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Binsar Wildlife Sanctuary: बेहद खूबसूरत है बिनसर वन्यजीव अभयारण्य, जानिए कैसा है बर्फ से ढंकी चोटियों के साथ दुर्लभ पंछियों का ये बसेरा
Binsar Wildlife Sanctuary Tour Guide: बर्फ से ढंकी चोटियों के साथ दुर्लभ पंछियों का बसेरा है बिनसर वन्यजीव अभयारण्य, जानिए इस स्थल से जुड़ी खूबियों के बारे में।
Binsar Wildlife Sanctuary: बिनसर वन्यजीव अभयारण्य उत्तराखंड के कुमाऊँ हिमालय में स्थित है। इस क्षेत्र की समृद्ध जैवविविधता के संरक्षण के लिये वर्ष 1988 में इस अभयारण्य की स्थापना की गई थी।इसकी विविध स्थलाकृति और ऊँचाई में भिन्नता के कारण यहाँ वनस्पतियों की व्यापक विविधता है। अभयारण्य मुख्य रूप से ओक और चीड़ के घने वनों से ढका हुआ है।
इस अभयारण्य में यूरेशियन जे, कोक्लास तीतर, मोनाल तीतर और हिमालयन कठफोड़वा सहित अनगिनत पक्षियों का स्थाई बसेरा हैं। इस स्थान का जुड़ाव ऐतिहासिक काल से भी है। बिनसर चंद राजवंश शासकों की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी, जिन्होंने 7वीं से 18वीं शताब्दी तक कुमाऊँ पर शासन किया था। स्थानीय लोगों के अनुसार, बिनसर का नाम बिनेश्वर महादेव मंदिर के नाम पर पड़ा, जिसका निर्माण 16वीं शताब्दी किया गया।यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित था।उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में स्थित बिनसर वन्यजीव अभयारण्य प्रकृति प्रेमियों के लिए भी एक आदर्श स्थल के तौर पर लोकप्रिय है। यहां प्रकृति प्रेमी पर्यटकों को हरियाली, शांत वातावरण और यहां के जंगलों में विविध जीव-जंतुओं के साथ रोमांचक गतिविधियों का लुत्फ उठाने का अवसर मिलता है। यहां जंगल सफारी और ट्रेकिंग जैसी गतिविधियों का आनंद लिया जा सकता है। यहां से नजर आने वाली हिमालय की चोटियों को देखना भी एक बेहद शानदार अनुभव प्रदान करता है। बिनसर का मौसम घूमने के लिहाज से हमेशा अनुकूल रहता है।
अगर आप जनवरी महीने में कहीं प्राकृतिक सुंदरता और शांति की तलाश में घूमने का प्लान बना रहें हैं तो बिनसर की यात्रा आपके लिए बेहतर विकल्प साबित होगी। आइए जानते हैं बिनसर में स्थित पर्यटन स्थलों के बारे में-
बिंदेश्वर महादेव मंदिर
बिंदेश्वर महादेव मंदिर , जिसे बिनसर देवता या बस बिनसर के नाम से भी जाना जाता है, भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन हिंदू रॉक मंदिर है, जिसे इस क्षेत्र में एक लोकप्रिय देवता बिंदेश्वर के रूप में पूजा जाता है। समुद्र तल से 2480 मीटर की ऊँचाई पर, यह बिसाओना गाँव में स्थित है। जो भारतीय राज्य उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के थलीसैण ब्लॉक के चौथन क्षेत्र में आता है। यह मंदिर देवदार के घने जंगलों के बीच स्थित है।मूल मंदिर संरचना का महान पुरातात्विक महत्व था। लेकिन एक नई संरचना बनाने के लिए इसे राजनेताओं द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था। मंदिर के केंद्रीय कक्ष में गणेश , शिव-पार्वती और महिषासुरमर्दिनी की मूर्तियां हैं । हर साल वैकुंठ चतुर्दशी को वहां मेले का आयोजन किया जाता है।
मेले में महिलाएं पूरी रात अपने हाथ में दिए लेकर सन्तान प्राप्ति के लिए आराधना करती हैं। गढवाल जनपद के प्रसिद्ध शिवालयों श्रीनगर में कमलेश्वर तथा थलीसैण में बिन्सर शिवालय में बैकुंठ चतुर्दशी के पर्व पर अधिकाधिक संख्या में श्रृद्धालु दर्शन हेतु आते हैं तथा इस पर्व को आराधना व मनोकामना पूर्ति का मुख्य पर्व मानते हैं।एक मान्यता के अनुसार इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने वनवास के दौरान एक रात में किया था। एक अन्य किंवदंती कहती है कि मंदिर का निर्माण बिंदु नामक राजा ने करवाया था। वैकल्पिक रूप से, मंदिर भगवान विश्वकर्मा द्वारा बनाया गया हो सकता है । मंदिर के बाहर खुदा हुआ एक अजीब चिन्ह उनकी लिखावट में बताया गया है।
