Braj Chaurasi Kos Yatra: धार्मिक और आध्यात्मिक लिहाज से महत्वपूर्ण है ब्रिज की 84 कोस यात्रा, यहां जाने इसका इतिहास

Braj Chaurasi Kos Yatra History: कृष्ण भक्त अक्सर मथुरा वृंदावन की यात्रा पर जाते हैं। इस इलाके में 84 कोर्स की यात्रा भी होती है चलिए आज हम आपको इस बारे में बताते हैं।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 26 Aug 2024 3:25 PM GMT
Braj Chaurasi Kos Yatra History
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Braj Chaurasi Kos Yatra History (Photos - Social Media) 

Braj Chaurasi Kos Yatra History: वैसे तो दुनिया भर में कृष्ण भक्त मिल जाएंगे लेकिन कुछ ही ऐसे लोग हैं जिन्हें वृंदावन आकर कृष्ण भगवान के दर्शन करने का अवसर मिलता है। इनमें से भी बहुत कम भक्त ऐसे होते हैं जो ब्रिज की 84 कोस की यात्रा पूरी कर पाते हैं। ब्रजभूमि एक प्राचीन और पवित्र धार्मिक यात्रा है और इसके दौरान भगवान कृष्ण से जुड़े प्रमुख स्थलों का दीदार करने का भाग्य प्राप्त होता है। ब्रिज की यात्रा 252 किलोमीटर यानी 84 कोस की होती है जिसे पैदल पूरा किया जाता है। इस यात्रा के दौरान भक्तगण ब्रिज के धार्मिक स्थलों जिम वृंदावन मथुरा गोवर्धन गोकुल नंद गांव बरसाना शामिल है की परिक्रमा करते हैं। यात्रा धार्मिक अनुष्ठान भजन कीर्तन और ज्ञान का अद्भुत समागम होती है।

ऐसा है 84 कोस की यात्रा का इतिहास

84 कोस की यात्रा के इतिहास की बात करें तो इसका वर्णन वराह पुराण में मिलता है। इसके मुताबिक पृथ्वी पर 66 अब तीर्थ है और वह सभी चातुर्मास में ब्रिज में आकर निवास करते हैं। यही कारण है कि चातुर्मास में 84 कोस की यात्रा करना महत्वपूर्ण माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि एक बार माता यशोदा और नंद बाबा ने चार धाम की इच्छा प्रकट की थी तो भगवान कृष्ण ने उनके दर्शनों के लिए सभी तीर्थ को ब्रिज में ही बुला लिया था। आगे चलकर मध्यकाल में भी इस यात्रा का महत्व बना रहा और समय समय पर इसे करने की परंपरा जारी है।

Braj 84 Kos Yatra History

ऐसा है 84 कोस यात्रा का मार्ग

84 कोस यात्रा का मार्ग ब्रिज के प्रमुख धार्मिक स्थलों से होकर गुजरता है। इस यात्रा की शुरुआत मथुरा से होती है जहां भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था इसके बाद यात्रा वृंदावन की तरफ जाती है जहां भगवान कृष्ण ने बाल लीलाएं की थी। वृंदावन से यात्रा गोवर्धन पर्वत की तरफ जाती है जहां श्री कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाया था। इसके पश्चात यात्रा में भक्ति नंदगांव और गोकुल की ओर जाते हैं जहां कृष्ण की बाल लीलाओं का प्रदर्शन देखा जा सकता है। इसके अलावा यह यात्रा बरसाना राधा रानी का गांव और अन्य छोटे बड़े धार्मिक स्थलों से होकर गुजरती है।

Braj 84 Kos Yatra History

क्या 84 कोर्स की यात्रा का धार्मिक और आध्यात्मिक है महत्व

84 कोर्स की इस यात्रा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व काफी ज्यादा है। इस यात्रा के दौरान भगवान कृष्ण की लीलाओं का साक्षात्कार करने और उनकी कृपा प्राप्त करने का मौका मिलता है। यात्रा भक्तों को भगवान के प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा प्रकट करने का अवसर देती है। यह ब्रिज भूमि की आवश्यकता को दर्शाने का काम करती है।

Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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