भी व्यंजन को आग में पकाना। मुगलों के जमाने में भी मीत को गलाने के लिए उसे ज्यादा देर तक पकाया जाता था ताकि उसे पचाने में आसानी हो। इसी तकनीकी मदद से उन्होंने अन्य व्यंजन तैयार किए हैं। इस तरह से खाना पकाने में बहुत समय लगता है लेकिन खाने का स्वाद बढ़ जाताहै। इसे बनाने के लिए अलग तरह के बर्तनों का उपयोग होता है।



Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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