मंदिर रहस्य में डूबा हुआ था। पुराने दिनों में, इसके केंद्रीय कक्ष में ठंडे पानी का एक गोलाकार, संकीर्ण और गहरा जलाशय होता था, जो एक कुएं जैसा दिखता था। इसके चारों ओर अनेक मूर्तियाँ रखी हुई थीं। जलाशय के अंदर एक सांप के रहने की बात कही गई थी। हाल के दिनों में, कुएं को सपाट पत्थरों से ढक दिया गया था। बाद में, चट्टानों से पानी रिसने लगा, जिससे यहां भूमि के भीतर एक जलाशय के अस्तित्व का पता चला। यही नहीं यह मंदिर अपने चारों ओर स्थित घनघोर जंगल के कारण एकांत पसंद लोगों की पहली पसंद है। यहां से आप हिमालय के चौखंबा त्रिशूल पंचाचुली नंदा देवी नंदा कोट जैसे पहाड़ की चोटियों का खूबसूरत नजारा देख सकते हैं। यदि मौसम साफ हो तो आप यहां से बाबा केदारनाथ के मंदिर का भी दर्शन कर सकते हैं। इसके अलावा यहां से चौखंबा, त्रिशूल, नंदा देवी, नंदाकोट और पंचोली चोटियों की 300 किलोमीटर लंबी शृंखला दिखाई देती है, जो अपने आप में अद्भुत है और ये बिनसर का सबसे बड़ा आकर्षण भी हैं।
बिनसर वन्यजीव अभयारण्य
बिनसर वन्यजीव अभयारण्य भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अल्मोड़ा से लगभग 34 किलोमीटर दूर और समुद्र तल से लगभग 2412 मीटर की उंचाई पर स्थित है। बिनसर लगभग 11वीं से 18वीं शताब्दी तक चन्द राजाओं की राजधानी रहा था। अब इसे वन्य जीव अभयारण्य बना दिया गया है।बिनसर वन्यजीव अभयारण्य में जंगल सफारी का एक रोमांचक अनुभव है।
बिनसर अभयारण्य में बड़ी संख्या में तेंदुआ पाया जाता है। इसके अलावा हिरण और चीतल यहां बड़ी ही आसानी से दिखाई दे जाते हैं। यहां 200 से भी ज्यादा तरह के दुर्लभ प्रजातियों के पक्षी पाये जाते हैं। इनमें मोनाल सबसे प्रसिद्ध पक्षी है। यह उत्तराखंड का राज्य पक्षी भी है । किन्तु अब यह बहुत ही कम दिखाई देता है। अभयारण्य में एक वन्य जीव संग्रहालय भी स्थित है। सुरक्षा की दृष्टि से और पर्याप्त जानकारी हासिल करने के लिए यहां की जंगल सफारी करते समय गाइड्स के सुरक्षा निर्देशों का पालन करना चाहिए।
बिनसर जीरो पॉइंट
जीरो पॉइंट बिनसर वन्यजीव अभयारण्य पर्यटक विश्राम गृह से एक छोटा ट्रेक है। आप अपनी कारों को टीआरएच पर पार्क कर सकते हैं और आगे मानव निर्मित वॉच टॉवर तक 2 किमी की तेज ट्रेकिंग कर सकते हैं। अभयारण्य का प्रवेश शुल्क 150 रुपये प्रति व्यक्ति (3 दिनों के लिए वैध) और कार के लिए 250 रुपये है। यह खूबसूरत जगह राष्ट्रीय उद्यान के प्रवेश बिंदु से लगभग 9 किमी की ड्राइव और उसके बाद 45 मिनट (2 किमी) पैदल दूरी पर है। सड़क के शीर्ष से ऊपर की ओर चलने में लगभग 50 से 60 मिनट लगते हैं। बिनसर जीरो पॉइंट अपने खूबसूरत नज़ारे को दर्शाता है, जो एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, जिसके लिए आपको ऊपर की ओर ट्रेक करना होगा।
2 किमी का तेज़ ट्रेक आपको जंगल से होकर ले जाएगा जहां आप जंगल की आंतरिक संरचना का पता लगा सकते हैं। पक्षियों की चहचहाहट को सुन सकते हैं। आप वन्यजीव अभयारण्य की जैव विविधता का लुत्फ उठाने के साथ बर्फ से लदे पहाड़ों के खूबसूरत नज़ारे का आनंद ले सकते हैं। अगर आप केएमवीएन रिसॉर्ट में ठहरे हैं, तो यहाँ से सूर्योदय और सूर्यास्त का नज़ारा देखना आपके लिए बेहतरीन अनुभव साबित होगा। केएमवीएन रिसॉर्ट से दिखने वाला नज़ारा बेहद खूबसूरत है। साथ ही स्थानीय बाजारों में घूमकर वहां मिलने वाली हस्तनिर्मित वस्त्र और सजावटी सामान खरीदना न भूलें।
बिनसर जीरो पॉइंट तक कैसे पहुँचें
बिनसर जीरो पॉइंट खिलौनों के शहर बिनसर में स्थित है। कुमाऊं की झंडी पहाड़ियों में बसा यह छोटा सा गांव अल्मोड़ा से लगभग 24 किमी और दिल्ली से लगभग 385 किमी दूर स्थित है। आप बिनसर वन्यजीव अभयारण्य के लिए टैक्सी ले सकते हैं और जीरो पॉइंट तक पहुँचने के लिए केएमवीएन पर्यटक विश्राम गृह से दो किमी पैदल चल सकते हैं।