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Bundelkhand Famous Festivals: जानिये बुंदेलखंड जिलों के त्योहारों से जुड़े व्यंजनों के बारे मे

Bundelkhand Famous Festivals & Dishes : बचपन की यादों में बसे त्योहार और उनसे जुड़े ये व्यंजन, हमारे जीवन में खुशियाँ और उमंग भरते हैं। सचमुच, त्योहारों का असली आनंद इन विशेष पकवानों के बिना अधूरा है।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 11 Aug 2024 10:08 AM IST
Bundelkhand Famous Festivals & Dishes
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Bundelkhand Famous Festivals & Dishes (Photos - Social Media)

Bundelkhand Famous Festivals & Dishes : त्योहारों का नाम आते ही स्वादिष्ट भोजनों की यादें ताजा हो जाती हैं। हर त्योहार के साथ जुड़ा हुआ एक विशेष व्यंजन होता है, जो उस दिन को और भी खास बना देता है। जैसे होली पर गुंजिया, दिवाली पर मिठाइयाँ और लक्ष्मी पूजन के साथ बने चावल की खीर। ये पकवान केवल स्वाद ही नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं का भी एक हिस्सा होते हैं। बचपन की यादों में बसे त्योहार और उनसे जुड़े ये व्यंजन, हमारे जीवन में खुशियाँ और उमंग भरते हैं। सचमुच, त्योहारों का असली आनंद इन विशेष पकवानों के बिना अधूरा है।

बुन्देलखण्ड (Bundelkhand Details In Hindi)

बुन्देलखण्ड मध्य भारत का एक भौगोलिक-सांस्कृतिक क्षेत्र है। इसका विस्तार वर्तमान उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश में है। बुंदेली इस क्षेत्र की मुख्य बोली है। बुन्देलखण्ड जिसमें मध्यप्रदेश से दतिया, सागर, छतरपुर, टीकमगढ़, दमोह और पन्ना जिला शामिल है। वहीं उत्तरप्रदेश से झांसी, बांदा, ललितपुर, हमीरपुर, जालौन, महोबा और चित्रकूट शामिल है। भारत के मानचित्र में विशिष्ट पहचान लिए हुए बुंदेलखंड जहां आल्हा उदल, रानी लक्ष्मी बाई की वीर गाथाएं आज भी गूंजती है। बुंदेलखंड मध्य भारत का एक प्राचीन क्षेत्र है। जिसका विस्तार उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में है। बुन्देलखण्ड मध्य भारत का एक प्राचीन क्षेत्र है। इसका प्राचीन नाम जेजाकभुक्ति हैI

बुंदेलखंड की भाषा कौन सी है? (Which is The Language of Bundelkhand?)

बुंदेली की तीन प्रमुख बोलियां है। पँवारी - यह बोली ग्वालियर के उत्तर पूर्व दतिया व उसके आस पास के क्षेत्रों में बोली जाती है। लोधान्ती या राठौरी - इस बोली का प्रयोग हमीर पुर के राठ क्षेत्र में और जालौन के समीप वर्ती क्षेत्रों में किया जाता है। बुंदेली भारत के एक विशेष क्षेत्र बुन्देलखण्ड में बोली जाती है। यह कहना बहुत कठिन है कि बुंदेली कितनी पुरानी बोली हैं लेकिन ठेठ बुंदेली के शब्द अनूठे हैं जो सदियों से आज तक प्रयोग में आ रहे हैं। बुंदेलखंडी के ढेरों शब्दों के अर्थ बंग्ला तथा मैथिली बोलने वाले आसानी से बता सकते हैं। झांसी बुंदेलखंड का सबसे बड़ा शहर है। बुंदेलखंड का एक अन्य प्रमुख शहर सागर है जो बुंदेलखंड का दूसरा सबसे बड़ा शहर और सागर संभाग का मुख्यालय है।


बुंदेलखंड के पकवान (Dishes Of Bundelkhand)

दाल वाली पूड़ी (Daal Ki Puri)

बुंदेलखंड के बाँदा जिले में इस विशेष पकवान की बात ही कुछ अलग है। किरानी जी की दाल वाली पूड़ी की तैयारी बहुत ही पारंपरिक है, जिसमें पुराने जमाने की तरीकों का भी समावेश है। दाल वाली पूड़ी, मसालों और दाल के मिश्रण से बनी यह व्यंजन न केवल स्वाद में लाजवाब होती है, बल्कि इसमें हमारे सांस्कृतिक और पारंपरिक तरीकों की भी झलक मिलती है।

