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Bodh Gaya Tourism Packages: सुकून और शांति की तलाश में हैं, तो बिहार के बोधगया जाने का बनाइए प्लान

Bodh Gaya Tourism Packages: बौद्ध धर्म में बोधगया का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि बोधगया में ही गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, यहां पर एक पवित्र अंजीर के पेड़ के नीचे गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था।

Vidushi Mishra
Published on: 7 Dec 2022 9:18 AM IST
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बोध गया, बिहार (फोटो- सोशल मीडिया)

Bodh Gaya Tourism Packages: जिंदगी की भाग-दौड़ से अगर आप तंग आ गए हैं और आपको किसी सुकूनभरी जगह पर जाने का मन है तो बोधगया जैसा शांति आपको कहीं नहीं मिलेगी। बिहार के गया जिले में स्थित बोधगया भारत के सबसे धार्मिक स्थानों में से एक है। गया एक तीर्थ स्थल के रूप में बौद्धों और हिंदुओं दोनों धर्मों का पूजनीय स्थल है। बोधगया में आने पर आपको एक अलग तरह की शांति और सुकून मिलेगा।

बौद्ध धर्म में बोधगया का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि बोधगया में ही गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, यहां पर एक पवित्र अंजीर के पेड़ के नीचे गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था। उस पेड़ को बाद में बोधि वृक्ष के रूप में जाना जाने लगा, और यह तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध हो गया।

(Image Credit- Social Media)

यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल

धार्मिक स्थल बोधगया में महाबोधि मंदिर परिसर मुख्य मंदिर परिसर है और आकर्षण का मुख्य केंद्र भी है। जोकि महान जागृति मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। महाबोधि मंदिर 2002 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल बन गया। बता दें, ये वहीं जगह है जहाँ आपको बोधि वृक्ष के दर्शन करने का मौका मिलेगा।

बोधि वृक्ष के आसपास कई किंवदंतियां हैं। इन सबके बीच जो सबसे अलग है वह है जिस स्थान पर बोधि वृक्ष है। ये स्थान पृथ्वी की नाभि है। ऐसा माना जाता है कि यही एकमात्र स्थान है जो गौतम बुद्ध के ज्ञानोदय के भार को सहन कर सकता है।

(Image Credit- Social Media)

महाबोधि मंदिर के ठीक बगल में एक संग्रहालय स्थित है जहां आपको पुरानी मूर्तियां मिलेंगी, जो कभी प्राचीन मंदिर का हिस्सा थीं। सामान्य तौर पर नवीनीकरण कार्य होने के बाद यहां धीरे-धीरे परिवर्तन हुआ है। जिसमें बहुत सारी पुरानी संरचनाएं लंबे समय से चली आ रही हैं लेकिन प्राचीन मंदिर से जो बचा है वह आपको आश्चर्यचकित करने के लिए पर्याप्त है। क्योंकि इसमें आप ये ज्ञात कर सकते हैं कि उस समय के लोगों और समाज पर इस स्थान का क्या प्रभाव हो सकता था।

वर्तमान बोधगया को पहले कई नामों से जाना जाता था - उरुवेला, संबोधि (पूर्ण ज्ञान), वज्रासन और महाबोधि।

बोधगया नाम 18वीं सदी के आसपास ही अस्तित्व में आया। यहां तक ​​कि महाबोधि मंदिर को भी पहले बोधिमंड-विहार के नाम से जाना जाता था। अगर आप बोधगया जाने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो ऐसा करने का यह सही समय है।



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Vidushi Mishra

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