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Chor Minar History: दिल्ली की इस मीनार पर लटका दिए जाते थे चोरों के सिर, 800 साल पुराना है इतिहास
Chor Minar History : दिल्ली सदियों से भारत पर राज करने वाली कई सल्तनतों और राजवंशों की राजधानी रही है। इसका अपना एक समृद्ध इतिहास है।
Chor Minar History : दिल्ली के एक सुल्तान ने चोरों को सजा देने के लिए एक अजीबो-गरीब तरीका निकाला। वह चाहता था कि सजा ऐसी हो कि कोई और जुर्म करने के बारे में भी न सोचे। वह लोगों को डराकर रखना चाहता था। करीब 700 साल पहले दिल्ली की एक मीनार लोगों को डराने के लिए जानी जाती थी। आज भी उसकी निशानी मौजूद है। मगर, इस मीनार के पास अब लोगों के घर हैं। बड़ी चहल-पहल रहती है। इसका नाम कुतुब मीनार नहीं है। यह इमारत हौज खास एनक्लेव में है और इसका नाम है-चोर मीनार। इस इतिहास के कुछ पन्ने रक्तरंजित हैं और खून से लथपथ ऐसे पन्नों को सरकारों व जनता ने भुला दिया। ऐसे ही एक भूले हुए पन्ने चोर मीनार के बारे में यहां जानते हैं।
चोर मीनार का इतिहास (History of Chor Minar)
चोर मीनार का अंग्रेजी में शाब्दिक अनुवाद Tower of Thieves है। दिल्ली के इतिहास का वो हिस्सा है, जिसे ज्यादातर लोगों ने भुला दिया। इसका संबंध दिल्ली पर राज करने वाले खिलजी वंश से जुड़ा है और यह 14वीं सदी में बनी मीनार है। मीनार की चिनाई दूर से ही नजर आ जाती है और इसे धनुषाकार गेट जैसी आकृति वाले एक मंच पर बनाया गया है।
क्यों बनाई गई थी चोर मीनार? (Why Was Chor Minar Built?)
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि अलाउद्दीन खिलजी ने मंगोलियों की हत्या करवाई थी। खिलजी ने उन्हीं लोगों के सिर काटकर इस इमारत के सुराखों पर लटकाए थे, ताकि लोग देख सकें। यह भी कहा जाता है मंगोल आक्रमणकारियों से अलाउद्दीन खिलजी को काफी जूझना पड़ा था। उन्होंने कई बार खिलजी के सैनिकों के हमले को विफल भी किया था।
क्रूर शासक था अलाउद्दीन खिलजी (Alauddin Khilji Was a Cruel Ruler)
अलाउद्दीन खिलजी का शासन 20 साल तक चला। अगर किसी साम्राज्य पर वह हमला करता तो जीत के बाद काफी उत्पात मचाता था। इतिहासकार उसे क्रूर शासक मानते हैं। उसकी क्रूरता की कई कहानियां हैं। अलाउद्दीन को अगर किसी पर शक होता कि वह उसकी सत्ता या शक्ति के लिए खतरा है तो उसे मरवा देता था। उस परिवार की महिलाओं और बच्चों को भी नहीं बख्शा जाता था। उसने अपने परिवार के कई सदस्यों को भी मरवा दिया था, जिनमें उसके भतीजे भी शामिल थे। पहले उनकी आंखें निकलवाईं फिर उनके सिर धड़ से अलग कर दिए गए। अपने चाचा जलालुद्दीन की हत्या करके ही अलाउद्दीन दिल्ली का सुल्तान बना था।