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स्वादिष्ट बेसन के चीले (Besan Ke Chilla)

महोबा जिले में रामकली जी द्वारा बनाए गए बेसन के चीले भी नाग पंचमी पर एक खास स्वाद का अनुभव कराते हैं। इस दिन बेसन के चीले को बनाने की पारंपरिक विधि और सामग्रियों का उपयोग करके स्वाद को और भी बढ़ाया जाता है। सब्जियों या पनीर के साथ बेसन के चीले बनाना न केवल पकवान को स्वादिष्ट बनाता है, बल्कि इससे पोषण भी मिलता है।

मालपुआ (Maalpua)

सावन के महीने में तीज का त्योहार खास होता है। ऐसे में मालपुआ एक पारंपरिक मिठाई है, जो खासतौर पर त्योहारों के मौके पर बनाई जाती है। इसका स्वाद और महक त्योहार के उत्साह को और भी बढ़ा देती है। मालपुआ बनाने में कई प्रकार की सामग्री का उपयोग होता है, जैसे आटा, दूध, चीनी, घी, और कभी-कभी सूखे मेवे भी। इन सबको मिलाकर तैयार किया गया मालपुआ स्वदिष्ट और भरपूर होता है।

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अरबी के पत्ते की पकौड़ी (Arabi Leaf Dumplings)

हमारे देश में बरसात के मौसम में चाय और पकौड़े खाने का ये रिवाज दुनिया भर में मशहूर है। यहाँ तक कि विदेश से घूमने आ रहे पर्यटक भी हिन्दुस्तानी पकौड़ों के प्रशंसक हो जाते हैं। आपने आलू, प्याज, गोभी और कई अन्य सब्ज़ियों की पकौड़ियाँ खाई होंगी। यह भी यूपी की कुछ चुनिंदा और विशेष तरह के व्यंजन में से एक है। लेकिन क्या आपने कभी अरवी के पत्तों की पकौड़ी खाई है?

महुआ के पकवान (Mahua Dishes)

बुंदेलखंड के लिए वरदान कहे जाने वाले महुआ के बारे में तो आप सब जानते होंगे। महुआ का असली महत्त्व तो सावन में ही देखने को मिलता है। चारों तरफ महुआ से बनी अलग-अलग प्रकार की चीज़ें, हमारा दिल लुभा लेती हैं। अगर आपको कभी सावन के महीने में बुंदेलखंड आने का मौका मिले तो यहाँ की मशहूर महुआ की डोभरी, महुआ का लाटा, और महुआ-चने की दाल का लुत्फ़ उठाना बिलकुल मत भूलिएगा।

बुंदेलखंड में कई त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख ये हैं ( Bundelkhand Famous Festival)

कुन्घुसू पूणे (Kunghusu Pune)

आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को बुंदेलखंड के हर घर में गृह वधुओं का पूजन किया जाता है, जिसे कुंघसूणू के नाम से जाना जाता है. इस दिन सास दीवार पर चारों कोनों की चारो तरफ़ हल्दी से माला बनाकर उनकी पूजा करती हैं.

बुंदेलखंडी होली (Bundelkhandi Holi)

इस होली में ढोलक की थाप और मंजीरे की झंकार के साथ उड़ते हुए अबीर-गुलाल के साथ किसान होली गीत गाते हैं.

Bundelkhand Famous Festivals & Dishes

तीजा (Teeja)

बुंदेलखंड का सबसे बड़ा महोत्सव है तीजा.

महाबुलिया (Mahabulia)

पितृ पक्ष शुरू होते ही बुंदेलखंड में महाबुलिया पर्व मनाया जाता है. इस दौरान बीचोबीच एक कांटे की झाड़ी को रखकर उसमें कई तरह के फूल लगाकर सजाया जाता है और महाबुलिया के गीत गाए जाते हैं.

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दशहरा (Dussehra)

आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की दशमी को दशहरा मनाया जाता है. इस दिन श्रीराम ने रावण पर विजय के लिए अभियान चलाया थाI बुंदेलखंड में बुंदेली उत्सव का भी आयोजन किया जाता है. इस उत्सव में लोक कलाओं, लोक नृत्यों, लोक गीतों, खाद्य उत्सव, पारंपरिक खेलों और तीरंदाजी की प्रतियोगिताएं होती हैं. इन प्रतियोगिताओं में मध्य प्रदेश के आठ ज़िलों और उत्तर प्रदेश के पांच ज़िलों से बड़ी संख्या में प्रतिभागी हिस्सा लेते हैं.



Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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