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Braj Ki Holi 2025: कैसी होगी इस बार कान्हा की नगरी में होली की धूम, किस दिन खेली जाएगी कौन सी होली

Braj Ki Holi 2025 Date and Time: आज हम आपको कान्हा की नगरी में होली के कई रूपों के बारे में बताने जा रहे हैं आइये विस्तार से जानते हैं कौन से दिन कौन सी होली मनाई जाएगी।

Shweta Srivastava
Published on: 6 March 2025 2:40 PM IST
Braj Ki Holi 2025 Date and Time
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Braj Ki Holi 2025 Date and Time (Image Credit-Social Media)

Braj Ki Holi 2025 Date and Time: कैसी होगी इस बार कान्हा की नगरी में होली की धूम, किस दिन खेली जाएगी कौन सी होलीब्रज की होली की शुरुआत जहाँ बसंत पंचमी से हो जाती है वहीँ यहाँ की होली हर किसी के आकर्षण का केंद्र रहती है। इस साल ये त्योहार 14 मनाया जायेगा। वहीँ 13 मार्च को होलिका दहन होगा। जो फाल्गुन पूर्णिमा को होता है। इसके बाद रंग खेला जाता है जो प्रतिपदा तिथि पर होता है। वहीँ कान्हा की नगरी में होली को कई रूपों में मनाया जाता है। आइये जानते हैं किस दिन कौन सी होली होती है और क्या होता है इसमें।

कान्हा की नगरी में होली के कई रूप

ब्रज में होली महोत्सव कई दिन पहले से शुरू हो जाता है। ऐसे में किस दिन कौन सी और कैसे होली खेली जाएगी होली आइये इसपर एक नज़र डाल लेते हैं।

  • 7 मार्च 2025 नंदगांव व बरसाना में फाग आमंत्रण और लड्डू होली
  • 8 मार्च 2025 बरसाना में रंगीली गली में लट्ठमार होली
  • 9 मार्च 2025 नंदगांव में लट्ठमार होली
  • 10 मार्च 2025 बांके बिहारी मंदिर में फूलों की होली
  • 10 मार्च 2025 कृष्ण जन्मभूमि पर हुरंगा उत्सव
  • 11 मार्च 2025 गोकुल के रमणरेती और द्वारकाधीश मंदिर में होली
  • 12 मार्च 2025 वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में होली उत्सव
  • 13 मार्च 2025 पूरे ब्रज में होलिका दहन
  • 14 मार्च 2025 रंगों वाली होली (धुलेंडी)

Braj Ki Holi 2025 (Image Credit-Social Media)

वहीँ इसके बाद भी ये उत्सव 22 मार्च तक चलेगा। जिसमे 15 मार्च को बलदेव के दाऊजी मंदिर में हुरंगा खेला जाएगा, वहीँ 16 मार्च को नंदगांव में हुरंगा खेला जाएगा, 17 मार्च को जाव गांव में पारंपरिक हुरंगा खेला जाएगा ,18 मार्च को मुखरई में चरकुला नृत्य का आयोजन किया जाएगा और 22 मार्च को वृंदावन के रंगनाथ मंदिर में होली का उत्सव मनाया जाएगा और जिसके बाद 40 दिन का ये होली महोत्सव समाप्त हो जायेगा।

नंदगांव व बरसाना की लड्डू होली


Braj Ki Holi 2025 (Image Credit-Social Media)


नंदगांव और बरसाना लड्डू होली बेहद प्रसिद्ध है जिसका आयोजन यहाँ स्थित लाडिली जी मंदिर में होता है। राधा रानी के गांव बरसाना में फाग आमंत्रण का उत्सव बेहद भव्य तरीके से मनाया जाता है। इसके बाद लठमार होली से एक दिन पूर्व लाडिली जी के महल से होली का निमंत्रण भगवान श्री कृष्ण के नंद गांव के नंद भवन भेजा जाता है। यह परंपरा कई सालों से ऐसे ही चली आ रही है। वहीँ इस बार भी राधा रानी की दासी फ़ाग का निमंत्रण लेकर नंदगांव जाएगी। प्रथा है कि इस निमंत्रण के साथ एक मटके में गुलाल,पान,बीड़ा, प्रसाद और इत्र फूल लेकर नंद भवन पहुंच जाता है। वहीँ इस गुलाल को नंदगांव के हर घर में बांटा जाता है। नंद भवन में राधा रानी की दासी का भव्य स्वागत सत्कार भी होता है। निमंत्रण देने के बाद दासी वापस बरसाना लौट आती है। फिर शाम को नंद भवन से होली आमंत्रण की स्वीकृति का संदेश लेकर एक पांडा बरसाना पहुंचता है। राधा रानी के महल में स्वीकृति का संदेश लाने वाले पांडा का स्वागत सत्कार भव्य तरीके से किया जाता है। पांडा को खाने के लिए बहुत सारे लड्डू दिए जाते हैं जिसे देखकर वह इतना खुश होता है कि नाचने लगता है ऐसे में लड्डू को बांटने की भी प्रथा है इसीलिये इसे नंदगांव व बरसाना की लड्डू होली कहते हैं।

बरसाना में रंगीली गली में लट्ठमार होली

Braj Ki Holi 2025 (Image Credit-Social Media)

जहां ब्रज के लोगों को लठमार होली का इंतजार रहता है वहीं पूरे विश्व में भी इस होली को देखने का लोगों में उत्साह रहता है। बरसाना में फाग आमंत्रण स्वीकार करने के बाद नंद गांव से भगवान श्री कृष्णा अपनी सखाओं के साथ ढोल लिए बरसाना पहुंचते हैं। इसे हुरियारे कहा जाता है और इन हुरियारों का स्वागत बरसाना की हुरियारिनें लठ लेकर करती हैं। इसके बाद अगले दिन नंद गांव में भगवान कृष्ण अपने ग्वालो और सखाओं के साथ बरसाना पहुंचते हैं। वहीँ आज के समय में नंद गांव के हुरियारे अपने साथ झंडी लेकर आते हैं जिसे राधा कृष्ण का प्रतीक चिन्ह भी माना जाता है। जैसे ही हुरियारे झंडी के साथ बरसाना पहुंचते हैं बरसानावासियों को यह संकेत मिलता है कि नंद गांव से हुरियारे होली खेलने आ गए हैं। इसके बाद हुरियारे बरसाना मंदिर में दर्शन के लिए जाते हैं इसी के साथ ही साथ मंदिर में जमकर रंग गुलाल उड़ाया जाता है और सभी का स्वागत भी या जाता है। इसके बाद हुरियारे बरसाना की गलियों में लठमार होली खेलने निकल पड़ते हैं।

बांके बिहारी मंदिर में फूलों की होली

Braj Ki Holi 2025 (Image Credit-Social Media)

बांके बिहारी मंदिर की होली की बात करें तो यहां पर फूलों की होली सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। इसमें टेसू के फूलों का प्रयोग किया जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि यह कृष्ण काल से ऐसे ही मनाई जाती रही है। ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में रंगों की होली 10 मार्च से शुरू होगी लेकिन उसके पहले देश के फूलों को सुखाकर रंग बनाने के लिए लोग अभी से जुट गए हैं और 10 मार्च को होली ब्रज में फूलों के साथ होली खेली जाएगी। होली के पर्व में प्राकृतिक रंगों के साथ मनाया जाने वाला यह त्योहार पूरे विश्व में प्रसिद्ध है ऐसा भी कहा जाता है कि यह परंपरा द्वापर युग से चली आ रही है जिसे आज भी मंदिरों में वैसे ही विधि के साथ मनाया जाता है। टेसू के फूलों की मदमस्त करने वाली सुगंध पूरे वातावरण को महका देती है और इस होली को मर्यादा के साथ मनाने और होली के त्योहार को मर्यादा के साथ रिश्तों को मजबूत करते हुए मनाया जाता है।

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